पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 हमले ५४४५ ३०८ । (य) कहन लगे वृदावन ऐसो। यह हमरी हमसिन-वि० [फा०] समान अवस्था या उम्र का । हमउम्र । वैकुठ न जैसो ।-नद०, ग्र०, पृ० २५७ । हमहमी-मशा स्त्री० [हिं० हम] दे० 'हमाहमी' । हमल-सशा पुं० [अ०] स्त्री के पेट मे बच्चे का होना । पाँव भारी हमाकत--मझा स्त्री० [अ०] दे० 'हिमाकत' [फो०] । होना । गर्भ । विशेप दे० 'गर्भ' । हमाम--सशा ० [अ० हम्माम] नहाने का घर जहाँ गरम पानी क्रि० प्र०- होना। रहता है। स्नानागार । उ०-मैं तपाय तय ताप सो राख्यो मुहा०—हमल गिरना = गर्भपात होना। पेट से बच्चे का पूरा हियो हमाम। मकु कबहूँ आवे इहाँ पुलक पसीजे स्याम ।- हुए विना निकल जाना। हमल गिराना = गर्भपात करना। विहारी (शब्द०)। पेट के बच्चे को बिना समय पूरा हुए निकाल देना। हमल हमायल-सज्ञा स्त्री० [अ० हमाइल, हमायल] १ एक प्राभूपण । ३० रहना = गर्भ रहना । पेट मे बच्चे की योजना होना। 'हमेल' । २ गले में डालकर वगल मे लटकाने की वस्तु । ३ २ भार । वोझ (को०)। दे० 'परतला'। ४ छोटी या गुटकानुमा कुरान की पुस्तक (को०] । हमला-सज्ञा पुं० [अ० हमलह, हम्लह्] १ लडाई करने के लिये चल हमार-सर्व० [प्रा० अम्हरो, अम्हार, हमार, हिं. हमारा] दे॰ 'हमारा' । पडना । युद्धयात्रा । चढाई। धावा। जैसे,—मुगलो के कई उ०--हम लखि लखहि हमार, लखि हम हमार के बीच । तुलसी हमले हिंदुस्तान पर हुए। २ मारने के लिये झपटना। प्रहार अलखहि का लखहि, राम नाम जपु नीच।--तुलसी ग्र०, पृ० ८८ । करने के लिये वेग से बढना। आक्रमण । ३ प्रहार । वार । ४ किसी को हानि पहुँचाने के लिये किया हुआ प्रयत्न । . हमारा--सर्व० [हिं० हम + पारा (प्रत्य॰)][स्त्री॰ हमारी] 'हम' शब्द का सवध कारक रूप । नुकसान पहुंचाने की काररवाई । ५ विरोध मे कही हुई वात । शब्द द्वारा प्राक्षेप । क्रूर व्यग्य। जैसे,—यह हमला हमारे हमारो@ -सर्व० [हिं०] दे० 'हमारा' उ०-कहूँ लाभ करि के ऊपर है, हम इसका जवाब देगे। आपकी मोहरे खरच करते तो हमारो सगरो धर्म नष्ट होइ क्रि० प्र०--करना ।--होना । जातो। दो सौ बावन०, भा॰ २, पृ० ७३(ख) नारद प्रियतम हमलावर-वि०, सज्ञा पुं० [फा० हमलनावर] आक्रमण करने- भक्त हमारी। तुमको कियो अनुग्रह भारौ ।-नद० ग्र०, वाला । उत्नामक (को०] । पृ० २५४ 1 हमवतन-सज्ञा पुं० [फा० हम+० वतन] एक ही प्रदेश के रहने हमाल'--सञ्चा पुं० [अ० हम्माल] १ भार उठानेवाला । बोझ ऊपर वाले । स्वदेशवासी । देशभाई। लेनेवाला। २ सँभालनेवाला। रक्षा करनेवाला। रक्षक । हमवार-वि० [फा०] जिसकी सतह वरावर हो। जो ऊँचा नीचा न रखवाला । उ०—पंज प्रतिपाल भूमिभार को हमाल, चहुं चक्क हो । जो ऊबड खाबड न हो। समतल । सपाट । जैसे,--जमीन को अमाल, भयो दडक जहान को।--भूपण ग्र०, पृ० १५ । हमवार करना। ३ (बोझ उठानेवाला) मजदूर। कुली। उ०—(क) पल क्रि०प्र०--करना।-होना। पल्लो भर इन लिया तेरा नाज उठाइ । नैन हमालन दै अरे दरस हमशीरा--सा खी० [फा० हमशीरह.] बहन । भगिनी। उ०--मैं मजूरी प्राइ।--रसनिधि (शब्द॰) । (ख) हारि हमाल की इनके हमशीरा को खास का मामू हूँ ।--प्रेमघन॰, भा॰ २, पोट सी डारि के और दिवाल की प्रोट ब खेले।-अर्ध०, पृ०७। हमाल'--वि० [अ०] सदृश । तुल्य । समान [को॰] । हमसना-क्रि० अ० [हिं० हुमसना] दे० 'हुमकना' । उ०--हमसि हमालल-सज्ञा पुं० [सं० हिमालय ?] सिंहल या सीलोन का सब से कन्ह असि रीस, सीस चुकि परिय वाम भुज ।-पृ० ऊंचा पहाड जिसे 'प्रादम की चोटी' कहते है। रा०,७११५७॥ हमसफर-वि० [फा० हमसफर] साथ यात्रा करनेवाला। सहयात्री । हमासत--सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] शूरता। वीरता [को०] । हमसवक--सा पुं० [फा० हमसबक] एक साथ पढनेवाला । सहपाठी। हमासुमा--सर्व [हिं० हमा+ फा० शुमा] हम तुम । उ०---एक न एक हमसर'---सज्ञा पुं॰ [फा०] दरजे मे वरावर आदमी । गुण, वल या मामला खडा करके हमासुमा को पोसते ही रहते है।--गोदान, पद मे समान व्यक्ति । जोड का आदमी। बराबरी का आदमी। हमसर-वि० जोड का । वरावरी का। हमाहमी-सशा स्त्री॰ [हिं॰ हम की द्विरुक्ति] १ अपने अपने लाभ का हमसरी--सपा सी० [फा०] १ समानता का भाव । तुल्यता । वरावरी। आतुर प्रयल। बहुत से लागा में से प्रत्यक का किमी वस्तु जैसे,-वह तुमसे हमसरी का दावा रखता है। २ अक्खडपन । को पाने के लिये अपने को ग्रागे करने की धुन । म्वार्थपरता। उद्दडता (को०)। २ अपने को ऊपर करने का प्रयत्न । प्रहकार। कि०प्र०-करना।—होना । हमीर-सक्षा ० [हिं०] दे० 'हम्मीर। हमसाज-सपा पुं० [फा० हमसाज] मिन्न । दोस्त (को०] । हमे--सर्व [हिं० हम] 'हम' का कर्म और सप्रदान कारक फा रूप । हमसाया-सपा पुं० [फा० हमसायह] पडोसी । प्रतिवेशी। हमको । जैसे--(क) हमे बतानो । (प) हमे दो। पृ०८६। ।