पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/१६३

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परी 1 २५७२ परीक्षित गगन ते, परी परी सी दुटि । घरी धाय पिय बीच ही, करी परीक्षार्थी-सज्ञा पुं॰ [ म० परीक्षार्थिन् ] १ परीक्षा देनेवाला। २ खरी रस लूटि।-बिहारी (शब्द०)। विद्यार्थी । परीक्षा देने के लिये विद्याध्ययन करनेवाला विशेष-इनका सारा शरीर तो मानव स्त्री का सा ही माना छात्र [को०] । गया है पर विलक्षणता यह बताई गई है कि इनके दोनों कंधों परीक्षित-वि० [सं०] १ जिसकी जांच की गई हो। जिसका पर पर होते हैं जिनके सहारे ये गगनपथ में विचरती फिरती इम्तहान लिया गया हो। कसा, तपाया हुमा। २ जिराकी हैं। इनकी सुदरता, फारसी, उर्दू साहित्य में प्रादर्श मानी प्राजमाइश की गई हो। प्रयोग द्वारा जिसकी जांच की गई गई है, केवल बहिश्तवासिनी हूरो को ही सौंदर्य की तुलना हो । ममीक्षित । समालोचित । जिसके गुण प्रादि का अनुभव में इनसे ऊँचा स्थान दिया गया है। फारसी, उर्दू की कविता किया गया हो । जैसे, परीक्षित प्रौषध । में ये सुदर रमणियो का उपमान बनाई गई हैं । परीक्षित-सज्ञा पुं० [सं० परीचित् ] १ अर्जुन के पोते और मभि- यौ०-परीजमाल । परीजाद। परीपैकर । परीबद। परीरू= मन्यु के पुत्र पाडूकुल के एक प्रसिद्ध राजा । परी की तरह । मत्यत सु दर । विशेष-इनकी कथा अनेक पुराणों में है। महाभारत में इनके २ परी सी सु दर स्त्री। परम सु दरी । भत्यत रूपवती । निहा- विषय में लिखा है कि जिस समय ये अभिमन्यु की स्त्री उत्तरा यत खूबसूरत भौरत । जैसे,—उसकी सुदरता का क्या कहना, के गम में थे, द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने गर्भ में ही खासी परी है। इनकी हत्या कर पाडुकुल का नाश करने के अभिप्राय से परी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं० पलिघ, हिं० पली ] दे० 'पली'। ऐपीक नाम के अस्त्र को उत्तरा के गर्भ में प्रेरित किया परीक्षक-सशा पुं० [ स०] [त्री० परीक्षिका ] परीक्षा करने या जिसका फल यह हुमा कि उत्तरा के गर्भ से परीक्षित का लेनेवाला। पाजमाइश, जाँच या समीक्षा करनेवाला। इम्त झुलसा हुआ मृत पिड बाहर निकला। भगवान कृष्णचद्र को हान करने या लेनेवाला । परखने या जांचनेवाला । पाडुकुल का नामशेष हो जाना मजूर न था, इसलिये उन्होंने परीक्षण-सञ्ज्ञा पुं० [स०] [ वि० परीक्षित, परीक्ष्य ] परीक्षा की अपने योगवल से मृत व्रण को जीवित कर दिया। परि- क्रिया या कार्य। देख भाल, जाँच, पड़ताल पाजमाइश या क्षीण या विनष्ट होने से बचाए जाने के कारण इस वालक इम्तहान लेने की क्रिया या कार्य । निरीक्षण, समीक्षण का नाम परीक्षित रखा गया। परीक्षित ने महाभारत युद्ध मथवा पालोचना। मे कुरुदल के प्रसिद्ध महारथी कृपाचार्य से भस्लविद्या सीखी परीक्षना-क्रि० स० [सं० परीक्षण ] परीक्षा करना। परीक्षा थी। युधिष्ठिरादि पाडव ससार से भली भांति उदासीन हो चुके थे और तपस्या के अभिलाषी थे। मत वे शीघ्र ही लेना। उन्हें हस्तिनापुर के सिंहासन पर बिठा द्रौपदी समेत तपस्या परीक्षा-सचा स्त्री॰ [स०] १ किसी के गुण दोष मादि जानने के करने चले गए। राज्यप्राप्ति के अनतर कहते हैं कि गगातट लिये उसे अच्छी तरह से देखने भालने का कार्य। निरीक्षा । पर उन्होंने तीन अश्वमेघ यज्ञ किए जिनमे प्रतिम बार देव- समीक्षा । समालोचना ।.२ वह कार्य जिससे किसी की तामो ने प्रत्यक्ष पाकर बलि ग्रहण किया था। योग्यता, सामर्थ्य आदि जाने जायें । इम्तहान । इनके विषय मे सबसे मुख्य बात यह है कि इन्हीं के राज्यकाल क्रि० प्र०—करना ।-देना।-लेना। में द्वार का प्रत और कलियुग का भारभ होना माना जाता ३ वह कार्य जो किसी वस्तु के संबंध में कोई विशेष वात निश्चित है । इस सवध में भागवत मे यह कथा है-एक दिन राजा करने के लिये किया जाय । पाजमाइश । अनुभवार्थ प्रयोग । परीक्षित ने सुना कि कलियुग उनके राज्य में घुस भाया है ४ मुपायना। निरीक्षण । जाँच पडताल । ५ किसी वस्तु और अधिकार जमाने का मौका हूँढ रहा है। ये उसे अपने के जो लक्षण माने या जो गुण कहे गए हो उनके ठीक होने न राज्य से निकाल बाहर करने के लिये ढूढने निकले। एक होने का प्रमाण द्वारा निश्चय करने का कार्य । ६ वह विधान दिन इन्होने देखा कि एक गाय और एक बैल मनाथ मौर जिससे प्राचीन न्यायालय किसी विशेष अभियुक्त के अपराधी कातर भाव से खड़े हैं और एक शूद्र जिसका वेष, भूषण और या निरपराध अथवा विशेष साक्षी के सच्चे या झूठे होने का ठाट वाट राजा के समान था, डडे से उनको मार रहा है। निश्चय करते थे। वैल के केवल एक पैर था, पूछने पर परीक्षित को बैल, गाय विशेष-अभियुक्त की परीक्षा को दिव्य और साक्षी की परीक्षा और राजवेषधारी शूद्र तीनो ने अपना अपना परिचय दिया। को लौकिक परीक्षा कहते थे । दिव्य परीक्षाएं कुल नौ प्रकार गाय पृथ्वी थी, बैल धर्म था और शूद्र कलिराज। धर्मरूपी की होती थी। दे० 'दिव्य'। इनमें से अभियुक्त को उसकी वैल के सत्य, तप भोर दयारूपी तीन पैर कलियुग ने मारकर अवस्था, ऋतु आदि के अनुसार कोई एक देनी होती तोड डाले थे, केवल एक पैर दान के सहारे वह भाग रहा थी। लौकिक परीक्षा में गवाह से कई प्रकार के प्रश्न किए था, उसको भी तोड डालने के लिये कलियुग बराबर उसका जाते थे। पीछा कर रहा था। यह वृत्तांत जानकर परीक्षित को कमि- रोक्षार्थ-भव्य० [सं०] परीक्षा के निमित्त । परीक्षा के लिये [को०] युग पर बड़ा क्रोध हुआ और वे उसको मार डालने को उपव