पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सवध। स्वास्थ्यकर। 1 हितको ५५११ हितेच्छ हितकर्ताः-वि० हितकाम । हितेच्छु । हिता--सज्ञा स्त्री० [सं०] १ कुँल्या। नाली । बरहा। २ एक विशेष हितकाक्षी-वि० [स० हितकाडिझन्] हित का काक्षी । हितेच्छु । प्रकार की रक्तवाहिनी नस या शिरा। यौ०-हिताभग। हितकाम १-सचा पु० [स०] भलाई की कामना या इच्छा । खैरखाही । हितकाम-वि० भलाई चाहनेवाला। हितेच्छु । हिताई ई-सज्ञा स्रो० [सं० हित + आई (प्रत्य॰)] नाता। रिश्ता । हितकामना, हितकाम्या [-सज्ञा स्त्री० [सं०] परहित की आकाक्षा । हिताकाक्षी--वि० [सं० हिताकाइक्षिन] हित की प्राकाक्षा करनेवाला । दूसरे के कल्याण की कामना (को०] । हिताधायो--वि० [मे० हिताधायिन्] हित का अाधान करनेवाला। हितकारक--वि० सज्ञा पुं० [स०] १ भलाई करनेवाला । उपकार या हितकारी। कल्याण करनेवाला । २ लाभ पहुंचानेवाला । फायदेमद । ३ हितान-सज्ञा पुं० [स० हित] भलाई। हित । लाभ । उ०-चली चिन्ह खानी हितान चितान । -घट०, पृ० ३८६ । हितकारी-वि०, [म० हितकारिन्] [वि० स्ली० हितकारिणी] १ हित हिताना@--क्रि० प्र० [म० हित + अाना (प्रत्य॰)] १ हितकारी या भलाई करनेवाला। उपकार या कल्याण करनेवाला । २ होना। अनुकूल होना।२ प्रेमयुक्त होना। उ०-बाँध्यो देखि श्याम लाभ पहुंचानेवाला। फायदेमद । ३ स्वास्थ्यकर । को परबस गोपी परम हितानी ।- सूर (शब्द॰) । ३ प्यारा हितकृत्-वि०, सज्ञा पु० [स०] दे० 'हितकारक' । लगना । अच्छा लगना। भाना। रुचिकर होना । उ०-ऐसे हितचिंतक-सञ्चा पु० [सहितचिन्तक] भला चाहनेवाला । खैरखाह । करम नाहिं प्रभु मेरे जाते तुमहिं हितही ।--सूर (शब्द॰) । हितचिंतन-सज्ञा पुं॰ [स० हितचिन्तन] किसी की भलाई की कामना हितान्वेषी-वि० [स. हितान्वेपिन् ] हितेच्छु । हितार्थी [को०] । या इच्छा। उपकार की इच्छा । खैरखाही । हितार्थी-वि० [सं० हितार्थिन] दूसरो का भला या कल्याण चाहने- हितता 2-सज्ञा सी० [हिं० हित + ता (प्रत्य॰)] भलाई । उपकार । वाला। हितेच्छु (को०)। उ०--स्वामी की सेवक हितता सव कछु निज साँइ द्रोहाई। हितावह--वि० [स०] जिससे भलाई हो । हितकारी । कल्याणकारी। मैं मति तुला तौलि देखी भइ मेरिहि दिसि गरुग्राई । -तुलसी हिताशसा-मज्ञा स्त्री॰ [स०] हित कहना । हित का कथन (को०] । ग्र०, पृ० ५४४ । हिताहित -सज्ञा पु० [सं०] भलाई बुराई । लाभ हानि । नफा नुकसान । हितपथ्य-वि० [सं०] हितकर और स्वास्थ्यवर्धक । उपकार और अपकार । जैसे,—जिसे अपने हिताहित का हितप्रणी-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] जासूस । गुप्तचर । भेदिया (को०] । ध्यान नही, वह वावला है। उ०—निठुर नियति छल हो कि कर्म फल यह चिर अविदित, चख मदिरा रस, हँस रे पर वश, हितप्रवृत्त--वि० [स०] उपकार या भलाई मे लगा हुआ [को॰] । त्याग हिताहित ।-मधुज्वाल, पृ० २० । हितप्रेप्सु-वि० [स०] दे० 'हितकाम' [को०] । हितवुद्धि-वि० [स०] कल्याणकामी। शुभेच्छु । हिती-वि० [स० हित + हिं० ई (प्रत्य॰)] १ हितू । भलाई चाहने- वाला । खैरख्वाह । २ मित्र । दोस्त । ३ वधुबाधव । सवधी। हितबुद्धि-हितकारक बुद्धि (को॰] । रिश्तेदार। हितमाती@-वि० स्त्री० [सं० हित + मत्त] प्रेम मे दीवानी । उ० - मैं तो हितमाती अनुराग सो अथाती रवि, जानी नाहिं जाती हितु-सचा पु० [सं० हित] दे० 'हित', 'हितू' । उ०-ये तो उनही की अनुहारी । नहिं अचिरज हितु चाहिए भारी।-नद० ग्र०, राति साँझ की फजर की।-नट०, पृ०६६। पृ० १२५॥ हितमित्र-सज्ञा पुं॰ [स०] १ हितकारक मित्र । हितू मित्र। २ वधु- हितुआई-सञ्ज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'हितू' । वाधव । भाई वधु । हितवतपु-वि० [सं० हितवत् के कर्ताकारक का वहुवचन या हित + हितुव, हितुवा@--सच्चा पं० [स० हित] दे० 'हितू' । उ०—हितुव जानि सोमेस पुनि, किन्नव सधि विचार ।-प० रासो, पृ० ५२ । वान् (प्रत्य॰)] हित करने या चाहनेवाला । उ०-निरजनहि निर्वान पद, कही तुम्ही हितवत ।-कवीर सा०, पृ० ८५२ । हितू -सञ्ज्ञा पुं० [सं० हित] १ भलाई करने या चाहनेवाला व्यक्ति । खैरखाह । दोस्त । उ०-सखि सब कौतुक देखनहारे । जेइ हितवचन-सञ्ज्ञा पुं० [०] मलाई का वचन । कल्याण का उपदेश । कहावत हितू हमारे।-तुलसी (शब्द॰) ।२ सबधी । नातेदार। बेहतरी की सलाह। ३ सुहृद् । स्नेही। हितवना पु-क्रि० अ० [हिं० हित + अौना] दे० 'हिताना' । हितू. र–सना स्त्री॰ [स० हित] सखी। उ०-वयसा सरिधी सखी हितवाक्य-मशा पुं० [स.] हितकारक उपदेश या कथन (को॰] । हितू सहचरी अाही।-अनेकार्थः, पृ० २५५ । हितवाद-सञ्चा पु० [स०] मैत्रीपूर्ण कथन । हितवचन [को०] । हितेच्छा-सज्ञा स्त्री० [स०] भलाई की चाह । खैरखाही । उपकार हितवादी-वि० [सं० हितवादिन्] [वि॰ स्त्री० हितवादिनी] हित की बात कहनेवाला। बेहतरी की सलाह देनेवाला। हितेच्छु--वि० [सं०] भला चाहनेवाला । शुभेच्छु । खैरखाह । कल्याण हितवार-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० हित ? ] प्रेम । स्नेह । दुलार । मनानेवाला। का ध्यान। .