पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हदका ५४४१ हनुभेद मुहा०—हद से गुजरना = मर्यादा का अतिक्रमण करना। जहाँ हननशील -वि० [सं० ] क्रूर । वधिक । प्राण लेनेवाला । उचित हो उससे किसी बात मे आगे बढना । हनना@-कि० स० [स० हनन ] १ मार डालना। वध करना । हदकाg+--सज्ञा पुं० [अनु० ] धक्का । हचका । प्राण लेना। उ०--छन महँ हने निसाचर जेते। तुलसी हदफ---सज्ञा पु० [अ० हदफ] १ लक्ष्य । निशाना । २ ऊंचा पुश्ता । (शब्द०)। २ आघात करना । चोट मारना । प्रहार करना। ३ निशानेबाजी सीखने के लिये निर्मित युद्ध का वह स्थान कसकर मारना। उ०- (क) मुष्टिक एक ताहि कपि हनी । जहां लक्ष्यवेध किया जाता है [को०] । -तुलसी (शब्द॰) । (ख) प्रावत ही उर मॅह हनेउ मप्टि हदसा-सञ्ज्ञा पुं० [अ० हारिसह ] मय । डर । खौफ । प्रहार प्रघोर ।---तुलसी (शब्द०)। ३ पीटना । ठो कना। ४ लकडी से पीट या ठोंककर बजाना। उ०-जगीद्र सिद्ध- हदसना--क्रि० अ० [हिं० हटस+ना (प्रत्य॰)] भयभीत हो जाना। मुनीस देव विलोकि प्रभु दु दुभि हनी ।--तुलसी (शब्द॰) । खौफ खाना। डरना। हदसमाअत--सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० ] किसी बात का दावा करने के लिये हननी--वि० सी० [ स० हनन + ई (प्रत्य॰) ] मार डालनेवाली। हनन करनेवाली । उ०-री, हुअा तुझको न कुछ सकोच । तू बनी समय की नियत अवधि । वह मुकर्रर वक्त जिसके भीतर अदालत जननी कि हननी, सोच ।--साकेत, पृ० १८२ । मे दावा करना चाहिए। (कचहरी)। हननीय---वि० [स०] १ हनन करने योग्य । मारने योग्य । २ जिसे मुहा०- हद समाअत होना = हद समानत पूरी होना। दावा मारना हो। करने की अवधि का वीत जाना। हनफी-सज्ञा पुं० [अ० हनफी] मुसलमानो मे सुन्नियो का एक सप्रदाय । हदसियासत--सज्ञा स्त्री० [अ०] किसी न्यायालय के अधिकार की हजरत इब्राहीम का अनुयायी। सीमा । उतना स्थान जितने के भीतर के मुकदमे कोई अदालत ले सके। हनवाना--क्रि० स० [हि हनना का प्रेरणा०] मारने या हनने का कार्य दूसरे से कराना । मरवाना । हदीस--सज्ञा ली० [अ० ] मुसलमानो का वह धर्मग्रथ जिसमे हनवाना--कि० अ० [स०/प्णा, स्निपय्, प्रा./हव/व्हाव> मुहम्मद साहब के कार्यों के वृत्तात प्रौर भिन्न भिन्न अवसरो ण्हावत, हिं० नहवाना] दे० 'नहवाना', 'नहलाना' । पर कहे हुए वचनो का संग्रह है और जिसका व्यवहार बहुत कुछ स्मृति के रूप मे होता है। हनाना --क्रि० अ० [स० स्नापय्, प्रा०Vण्हावय ] दे० 'नहाना' । हद्द--सज्ञा स्त्री० [अ० हद्द] दे० 'हद' । उ०- हनितवत-सज्ञा पुं० [प्रा० हनुमन्त ] दे० 'हनुमत' । (क) हद्द कारिगर हुन्नर कीन्हा । जैसे दूध मे जामन दीन्हा । -कवीर सा०, भा०, हनिवत--सञ्ज्ञा पुं॰ [प्रा० हनुमन्त ] दे० 'हनुमत' । ४, पृ० ५३४ । (ख) हद्द अनहद ना उठे वानी ।-पलटू०, हनित--सज्ञा पुं० [ प्र० हनुमन्त ] दे० 'हनुमान' । उ०--नहिं सो भा० २, पृ० ३० । (ग) है नीचता और वेएतवारी की राम, हनिवत बडि दूरी । को लेड प्राव सजीवन मूरी |-- हद्द ।--वो दुनिया, पृ० २८ । जायसी (शब्द॰) । हद्दा--सज्ञा स्त्री॰ [ सं०] मेषादि लग्ज़ो का प्रारभिक तीस अश। हनी--सञ्ज्ञा पुं० [अ०] मधु । शहद । विशेप-मख्याविशेप के अनुपात से इनमे पाँच पाँच ग्रहो का भाग हनीमून-सज्ञा पुं० [अ०] विवाह के बाद पति पत्नी का प्रमोदकाल । रहता है । जैसे, मेष लग्न के ३० अश मे ६ भाग गुरु, ६ अश विवाह के अनतर पति पत्नी का आनद विलास एव क्रीडा का मास। शुक्र, ८ अश वुध तथा पाँच पाँच अश भौम और शनि का हनील-सज्ञा पुं० [ स० ] केवडा । केतकी [को०] । होता है। अन्य लग्नो के अश भी इसी प्रकार ग्रहो मे विभक्त हनु-सज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ दाढ की हड्डी । जबडा । २ ठुड्डी। किए जाते है । वर्षप्रवेश के आदि मे शुभाशुभ गणना मे चिवुक । ३ अस्त्र। हथियार (को०) । ४ वह वस्तु जिससे इसका प्रयोग किया जाता है। नीलकठीय ताजक मे इसका जीवन को क्षति हो (को०) । ५ मरण। मृत्यु (को०) । ६ विस्तृत विवरण द्रष्टव्य है। रोग। बीमारी (को०)। ७ एक प्रकार की ग्रोपधि । हन्-वि० [स०] मारनेवाला। वध करनेवाला। हननेवाला। (समस्त स्वेच्छाचारिणी स्त्री। कुलटा । वेश्या (को॰) । पदो मे प्रयुक्त) । जैसे, पितृहन्, मातृहन्, ब्रह्महन्, पुत्रहन् आदि । हनुका-सञ्ज्ञा स्त्री० [ स० ] दाढ की हड्डी । जवडा । हन-सज्ञा पु० [ स०] मारना । काटना । वध । हनन [को॰] । हनुग्रह-सज्ञा पु० [स०] एक रोग जिसमे जवडे वैठ जाते हैं और जल्दी हनन'-सज्ञा पुं० स०] [वि० हननीय, हनित ] १ मार डालना । खुलते नहीं। वध करना । जान मारना। २ आघात करना । चोट विशेष-यह रोग किसी प्रकार की चोट लगने आदि से वायु लगाना। पीटना । ३ गुणन । गुणा करना । जरव देना । कुपित होने के कारण होता है। (गणित) । ४ एक प्रकार का क्षुद्र कीट (को०) । ५ ढोल, हनुफाल-सज्ञा पुं० [स० हनु + फाल] एक छद । दे. 'हनूफाल' । नगाडा, धीसा अादि बजाने की लकडी (को॰) । हनुभेद-सञ्ज्ञा पुं० [म०] १ जवडे का खुलना। २ एक प्रकार का हनन' २-वि० हनन करनेवाला । मारने या वध करनेवाला। ग्रहण या ग्रास (को॰) ।