पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/५६

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1 स्फीतनितवा स्फुलने स्फीतनितवा--सज्ञा स्त्री० [स० स्फीतनितम्बा] बडे और सदर कूल्हे स्फुटि--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ पादम्फोटक नाम का रोग । पैर की विवाइ वाली स्त्री (को०] । फटन। । २ फूट नाम का फल । स्फीति--मज्ञा स्त्री० [स०] १ वृद्धि । विस्तार । वढती । २ प्राचुर्य । स्फुटिका--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ फूट नामक फल । २ फिटकिरी। अधिकता 'को०) । ३ समृद्धि (को॰) । ३ छोटा सड या टुकडा (को०)। स्फुट-वि० [स०] १ जो सामने दिखाई देता हो । प्रकाशित । व्यक्त । स्फुटित-वि० [स०] १ विकसित । खिला हुग्रा । २ जो स्पष्ट किया २ खिला हुआ । विकसित । जैसे,--स्फुटिन कमल । ३ जो गया हो। प्रकट किया हुअा। ३ हसता हुआ। ४ विदीर्ण । स्पष्ट हुआ हो। साफ । ४ शुक्ल । सफेद । ५ फुटकर । अलग फटा हुप्रा (को०) । ५ नष्ट किया हुअा (को॰) । स्फुटितकाडभग्न-सज्ञा पु० [सं० स्फुटितकाण्डमग्न] वैद्यक के अनुसार अलग। ६ टूटा हुप्रा या फटा हुआ। विदीर्ण । खडित (को०)। ७ सुविदित । प्रसिद्ध (को०)। ८ उच्च ऊँचा (को०। ६ सत्य । हड्डी टूटने का एक भेद । हड्डी का टुकडे टुकडे होकर खिल जाना। प्रत्यक्ष (को०)। १० दीप्तिमान् । चमकीला (को०) । ११ सुधारा हुआ। सशोधित (को०) । १२ विशिष्ट । असाधारण (को॰) । स्फुटितचरण-वि० [सं०] १ चौडे और फैले हुए परोवाला २ जिमके पैर फटे हुए हो (को०] । स्फुट'--सज्ञा पु० १ जन्मकुडली मे यह दिखाना कि कौन सा ग्रह किस राशि मे कितने अश, कितनी कला और कितनी विकला मे है। स्फुटी -सज्ञा स्त्री० [भ०] १ पादस्फोट. नामक रोग । पैर की बिवाई २ साँप का फन (को०)। फटना । २ फूट नाम का फल । स्फुटीकरण-सा पु० [स० स्फुट + करण] १ स्पष्ट करना । प्रकट स्फुट'--अव्य ० साफ साफ । स्पष्टत को०] । या व्यक्त करना । २ सशोधन । ठीक करना । सुधारना। स्फुटक-सक्षा पु० [मं०] ज्योतिष्मती लता। मालकगनी। स्फुत्-अव्य० [स०] टूटने या चटचटाने की ध्वनि । स्फुटचद्रतारक--वि० [स० स्फुटचन्द्रतारक] जिसमे चद्रमा और तारि- स्फुत्कर--सज्ञा पु० [म०] वह जिसमे 'स्फुत्' अर्थात् चट् चट् की काएँ प्रकाशित हो । सुव्यक्त चद्र और तारो से युक्त । आवाज हो । अग्नि । प्राग । स्फुटता-सज्ञा स्त्री॰ [स०] स्फुट होने का भाव या धर्म । स्फुत्कार--सज्ञा पुं० [स०] फुफकार । फूत्कार । स्फुटतार, स्फुटतारक--वि० [स०] जिसमे तारे स्पष्ट दिखाई दें। तारो से प्रकाशित [को०] । स्फुर--सज्ञा पुं० [स०] १ वायु । हवा । २ दे० 'स्फुरण' । ३ वर्धन । वृद्धि (को०)। ४ ढाल (को०)। स्फुटत्व-सज्ञा पुं० [स०] स्फुट का भाव या धर्म । स्फुटता। स्फुरण-समा पुं० [सं०] १ किसी पदार्थ का जरा जरा हिलना स्फुटत्वचा-सज्ञा स्त्री० [सं०] महाज्योतिष्मती । मालकगनी। या कापना। २ अग का फडकना । ३ दे० 'स्फूर्ति' । ४ स्फुटध्वनि--सज्ञा पु० [स.] सफद पडुक । एक पक्षी । प्रत्यक्ष या व्यक्त होना (को०)। ५ चमक । दीप्ति । प्रभा स्फुटन-सज्ञा पु० [सं०] १ फटना या फूटना। २ विकसित होना । (को०)। ६ मन मे एकाएक कोई विचार ग्राना (को॰) । खिलना । ३ सधि या जोड का चटकना (को॰) । स्फुरणा--सज्ञा स्त्री० [मं०] अगो का फडकना। स्फुटपुडरीक--वि० [सं० स्फुटपुण्डरीक] खिला हुआ या विकसित स्फुरत्--वि० [स०] चमकता हुअा। दीप्त । प्रकाशित [को॰] । हृदयरूपी कमल [को०)। यौ०--स्फुरदुल्ला = दीप्न एव कपित उल्कापिड । स्फुरदोष्ठ = स्फुटपौरुष - [-वि० [स०] अपनी शक्ति प्रदर्शित करनेवाला (को०] । जिसके होठ फडक रहे हो। स्फुरदोष्ठक = दे 'स्फुरदोष्ठ'। स्फुटफल--सञ्ज्ञा पुं० [म०] १ तुबुरु । २ किसी त्रिकोण का यथार्थ स्फुरद्गध = (१) फैली हुई सुगध । (२) जिससे सुगध फैल क्षेत्रफल (को०) । ३ किसी गणित का मूल फल (को०)। , रही हो। स्फुरति 2-सन्हा स्त्री॰ [स० स्फूति] दे० 'स्फूति' । स्फुटबधनी 1--मझा स्त्री॰ [स० स्फुटबन्धनी] मालकगनी। ज्योतिष्मती। स्फुरनाल-क्रि० अ० [स० स्फुरण] १ कपित होना। हिलना । स्फुटरगिणी-सञ्ज्ञा स्त्री० [स० स्फुट रडिगणी] एक प्रकार की लता २ फडकना। ३ व्यक्त या द्योतित होना । ४ विकसित होना। जिसका व्यवहार औपध मे होता है। खिलना। स्फुटवक्ता--वि० [स० स्फुटवक्त] साफ साफ कहनेवाला । स्पष्ट स्फुरित'-वि० [म०] १ जिसमे स्फुरण हो । २ हिलने या फडकने- बोलनेवाला (को०] । वाला । ३ जो स्थिर न हो । ३ दीप्त । चमकता हुआ (को०)। स्फुटवल्कली--सज्ञा खो० [सं०] ज्योतिष्मती । मालकगना । ४ फूला हुआ या सूजा हुअा (को० । ५ व्यक्त । प्रकट (को०)। स्फुटसार--सज्ञा पुं० [स०] किसी नक्षत्र अथवा ग्रह का वास्तविक स्फुरित'-सज्ञा पुं० [सं०] १ दे० 'स्फुरण' । २ मन का सवेग या आयाम [को०] । विक्षोभ । मानसिक उथल पुथल [को॰] । स्फुट सूर्यगति- [-सज्ञा स्त्री॰ [स०] सूर्य की दृश्यमान गति अथवा सूर्य स्फुर्जथु--सज्ञा पुं॰ [स०] दे० 'स्फूर्जयु' (को०] । की वास्तविक गति [को०] । स्फुल-सज्ञा पुं॰ [स०] १ स्फूति । २ तवू । खेमा। स्फुटा-सबा ली [सं०] साँप का फन । स्फुलन-सञ्ज्ञा पुं० [स०] कपन । फडकना । स्फुरण (को॰] ।