पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/३४

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स्थग ५३४६ म्यलजा स्थग'-वि० [म०] १ धूत । ठग । धोखेबाज । वचक । २ निलंज्ज। म्थल--पशा पु० [40] १ मि । माग। जमी।। २ जनय स्थग-भशा पु० दुष्ट व्यक्ति [को०] । मभाग । TI| जंग,--₹47 माग न जा म घटा दिन लगंग। 17 जगा । ८ पार । मोरा। टीना। स्थगणा-सा पी० [म०] पृथी। दह । ६ । पत्याग। ७ YTETT यश । पन्छेिद। स्थगन-पाश पुं० [मं०] [वि० स्थगयितव्य] १ढारना। पाच्छा। ८ मागमा मगन पुन का TRI . निर्जन २ छिपाना। लुकाना। गोपन। ३ दूर करना । हमादेश । श्री मा निशिगजा महा अपवारण। ४ किमी कार या नभा आदि को कुछ मय के विणेप-fra ग्रार प्रदेश में मरवाना को 'यार' पहने है। लिये रोना। १० तट । लिाग । ता (२०) । ११ ठामी जगर। पाव स्थगर-सग पुं० [सं०] १ तगर नामक गधद्रव्य। निरोप दे० 'नगर। (को०)। १२ प्रगा। प्रा। विषय (०)। १३ पार २ पुत्रजीव नामक एक वृक्ष । विशेप दे० 'पुत्रजीय' । (को०)। १८ प्रागार की छा (0) स्थगल-सज्ञा पुं० [स०] दे० 'स्थगर'। म्यनाद--रा0 पु०म० बनी। पटना मापद। स्थगिका-सहा स्त्री० [म०] १ पान, सुपारी, चना, कत्या प्रादि रगने का डिव्या। पनदया। पानदान । ता नारक । २ अगूठे, म्थलकमल-मा० [40] सामान की प्राति पा प्रारम उंगलियो पीर लिगेंद्रिय के पत्रमाग पर ने घार पर बांधी पुष्प जापान में उत्पन्न । जानेवाली (पनडब्बे के आकार की) एक प्रकार की पट्टी। विणेप- जग ६ गे १२ : रता उंचा पो पर्न सुछ नया T पार पाधा नपा निता नोट (वैद्यक)। ३ वेश्या । । ८ पानविनेना की दुाान (यो०)। ५ पान लगाकर देने का काम (को०) । हा। नपा पने तो पनो मे पुची होते स्थगित-वि० [म०] १ ढा हुआ । प्रावृत । पाच्छादित। २ छिपा पिन गुणात्री गोपीर पान तयार होते है। यह वगान मे हाता।। वैद्य यह भीतल, दिवा, पला, चपग, हृया । तिरोहित । ग्राहित । गुप्त । ३ वद । रद्ध । ४ रोका हुा । अवरुद्ध । ५ जो कुछ समय के लिये रोक दिया गया रता, स्तनो को इट परोयाला तया पफ, पिन, मूबान्छ प्रारी, वात, मृत, वा, दार, मोह, प्रमेह, याविकार, हो । मुलतवी । जैसे,-याना स्थगित हो गई। श्वान, परमार, गिोर पारमा नाग पन्नेवाग माना स्थगी-सज्ञा सी० [स०] पान, सुपारी आदि रखने का दिया। गया। पनडया । पानदान । तावूलकरक। पर्या-पद्मनागिी। प्रतियरा । पनाहा । चारिटी । मव्यया। स्थगु-संशा पुं० [स०] पीठ पर का कूबड । कुच। गडु। पमा । मा दा । धमला । अबरहा । लक्ष्मी । श्रेष्ठा । मुगु- स्थडु-सज्ञा पुं० [स०] दे० 'स्थगु' । परा। रम्या । पदमारती। न्यलग्दा । पुरान्सी । पुपर- स्थपति--सजा पु० [स०] १ राजा। अधिपति । नरेश । २ नामत । परिगा । पुरानी। शासक । उच्च राजकर्मचारी। ३ गमचद्र का मया, गुह । ४ म्यनमन्निी--पी० [म.] न्यलामा पौधा । वह जिसने बृहस्पति भवन नामक यज्ञ किया हो। ५ ग्रत पुर- म्थनमाती--सरा ० [सं०] द की ए7 सहारीमा नाम । रक्षा । कचुकी। ६ वास्तुविद्या निशाग्द। भरननिर्माण वना मे निपुण । वास्तुगिल्पी । ७ र य या गाठी बनानेवाला । वः। म्यनमुद--T1 पुं० [सं०] TH-17ची। मूत्रकार । ८ पुबेर का एक नाम । ६ वृहम्पनि का एक गाम । स्थलग--11 [मपन या भूमि प हा या विचरण पग्नेवाला । १० अमात्य । सचिव । मत्री (को०)। ११ रथ हाकनेवाला । स्यनगर। था। सारथि । स्थलगत--वि० [सं०] जो स्या या भूरि पर गया हो [को०)। स्थपति--वि० १ मुख्य । पान । २ उत्तम । येष्ठ । स्थलगामी--वि० [म. पगामिन] स्कन पर साया विनररा फरने- स्थपत्य--सठा पु० [म०] गहाध्यक्ष । राजभवन का महाप्रतीहार। पाना न्यलग । म्यनन । स्थपनी-सचा स्त्री० [म०] दाना भौंहो के बीच का म्यान, जो वैद्यक के स्थलचर-वि० [सं०] म्पन पर रहने वा वितरण कनवाना। अनुमार मम स्थान माना जाता है। स्पलचारी--वि० [म० स्थानाग्न्।ि स्थल पर रहने या विचरण करने- स्थपुट'-वि० स०] १ कुवडा । कुब्ज । २ विपम । घड पावड । जाला। स्थनार। ३ जिमपर सफट पड़ा हो । विपन्न । ४ पीडा के कारण झुका स्थनच्युत-वि० [स०] जो फिमो म्यान या पद से गिराया या हटाया हुप्रा । पीडानत। गया हो । स्थानच्युत । पदच्युत फिो० । स्थपुट'--महा पु० १ पीठ पर का विषम उनत स्थान । कूबड । २ स्थलज--वि० [सं०] १ स्थल या भूमि मे उत्पन्न । स्थन मे उत्पन्न ऊबड खाबड या असम भूमि (को०)। ३ अात्मा (को॰) । होनेवाला। २ स्थलमार्ग से जानेवाले माल पर लानेवाला यौ०--स्थपुटगत = (१) दुर्गम या कठिन स्थान मे स्थित । (२) (कर, चुगी या महन्ल)। स्थपुट सवधी। स्थलजा--सरा बी० [सं०] मुलेठी। मधुयप्ठी ।