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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/१४४

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परितप्त २०५५ परिदग्ध परितप्त-वि० [सं०] १ तपा हुमा । अत्यत गरम । जलता हुआ । परितोषक-सज्ञा पुं० [सं०] परितोष करनेवाला । सतुष्ट करनेवाला। २ क्लेश का अनुभव करता हुआ । दुखित । सतप्त । प्रसन्न या खुश करनेवाला । परितप्ति- सच्चा स्त्री० [सं०] १ तपन । जलन । दाह । गरमी । २. परिवोषण-सज्ञा पुं० [सं०] परितुष्टि । सतोप । दु ख । क्लेश । व्यथा । मनस्ताप । परितोषवान्-वि० [ सं० परितोपवत् ] परितोपयुक्त । सतुष्ट । परितकण-सचा पुं० [सं०] मनोयोगपूर्वक विचार । विशेष रूप से परितुष्ट । विमर्श करना [को॰] । परितोषी-वि० [सं० परितोपिन् ] सतोषशील । सतोषी । परितर्कित -वि० [सं०] १ सभावित । सभावनायुक्त । २ परीक्षित। परितोस-सञ्ज्ञा पुं० [सं० परितोष ] दे० 'परितोष' । निर्णीत (को०] । परित्यक्त-वि० [सं०] १ जो त्याग दिया गया हो । जो छोड दिया परितपण-सज्ञा पुं० [ म० ] सतुष्ट करना । प्रसन्न करना। तृप्त गया हो । २. छोडा, फेंका, निकाला या दूर किया हुआ। करना [को०] । परित्यक्ता'-सज्ञा पुं० [स० परित्यक्तृ ] परित्याग करनेवाला । परिताप - सच्चा पुं० [ स०] १ अत्यत जलन । गरमी । पाँच । ताव । त्यागने, छोहने या फेंकनेवाला । २ दु ख । क्लेश । पीडा । व्यथा । दर्द । तकलीफ । ३ मान- परित्यक्ता-वि० स्त्री० [परित्यक्त का स्त्रो०] त्यागी हुई । छोडी हुई। सिक दुख या क्लेश । सताप । मनस्ताप । क्षोभ । उद्वेग । परित्यजन-सज्ञा पुं० [स०] परित्याग की क्रिया । त्यागना । रज। ४ पश्चात्ताप । पछतावा । उ०-अपने समय के नष्ट छोडना । फेंकना । निकालना । होने का परिताप होता है। -प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ० ४४६ । ५ भय । डर । ६ कप। कंपकंपी। ७ एक विशेष नरक परित्यज्य-वि० [स०] परित्याग के योग्य । फेंकने, छोडने या निकालने योग्य । का नाम। परितापक-वि० [सं०] क्षोभक । तापक । कष्टदायी। दुखद । परित्याग-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ त्यागने का भाव । त्याग । २ उ०-वेदना का स्वभाव विषय के आह्लादक, परितापक निकालना। अलग कर देना । छोडना । ३ यज्ञ । याग और इन दोनो प्राकारों से विविध स्वरूप का अनुभव करना (को०) । ४ अलगाव । जुदाई (को०)। ५ औदार्य । उदा- है।-सपूर्णा० अभि० न०, पृ० ३४७ । रता (को०)। परितापित -वि० [सं०] सतापित। परितप्त । पीडित । तपाया परित्यागना-क्रि० स० [स० परित्यजन] छोड देना । त्याग देना। हुमा । उ०-अब भी चेत ले तू नीच । दु ख परितापित घरा परित्यागी-वि० [सं० परित्यागिन् ] परित्यागशील । त्याग करने- का स्नेह जल से सींच । -राज्यश्री, पृ० ४८ । वाला । छोडनेवाला । परितापी-वि० [ स० परितापिन् ] १ जिसको परिताप हो। परि- परित्याजन-सज्ञा पुं० [सं०] परित्याग को क्रिया । छोडना । तापयुक्त । दुखित या व्यथित । २ जलता हुा । अत्यत ताप निकालना। युक्त । ३ परितापकर्ता । पीडा देनेवाला । सतानेवाला । परित्याज्य-वि० [सं०] परित्यागयोग्य । त्यागने या छोड देने के उ.-कृपारहित हिंसक सब पापी। बरनि न जाइ विश्व योग्य । खारिज करने के काबिल । परितापी।-मानस, १२१७६ । परित्रस्त-वि० [सं०] अधिक भयभीत । अत्यत त्रस्त । विशेष परितापी-सच्चा पुं० [स०] परितापकर्ता या पीडा देनेवाला व्यक्ति । डरा हुआ [को०] । उत्पीडक । सतानेवाला। परित्राण-सज्ञा पुं॰ [ स०] १ किसी की रक्षा करना, विशेषत ऐसे परितिक्त'-वि० [स० ] अक्ष्यत तीता । बहुत तिक्त । समय मे जब कोई उसे मार डालने को उद्यत हो। बचाव । परितिक्त'-सशा पु० नीम । निव । हिफाजत । रक्षा । २ प्रात्मरक्षण । अपनी रक्षा । ३ शरीर परितुष्ट-वि० [सं०] १ खूब सतुष्ट । जिसका पूर्ण रीति से सतोष के बाल । रोगटे । ४ पूर्णत रक्षण या बचाव (को०)। ५ हो गया हो । २ प्रसन्न । खुश । पनाह । शरण । पाश्रय (को॰) । परितुष्टि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ परितुष्ट होने का भाव । सतुष्टता। परित्रात-वि० [ स० ] जिसकी रक्षा की गई हो । रक्षाप्राप्त । सतोष । परितोष । २ प्रसन्नता । खुशी। परित्रातव्य-वि० [ म०] रक्षा करने योग्य । परिरक्षितव्य (को॰) । परितृप्त-वि• ] स० ] अघाया हुआ । सतुष्ट । तृप्त । परित्राता-सञ्ज्ञा पुं० [स० परित्रातृ ] परिवारणकर्ता । रक्षक । करनेवाला। बचानेवाला । परितृप्ति-सक्षा नी० [सं०] अघाना । सतुष्टि । तृप्ति । परित्रायक-सज्ञा पुं० [सं०] परित्राता । रक्षक । रक्षा करनेवाला । परितोष-सचा पुं० [सं०] १ संतोष । तृप्ति । उ०-व्रजप्रसाद को पूरन पोष। रसबस लह्यो प्रान परितोष ।-घनानद, पृ० परित्रास-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] विशेष भय । बहुत डर कि० । ३०६ । २ प्रसन्नता । खुशी। वह प्रसन्नता जो किसी विशेष परिदशित-वि०[सं०] वक्तर से भली भांति ढंका हुा । जिरहपोश। अभिलापा या इच्छा के पूर्ण होने में उत्पन्न हो। परिदग्ध-वि० [स०] अत्यत जला हुआ । झुलसा हुप्रा [को०] । रक्षा