पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२०२

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- हिमभूभृत् १५१४ हिमाद्रिजा हिमभूभृत्- सज्ञा पु० [स०] हिमभूधर । हिमालय । हिमवालुक 5-मण पुं० [मं०] कपूं। कपूर (को०) । हिममयूख- सहा पु० [सं०] चद्रमा । हिमवालुका-समा ग्री० [मं०] कपूर । हिमयुक्त-सज्ञा पुं॰ [म०] चद्रमा । हिमवृष्टि-सहा मी० [सं०] १ पाला पटना । प्रोने या बनोगे. हिमरश्मि-सज्ञा पुं० [स०] चद्रमा । गिरना । बर्फ पहना [को०] । हिमरितु- --सञ्ज्ञा स्त्री० [स० हिम ऋतु] हेमत ऋतु । जाडे या हिमशर्करा--मरा ग्लो० [स०] एक प्रार की चीनी जो यरनाल से मौसम । अगहन और पूस का महीना । उ०--मगल मूल लगन निकानी जाती। दिन अावा। हिमग्तुि अगहनु मास सुहावा |--मानस, १।३१२। हिमशिखरी-गया पुं० [० हिमशिगरिन्] हिमालय पर्वत (०] । हिमरुचि-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] चद्रमा। हिमगीतल--वि० [सं०] १ बर्फ की नग्ह गोल । अत्यत ठहा । जिमका प्रभार तरल पदार्थ को जमा देनेनाता हो । जैसे, जाटा, हिमरोम--सरा पुं० [स० हिम + रोम] चद्रमा । उ०-इदु कलानिधि शीत [को०] सुधानिधि, जैवानिक ससि सोम । अब्ज अमीकर, छपाकर, विधु कहियत हिम रोम ।-नद० ग्र०, पृ० ८८ । हिमशुभ्र-वि० [म०] हिम पी वह शुन या श्येन (को०] । हिमतु -सज्ञा स्त्री॰ [स०] हिम ऋतु । जाडे का मौमिम । हिमशैल-मश पुं० [सं०] हिमालय पहाइ । हिमवत (१--सपा पुं० [मं० हिमवत् शब्द के कर्ता कारक का बहु व०] हिमशैलजा-पया स्त्री० [३०] पाती। हिमालय । उ०-बहुरि मुनिन्ह हिमवत कहु लगन गुनाई आइ। हिमश्रथ-सण पुं० [सं०] १ चद्रमा । २ वफ फा पिघनता (फो०] । समय विलोकि विबाह कर पठए देव बोलाइ ।---मानस, १६६ | हिमश्रथन-नशा पुं० [सं०] बर्फ पियनना [को०] । हिमवत-सशा पुं० [सं० हेमन्त] वह ऋतु जिसमे शीत या ठड का हिमसघात--सपा पु० [म. हिमसलान] दे० 'हिममानि' । आधिक्य हो। हेमत ऋतु । हिम ऋतु । उ०--(क) हिमवत हिममहति --सपा सी० [सं०] हिम का नमन । उर्फ की देरी [फो] । कत मुक्कं न प्रिय पिया पन्न पामिनि परपि ।--पृ० ग०, ६१। ५२ । (ख) हिमवत कत सुग्रह ग्रहति हहकरत फुट्ट हियो।- हिमसर-सश० [स० हिमाम् ] शीतल जल । ठडा पानी पो०] । हिमस्रुत--सशा पुं० [सं०] चद्रमा। पृ० रा०, ६११५३ । हिमवत' -स्वा पुं[स०] दे० 'हिमवान्' । हिमहानकृत्-सपा पुं० [सं०] गानु । पावक । मग्नि (फो०] । हिमवत'-सशा पुं० [सं० हिमवत्] दे० 'हिमवान्' । उ०—मो हिमहासुक-सहा पुं० [०] एक प्रकार का वजूर । हिताल सोहति अस वैस कुमारी। हिमगिरिवर जनु हिमवत वारी। हिमाक-मशा पुं० [म. हिमाच] गर । नद-ग्र०, पृ० १२०। हिमात--सा . [० हिमान्त ] शीत ऋतु का अत । हिमरतु की हिमवत्कुक्षि-सशा सी० [सं०] हिमालय की कदरा या गुहा (को०] । समाप्ति (को०] । हिमवत्खड--सज्ञा पुं० [सं० हिमवत्खण्ड] स्कद पुराण के एक खट या हिमावु -राश पुं० [सं० हिमाम्बु] १ शीतल जल । ठटा पानी । २ विभाग का नाम । अवश्याय । सोम यो०) । हिमवत्पुर--सहा पुं० [स०] हिमालय की नगरी। ओपधिप्रस्थ नगर हिमाभ-सला पुं० [सं० हिमाम्भम्] दे० 'हिमानु' । जो हिमवान् की राजधानी है (को०] । हिमाशु- --सपा पुं० [स०] १ चद्रमा । २ कपूर । हिमवत्प्रभव-वि० [सं०] हिमालय मे उत्पन्न । हिमालय से हिमा--सझा रनी० [सं०] १ शीतयतु । व्ढ का मौसम । जाटा २ छोटी उत्पन्न को०] - इलाइची। ३ एक प्रकार की घाम । चरिणका । ४ दुर्गा । पावती। हिमवत्सुत-सज्ञा पुं० [सं०] मैनाक पर्वत । ५ नागरमोथा । भद्र मुस्तक । ६ असवर्ग । पृक्का (को०] । हिमवत्सुता-सशास्त्री० [सं०] १ पार्वती । २० गगा। हिमाकत-गया स्त्री० [अ० हिमाकत] नासमझी। बेवकूफी । मूर्खता । हिमवल-सज्ञा पुं॰ [मं०] मोती । उ०-प्राँगो मे हिमाकत का कंवल जब में खिला है। पाते हैं नजर कूचनो बाजार वमती।-भारतेदु ग्र०, भा०२, पृ०७६२ । हिमवान'--वि० [सं० हिमवत् ] [वि॰ स्त्री० हिमवती] वर्फवाला । जिसमे वर्फ या पाला हो । हिमाम--सशा पुं० [सं०] हेमत ऋतु । जाडे का मौसम । हिमाचल-संशा पुं० [सं०] हिमालय पहाड । हिमवान'-सञ्ज्ञा पुं० १ हिमालय पहाड । उ०-गुननिधान हिमवान हिमाच्छन्न--वि० [स०] यफ से ढका हुअा। धरनिधर धुर धनि ।-तुलमी ग्र०, पृ० २६ । २ कैलाश पवत । हिमात्यय-सा पुं० [म०] जाडे की समाप्ति (को०] । ३ चद्रमा । उ०—पावक पवन पानी भानु हिमवान जम, काल हिमाद्रि--सज्ञा पुं० [सं०] हिमालय पहाड । उ०--हिमाद्रि तुग शृग से लोकपाल मेरे डर डांवाडोल है।—तुलसी (शब्द०)। प्रबुद्ध शुद्ध भारती। हिमवारि--सञ्ज्ञा पुः [सं०] हिम का पानी । बर्फ के कारण प्रत्यत हिमाद्रिजा--सार ली [स०] १ हिमालय की पुत्री । पार्वती । २ शीतल पानी। गगा का एक नाम (को॰] ।