पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/७८

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स्वयंप्रकाशित ५३६० भ्वयंवरा 1 वन्या पुछ उपस्तित स्वयप्रकाशित--वि० [स० स्वयम्प्रकाशित] जो स्वय द्योतित या दीप्त स्वयभूरमण-सा पु० [स० स्वयम्भूगमण] जना के अनुमार अतिम हो। जो खुद प्रकाशमान हो । 'महाद्वीप और समुद्र का नाम । स्वयप्रज्वलित-वि० [सं० स्वयम्प्रज्वलित] जो अपने आप दीप्त या स्वयभृत-वि० [सं० स्वयम्भूत] जो स्वय पुष्ट हो । जो स्वय पापिन हा। जल रहा होगा। स्वयभोज--ससा पुं० [म० स्वयम् मोज] 'भागवत अनुसार राजा शिव स्वयप्रभ'--सज्ञा पुं० [स० स्वयम्प्रम] १ जैनियो के अनुसार भावी २८ के एक पुत्र का नाम । अहतो मे से चीये अर्हत् का नाम । २ दे० स्वयप्रकाश' । स्वयम्रमि-वि० [सं० स्वयम्भ्रमि] स्त्रय चकार ग्राने या घूमने- वाला फिो। स्वयप्रभा--सज्ञा स्त्री॰ [स० स्वयम्प्रभा] १ इद्र की एन अमग का नाम । विशेप--इसे मय दानव हर लाया था और इसके गभ मे उसने स्वयभ्रमी-वि० [सं० म्ययम्भ्रमिन] ३० 'स्मय प्रमि' । मदोदरी नामक कन्या उत्पन्न की थी । जब हनुमान प्रादि स्वयमृत-वि० [सं० स्वयम्मृन] १ जो न्येन्छा ने मग हो। २ प्रा. वानर सीता को दूने निकले थे, तब माग में एक गुफा मे निक मृत्य पानेवाला (को०) । म्वाभाविक मौत पानेवाला (को०) । इससे उनकी भेट हुई थी। स्वयम्लान-वि• [स० स्वयम्लान] जो वय या प्रतिवमान् म्नान हो गया हो। अपने श्राप म्लान या मुरझाया हृया। २ मय की एक कन्या (को॰) । स्वययान-सग पुं० [म० स्वयम्यान] अन्य देश के ऊपर स्यय प्रारमण स्वयप्रभु-वि० [स० स्वयम्प्रभ] जो अपना स्वामी स्वय हो । जो या हमला करना [को०)। स्वय समथ या प्रमु हो। स्वयवर-मक्षा पुं० [सं० स्वयम्बर] १ प्राचीन भाग्न का एक प्रसिद्ध, स्वयप्रभु २--सधा पुं० विधाता। ब्रह्मा [को०] । विधान जिसम विवाह याग्य स्वयप्रमाण-वि० [स० स्वयम्प्रमाण] जो पाप ही प्रमाण हो और व्यक्तियो म से अपने लिये स्वय वर नुनती थी। जिसके लिये किसी दूसरे प्रमाण की आवश्यकता न हो । जैसे,- (क) सीय स्वयवर कथा सुहाइ। सरित गुहावनि सो वेद आदि स्वयप्रमाण है। छवि छाई।-तुलसी (शब्द०) । (ख) जनक विदेह कियो जु स्वयप्रस्तुत--वि० [सं० स्वयम्प्रस्तु] १ जो अपने आपको स्वय प्रस्तुत स्वयवर बहु नृप विप्र बोलाए । तोरन धनुष देव न्यवक का करे। २ स्वय प्रशसित [को०] । पाहू यतन न पाए ।--सूर (शब्द०) । (ग) मारि नाडका यज्ञ स्वयफल-वि० [स० स्वयम्फल] जो पाप ही अपना फल हो और किमी करायो विश्वामित्र मानद भयो । सीय स्वयवर जानि सूर प्रभु दूसरे कारण से उत्पन्न न हुआ हो । को ऋपि ले ता ठौर गयो।