पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/३७

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स्थानक ५३४६ स्थानिक स्थानक-मज्ञा पु० [सं०] १ जगह । ठाँव । स्थान । २ नगर । शहर । स्थानभ्रष्ट-वि० [सं०] दे० 'स्थानच्चुत'। ३ पद । स्थिति । दर्जा । ४ नृत्य में एक प्रकार की मुद्रा। ५ स्थानमाहात्म्य - महा पु० [म०] १ स्थानविशेप को महत्ता या वृक्ष का याला । पालवान। ६ मद्य आदि मे उत्पन्न फेन । ७ विशेपता। २ किसी म्यानविशेप का पुण्य प्रभाव, पवित्रता या सस्वर पाठ करने की एक रीति को। ८ नाटकीय व्यापार का तीयत्व को०। एक विशेष स्थल। जम, पताका स्थानक (को०' । ६ यजुर्वेद स्थानमृग-पझा पु० [म०] १ केरुडा । ककट । २ मछली। मत्स्य । की तैत्तिरीय शाखा का अनुवाक या प्रभाग (को०)। १० वाण ३ कछुप्रा । कच्छप । । मगर। मकर। चलाते समय शरीर को एक मुद्रा (को०)। ११ वह मदिर स्थानयोग-मज्ञा म० [१०] उचित स्थानो का नियोजन । उपयुक्त स्थान जिसमे मूर्ति खडी या तनी हुई अवस्था म स्थित हो (को०)। का विनियोग (को०) । स्थानकुटिकासन-~-सज्ञा पु० [म०] गृह या ग्रावास का परित्याग करना । स्थानरक्षक-शा पु० [म०] २० स्थानपाल' [को०)। स्थावर-गृहत्याग [को०] । स्थानविद्--वि० [स०] स्थानीय विपया का अच्छा ज्ञाता या जानकार। स्थानचचला-मज्ञा स्त्री० [स० स्यानचञ्चला] वनतुलसी । वर्वरो। स्थानविभाग-मक्षा पु० [म०] बीजगणित में अको की स्थिति के स्थानचिंतक-पञ्चा पुं० [म० स्यानचिन्तक मेना का वह अधिकारी जो अनुसार किसी सख्या का उपविभाजन। २ स्थान का बँटवारा, सेना के लिये छावनो आदि की व्यवस्था करता हा । वितरण या विभाजन करना। | स्थानच्युत-वि० [म.] १ जो अपने निर्धारित स्थान से च्युत या स्थानवीरासन-सज्ञा पु० [म०] ध्यान करने की एक प्रकार की मुद्रा गिर गया हा। अपनी जगह से गिरा हुअा। स्थान भ्रष्ट । जैसे, या ग्रासन। -स्थानच्युत कमल । २ जो अपने ग्राहदे या पद से हटा दिया गया हो। अपने प्रोहदे से हटाया हुआ। जैसे,—स्थानच्युत स्थानस्थ-वि० [म०] १ अपने स्थान पर स्थित या उपस्थित । २ जो अपनी जगह पर अटल हो किो०] । कर्मचारी। स्थानटिप्पटिका-सजा सी० [म०] शुक्रनीति के अनुसार दैनिक प्राय स्थानाग-सज्ञा पु० [म० स्थानाङ्ग] जैन धर्मशास्त्र का तीसरा अग। और व्यय का लेखा या हिसाव की वही । रोकड वही को०] । स्थानातर--पशा पु० [स० स्थानान्तर] दूसरा स्थान । प्रकृत या प्रस्तुत से भिन्न स्थान। स्थानतव्य -- वि० [स०] ठहरने के योग्य । स्थिति के योग्य । रहने के योग्य । यो०--स्थानातरगत = दूसरे स्थान पर गया हुअा। स्थानत्याग-सज्ञा पुं० [स०] १ अपना अोहदा या पद छोड देना। स्थानातरित--वि० [स० स्थानान्तरित] जो एक स्थान से हट या पदत्याग । २ निवासस्थान का परित्याग । उठकर दूसरे स्थान पर गया हो। जो एक जगह से दूसरी जगह स्थानदाता-वि० [स० स्थानदात] १ स्थान देनेवाला। जगह देने पर भेजा या पहुंचाया गया हो। जैसे,—(क) भानु कार्यालय वाला। २ किसी के लिय किसी विशिष्ट स्थान का निदेश चौक मे दशाश्वमेध स्थानातरित हो गया। (ख) मि० सिंह करनेवाला। काशी से आजमगढ स्यानातरित कर दिए गए है। स्थानदीप्त-वि० [स०] जो स्थानविशेप पर स्थित होने के कारण स्थानाधिकार-मञ्ज्ञा पु० [स०] देवस्थान आदि की देखभाल [को०] । अशुभ या उग्र हो । स्थान को पा जाने के कारण दीप्त या स्थानाधिपति--सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ स्थान का स्वामी। २ दे० 'स्थानपति'। स्थानपति-सज्ञा पु० [म०] १ किसी मठ, मदिर या विहार आदि का स्थानाध्यक्ष-मञ्ज्ञा पु० [सं०] वह जिमपर किसी स्थान की रक्षा का प्रधान व्यक्ति। २ दे० 'स्थानाधिपति'। भार हो । स्थानरक्षक। स्थानापत्ति-सच्चा स्त्री० [मं०] १ किसी व्यक्ति या वस्तु का स्थान स्थानपात-सज्ञा पुं० [स०] किमी को उनके स्थान से च्युत करना। लेना। २ दूसरे व्यक्ति के स्थान पर कुछ दिनो के लिये काम किसी को उसके स्थान से हटाकर अधिकार करना। करना [को०)। स्थानपाल-सञ्ज्ञा पु० [म०] १ स्थान या देश का रक्षक । २ प्रधान स्थानापन्न--वि० [म०] दूसरे के स्थान पर अस्थायी रूप से काम करने- निरीक्षक । ३ चौकीदार । पहरेदार । वाला । कायम मुकाम । एवजी । जैसे,-स्थानापन्न मजिस्ट्रेट । स्थानप्रच्युत-वि० [म.] दे० 'स्यानच्युत' । स्थानाश्रय-मा पु० [म.j बडे हाने को भूमि या स्थान। प्राथय । स्थानप्राप्ति-सज्ञा स्त्री० [स०],किमी पद या स्थान का प्राप्त होना। आधार को०] । स्थानभग-मज्ञा पुं० [म० स्थानभङ्ग] किसी स्थान का भग या वरवाद स्थानासेध-सस [मं०] एक ही स्थान पर नजरवदी। गिरफ्तारी। होना । स्थान भ्रश [को॰] । कंद को। स्थानभूमि [-सक्षा स्त्री॰ [म०] रहने को जगह । मकान । स्थानिक'-वि० [मं०] उम स्थान का जिसके विषय मे कोई उल्लेख स्थानम्रश-सचा पुं० [सं०] १ दे० 'स्थानभग' । २ अर्थ की हानि । हो । उल्लिखित, वक्ता या लेखक के स्थान का । जैसे,—स्था- मोहदे या पद की हानि [को० । स्थानिक समाचार। अशुभ (को०] । निक घटना,