पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२४५

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रूप । कवच । ? कौल करि भूलेहु सुख मां, काहे भयहु हेवान । -जगवानी, हैस-सञ्ज्ञा मी० [देश॰] एक छोटा पौधा जिसकी जड जहरीले फोडो पृ० ४० । पर जलाने के लिये घिसकर लगाई जाती है । हेवैg- --पज्ञा पुं॰ [स० हयदल] अश्वरोही । घुडसवार । हय दल । है@-क्रि० अ० हिं० कि० 'होना' का वर्तमानकालिक एकवचन उ०--दस सहस्स सज्जी नप हेवै। -पृ० रा० २५/१७० । हेप-मज्ञा पु० [स०] घोडे की हिनहिनाहट [को०) । है-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० हय] दे० 'हय' । उ०--दिष्प फौज सुरतान हेपा-पज्ञा ली० [म०] घोडे की हिनहिनहाट। उ०--ताल ताल पर की बधव मोकलि भट्ट। तुम उप्पर गोरी सुवर हे गै सज्जे यट्ट । नागो का वृहण, अश्वो की हेपा भर भर ।-अपरा०, पृ० -पृ० रा०, ५८ । १६६ । २११ । यौ०--हैवर । हेकल । हंगल । हेषित-मज्ञा पु० [म०] घोडे की वाली । हिनहिनाहट [को०] । हैकडा--वि० [देश० या हि. हिया + कडा] दे० 'हेकड' । उ०--मोटाई हेपी--सञ्ज्ञा पुं० [स० हेषिन् ] घोडा । अश्व (को॰) । हैकड भया थूला ।--पलटू०, ४८ । हेस -पञ्ज्ञा पुं० [स० हेपिन्] अश्व । घोडा । उ०-चढन कहिय हैकल'-सज्ञा स्त्री० [सं० हय + गल] एक गहना जो घोडो के गले राजन सो हेस । उड्डि चली दक्षिण तुम देस । सुनत श्रवन चढयो मे पहनाया जाता है। उ०-सारस पेसबद अरु पूजी । नृपराज । कहि कहि दूत दुजन सिरताज।—पृ० रा०, १६६/२५ । हीरन जटित हैकल दूजी । हम्मीर०, पृ० ३ । हेसमा, हेसमि-पज्ञा स्त्री० [?] एक प्रकार की मिठाई जो हैकल-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] १ गोल, चौकोर या पान के से दानो की गले गेहूं के आँट से तैयार होती है । यह आयताकार होती है। मे पहनने की एक प्रकार की माला, जिसे हुमेल भी कहते है । इसे 'नाकसेप' या 'हेसपा' भी कहते हे । उ०-अरु हेसमि २ बडी इमारत। प्रासाद। भवन (को०)। ३ सरस सँवारी । अति स्वाद परम सुखकारी ।--सूर०,१०/८०१। ताबीज [को०] । है'-अव्य० १ एक आश्चर्यसूचक शब्द । जैसे,-है | यह क्या हुआ हैज-सज्ञा पुं० [अ० हैज] प्राव । स्त्रियो का मासिक रज स्राव (को०)। २ एक निषेध या असहमतिसूचक शब्द । जैसे,- है । यह क्या हैजम --मचा स्त्री॰ [देश॰] १ सेना की पक्ति । सैन्यदल । २ तलवार । करते हो? (डि०) । ३ राजद्वार पर पहरा देनेवालो का सरदार । यौ० है हैं । उ०--(क) पुच्छत चद गयो दरबारह । जहँ हैजम रघुवश है--क्रि० अ० सतार्थक क्रिया होना' के वर्तमान रूप 'है' का बहुवचन । कुमारह । --पृ० रा०, पृ० ६११४६४ । (ख) हैजम गय पहु हैगर--सज्ञा पुं० [अ०] १ वह वस्तु जिसपर या जिसके सहारे कोई पग दै स्वामि आय कवि चद ।-पृ० रा०, ६१।४७६ । वस्तु लटकाई जाय । रस्सी, अरगनी, खूटी आदि। २. हैजा-सच्चा पुं० [अ० हेजह ] दस्त और के की बीमारी जो मरी या विमानगृह । वायुयानधारक । वायुयानशाला (को०] । सक्रामक रूप मे फैलती है । विशूचिका । २ समर । युद्ध । हैंगिंग-वि० [अ०] लटकने या झूलनेवाला। जग। लडाई [को०)। यौ०-हैंगिंग गार्डेन = झूला बाग या तल्लेदार बगीचा । हैगिंग हैट--सज्ञा पु० [अ० ] छज्जेदार अंगरेजी टोपी जिससे धूप का बचाव विज - झूलनेवाला पुल। होता है । हैगिग लैप-सञ्ज्ञा ० [अ०] छत मे लटकाने का लप । हैटा --सचा पुं० [ देश० ] एक प्रकार का अगूर । हैगुल-वि० [सं० हेङ्गल] १ हिंगुल सबधी । ईगुर का । २ हिंगुल या ईगुर के सदृश रगवाला [को०] । हैडिंब -सज्ञा पुं॰ [सं० हैडिम्ब ] १ हिडिवा का पुत्र घटोत्कच । हैज्जम@t-सञ्ज्ञा पु० [देश॰ या अ० हुजूम] सेना का समूह । सैन्य- २ हिडिव राक्षस सबधी (को०] । दल । उ०-ले वनवास हराय महालछ कप हैज्जम अणपार हैडिवि -सञ्ज्ञा पु० [सं० हैडिम्वि ] हिडिंबा का पुत्र घटोत्कच [को०] । कस।--रघु० ३०, पृ० १८ । हैतुक'-वि० [सं०] १ जिसका कोई हेतु हो । जो किसी हेतु या ड-पक्षा पुं० [अ०] हाथ । कर । हस्त। उद्देश्य से किया जाय । सकारण। सहेतु। २ तर्क का हैडविल-सज्ञा पु० [अ०] नोटिस । इश्तहार । पर्चा । विवेकमूलक। तर्क या विवेक सबधी । ३ अक्लवित । निर्भर । हैडबैग-पञ्चा पुं० [अ०] चमडे का छोटा वक्स या लबोतरा थैला हैतुक २-सज्ञा पुं० १. तार्किक । तर्क करनेवाना। हेतुवादी । २. जिसमे पढने लिखने आदि के प्रावश्यक सामान रखते है कुतर्की । ३ सशयवादी । नास्तिक ४ मीमासा का मत या जिसमे अत्यावश्यक सामान रखकर सफर में अपने माननेवाला । मीमासक । ५ एक बुद्ध का नाम (को०)। ६ साथ लिए रहते है। वह व्यक्ति जो धार्मिक विषयो मे उदार हो [को०] । ७ शिव के हैडिल --सञ्ज्ञा पुं० [अ०] मुठिया । दस्ता। एक गरण का नाम [को०] । हैडो--वि० [अ०] जिसे हाथ मे रखा या ले जाया जा सके । हैदर-सहा पुं० [अ० ] सिंह । शेर (को०] ।