पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हिस्सा. व्यक्ति । हिसाव १५२३ तबीयत मिलना। हिसाव बैठना (१) ठीक ठीक जैसा हिसाव किताव--सञ्ज्ञा पुं० [अ०] आमदनी, खर्च आदि का ब्यौरा जो जैसा चाहिए वैसा प्रवध हो जाना। इच्छानुसार सब बातो की लिखा हा । वस्तु या धन की सख्या, पाय, व्यय, आदि का लेख- व्यवस्था होना । (२) सुवीता होना । सुपास होना । आवश्य बद्ध विवरण । लेखा । जैसे,--कही कुछ हिसाब भी रखते हो कता पूर्ण होना । जैसे,—इतने से हमारा हिसाब नहीं बैठेगा । कि यो ही मनमाना खर्च करते हो। उ०—इसी कारण मनुष्य के हिसाब से = (१) अदाज से। सयम से । परिमित । जैसे, देह ही से इसके कर्मों का भली प्रकार हिसाब किताव होता है । हिसाब से खर्च किया करो। (२) लेखे के अनुसार । लिख -कबीर सा०, पृ० ६८१ । हुए व्यौरे के मुताविक । जैसे-हिसाब से तुम्हारा जितना मुहा०-हिसाव किताब देखना या जांचना = लेखा जाँचना । निकले उतना लो । वेडा या टेढा हिसाव = (१) कठिन कार्य। २. ढग । चाल । रीति । कायदा । जैसे,—उनका हिसाव किताव मुश्किल काम । (२). अव्यवस्था । गडवड व्यवहार या रीति । ही कुछ और है। पक्का हिसाब = ठीक ठीक हिसाब। पूरा हिसाव। सूक्ष्म हिसावचोर--सञ्ज्ञा पुं० [अ० हिसाव + हिं० चोर] वह जो व्यवहार या विवरण । कच्चा हिसाव = स्थूल विवरण । मोटा व्यौरा । ऐसा लेखे मे कुछ रकम दवा लेता हो । व्यौरा जो अधूरा हो। चलता हिसाव = लेनदेन का लेखा हिसाबदॉ-वि० [फा०] जो गणित विद्या का जानकार हो (को०] । जो जारी हो । लेनदेन या उधार विक्री का जारी सिलसिला। हिसावदानी -सञ्ज्ञा पी० [फा०] १ गणित विद्या का ज्ञाता होना । २ गणित विद्या । वह विद्या जिसके द्वारा सख्या, मान आदि २ गणित करने की क्रिया या भाव । गणितज्ञता [को०] । निर्धारित हो । जैसे,—यह लडका हिमाब मे कमजोर है। हिसाबदार-वि० [फा०] हिसाव किताब करने और उसे रखनेवाला यौ०-हिसावदा । ३ गणित विद्या का प्रश्न । गणित को समस्या। जैसे,—चार हिसाव बही 1-सञ्चा श्री० [अ० हिसाब + हि० बही] वह पुस्तक जिसमे मे से मैंने दो हिसाव किए हैं। आय व्यय या लेन देन आदि का ब्यौरा लिखा जाता हो । कि० प्र०-करना।—लगाना । हिसाबी-वि० [अ० हिसाब+ हिं० ई (प्रत्य०) १ हिसाब या गणित ४ प्रत्येक वस्तु या निर्दिष्ट सख्या या परिमाण का मूल्य जिसके विद्या सबधी । २ हिसाब का ज्ञाता | गणितज्ञ [को०] । अनुसार कोई वस्तु बेची जाय । भाव । दर । रेट । जैसे,- नारगियां किस हिसाव से लाए हो। हिसार -~संज्ञा पु० [फा०] फारसी सगीत की २४ शोभानो मे से एक । मुहा०--हिसाब से = (१) परिमाण, क्रम या गति के अनुसार। हिसार-संज्ञा पुं० [अ०] १ घेरा। अहाता । २ चहारदीवारी । अनुसार । मुताविक । जैसे,—जिस हिसाब से दर्द बढेगा उसी क्रि० प्र०—करना ।-बांधना-घेरा वाँधना या डालना। ३ हिसाब से बुखार भी। (२) विचार से । ध्यान से । अपेक्षा किला। उ०-खोलकर बदे कवा का मुल्के दिल गारत किया। से । जैसे,—कद के हिसाब से हाथी की आँखे छोटी होती है। क्या हिसारे कल्ब दिलवर ने खुले बदो लिया। -कविता ५ नियम । कायदा । व्यवस्था । बंधी हुई रीति या ढग । जैसे,- कौ०, भा० ४, पृ० ४७ । ४ हरयाणा राज्य का एक जिला । तुम्हारे जाने आने का कोई हिसाव भी है या यो ही जब चाहते हो चल देते हो। ६ निर्णय । निश्चय । धारणा । समझ । मत । हिसिखा, हिसिषा-सज्ञा स्त्री० [स० ईर्ष्या] १ दूसरे की देखादेखी विचार। राय। जैसे,—(क) हमारे हिसाब से तो दोनो कुछ करने की प्रबल इच्छा । स्पर्धा । बरावरी करने का भाव । वरावर हैं। होड। २ समता। तुल्यभावना । पटतर | उ०--जौं अस मुहा०-अपने हिसाव या अपने हिसाव से = अपनी समझ के हिसिपा करहिं नर जड विवेक अभिमान । परहि कलपु भरि अनुसार । अपनी जान मे। अपने विचार मे। लेखे मे । जैसे,- नरक महुँ, जीव की ईस समान ।--तुलसी (शब्द॰) । अपने हिसाव तो हम अच्छा ही करते है, तुम जैसा समझो। हिस्टरी 1-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] इतिवृत्त । पुरावृत्त । इतिहास । ७. हाल । दशा । अवस्था । स्थिति । जैसे,—उनका हिसाव न हिस्टीरिया-सद्धा पुं० [अ०] आक्षेप या मूर्छा रोग। पूछो, खूब मनमानी कर रहे हैं । ८ चाल । व्यवहार । रहन । विशप-यह रोग प्रधानत स्त्रियो को होता । इस रोग के जैसे,—उनका वही हिसाव है, कुछ सुधर नही रहे हैं । प्रधान लक्षण ये हैं,-आक्षेप या मूर्छा के पहले ऐसा मालूम ६ ढग । रीति । तरीका । जैसे,--(क) तुम्हें ऐसे हिसाव से होना मानो पेट मे कोई गोला ऊपर को जा रहा है, रोना, चलना चाहिए कि कोई बुरा न कह सके । (ख) उनका हिसाव चिल्लाना, बकना, हाथ पैर ठढे होना, बार बार प्यास ही कुछ और है । १० किफायत । मितव्यय । जैसे,—वह बडे लगना प्रादि । हिसाव से रहता है, तब रुपया बचाता है । ११ हृदय या प्रकृति की परस्पर अनुकूलना । मेल । हिस्ट्री-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] इतिहास । दे० 'हिस्टरी'। मुहा०- हिसाव बैठना = पटरी बैठना । मेल मिलना । प्रकृति हिस्सा-सञ्ज्ञा पुं० [अ० हिस्सह] १ उतनी वस्तु जितनी कुछ अधिक की समानता होना। मे से अलग की जाय । भाग । अश । जैसे,--१००) हिं० २० ११-२५ वस्तु