-सूर (शब्द०)। स्वयभु' --सज्ञा पुं० [स० स्वयम्भु] १ ब्रह्मा। २ वेद । ३ महादेव । विशेप-प्राचीन काल में भारतीय आर्यों, विशेषत क्षत्रियों शिव । ४ अज। ५ जैनियो के नो वासुदेवो मे से एक । ६ या राजानो में यह प्रथा थी कि जब कन्या विवाह योग्य हा जाती वनमूंग। थी, तब उसकी सूचना उपयुक्त व्यक्तियो के पान भेज दी जाती स्वयभु-वि० जो आपमे आप उत्पन्न हो। अपने आप पैदा होनेवाला। थी, जो एक निश्चित समय और स्थान पर पाकर एकत्र होते थे। स्वयभुव--सज्ञा पु० [स० स्वयम्भुव] १ प्रथम मनु । आदि मनु । दे० उस समय वह कन्या उन उपस्थित व्यक्तिया में से जिसे अपने 'स्वयभुवा' । २ ब्रह्मा । ३ शिव (को॰] । लिये उपयुक्त समझती थी, उसके गले में वरमाल या जयमाल स्वयभुवा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० स्वयम्भुवा] १ तमाकू का पत्ता। शिव डाल देती थी, और तब उसी के साथ उसका विवाह होता था। लिंगी नाम की लता । ३ मापपर्णी। मसवन । कभी कभी कन्या के पिता की ओर से, बलपरीक्षा के लिये, स्वयभूर--सना पुं० [सं० स्वयम्भू] १ ब्रह्मा । २ कान । ३ कामदेव कोई शर्त भी लगा दी जाती थी, और वह शर्त पूरी करनेवाला ४ विष्ण।। ५ शिव । ६ मापपर्णी । ही कन्या के लिये उपयुक्त पान समझा जाता था। सीता जी शिवलिंगी नाम की लता । ८ परब्रह्म । ईश्वर को०] । ६. और द्रौपदी का विवाह इमी प्रथा के अनुसार हुया था। प्रथम मनु । दे० 'स्वाय मुव' । उ०--बहुरि स्वयभू मनु तप यौ०-स्वयवरपति = स्वयवर प्रथा द्वारा चुना हुआ पति । कीनो । ताह को हरिजू वर दीनो ।--सूर (शब्द०) । १० स्वयवरविवाह = वह विवाह जो स्वयवर प्रथा द्वारा पति चुन व्यास का एक नाम (को०)। ११ वुद्ध का एक नाम (को॰) । लिए जाने पर हो। १२ आदि या प्रथम बुद्ध (को०)। १३ प्रत्येक् या प्रत्येक २ वह स्थान, समा या उत्सव जहाँ इस प्रकार लोगो को एकत्र बुद्ध का एक नाम (को०)। १४ जैनो के अनुसार तृतीय कृष्ण करके कन्या के लिये वर चुना जाय । वासुदेव (को०) । १५ अतरिक्ष । व्योम (को०)। १६ स्त्रियो स्वयवरण-सधा पुं० [सं० स्वयम्वरण] कन्या का अपने इच्छानुसार का कुच । स्तन (को०)। अपने लिये पति मनोनीत करना। स्वय वरण करना। विशेप- स्वयभू-वि० १ जो आपसे आप उत्पन्न हुआ हो । २ वुद्ध सवधी। दे० 'स्वयवर-१'। बुद्ध का (को०)। स्वयवरयित्नी-सञ्ज्ञा खी० [स० स्वयम्वरयिनी] वह कन्या जो अपने स० स्वयम्भूत ] जो प्रापसे आप उत्पन्न हुआ हो । पति का चुनाव स्वयमेव करे [को०] । अपने आप पैदा होनेवाला । स्वयवरा-सशा स्त्री० [सं० स्वयम्बरा] वह स्त्री जो अपने लिये स्वय ही स्वयभूत' ---सज्ञा पुं० शिव । शकर (को०] । उपयुक्त वर को वरण करे । अपने इच्छानुसार अपना पति नियत मसवन। स्वयभूत-वि०