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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/२४५

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पाना २१५४ पाप' FAना में भी यति जोदित न पानीयफल -17 पु० [सं० ] मन्माना । ५. 774,---, नामलेश रहा न पानीयमूलक-सप पुं० [सं०] बकु बी । पानीयवर्णिका-सा पी० [स०] बालू । 1- “.. मिर गुदगेत्र से दिल्ली पोर पानीयशाला-रामी० [२०] यह स्थान जहाँ प्यासो को पानी पिलाया जाता है। जलसम । पौसरा।प्यान।


11रिपोर र पनटनेवारे युद्ध हैं।

पानीयशालिका-परा रही [ 0] 'पानीपशाला' । निमें सामानमा युद्ध हुदापा। पानीयामलक -Hश पुं० [] पानी विता। 31ो गुहीन गोगाव. ददनी के पात Truri T7 में TTITI घमा गारम हुमा । पानीयानु-मस पुं० [10] पानी पालू नाम कद । यह त्रिदोप- 14 तो मैदान में मोगनी हाय नाशक और तृप्तिकारक माना जाता है। r:23 मामी गा दुद इसी पर्या० - अनुपालु । जलालु । पालु । श्रपालुक । या पापोर मार फिर स्पादित होते होने पानीयारना -सरा गी० [सं०] एक प्रकार की पारा । वल्वजा । पानृस- या पुं० [पा० फानूस ] २० 'फानग' । उ०-बाल पानीपोट . . . . ! पानt - पो] नुमनाधार पानी । सचोली तिया में बैठी पापु छिपाइ। परगट ही पानूम सी गिर पाना परि पानी पोट । परगट होति लबाद।-विहारी र०, दो० ६०३ । पानी-रारा पुं० [हिं०] २० 'पानी' । उ०-जुग जुग विरह पार पानी न पिंपा। यहे चलि मायौ, भक्तनि हाथ विकानी । राजसूय में चरन पानीपल - ifr पानी न ] एमार दी पटी पगारे श्याम लिए कर पानी ।-सूर०, १११ । पतिका सीन से माा 477 नयी होती है। पानीरा-गा पुं० [हि०पान + बरा ] पान के पत्ते की पाती। उ०-पानीग, रापता, पोरी । मोरी मुंगछी सुठि इयर -गानी गहममें साईलिए भरे रग के छोट सोगे।-सूर (शब्द॰) । HTT) • तु में यह मजीदा इमफे फल पान्यो--० [हिं०] पानी । जल । रामगधि के भर में प्यपहार होगा पान्दर-राशा ० [10] एक प्रकार का सरपत । 14. पोर मानिस मामपा मोर 17 नो में पाई जाती।। दो मुगन भी पाप-सा पं० [म.] १ यह गर्म जिमग फन इम लोक मौर पग्लो मे अशुभ हो। यह पानपण जो अशुभ पटष्ट उत्पन्न मरे । या या मध पात करनेवाला वर्मऐमा फाम जिसका पानी -- • - [11.57 । ३०-व-सि प्रेम पानीय परिणाम कर्ता के लिये उस हो। व्यक्ति और समाज के लिये 21. निगम । ---नपन०, ना. १, पृ० अहितगार पापरण। धर्म या पुण्य पा उलटा। चुरा काम । 19२. मगर (मप्र)। निदित शाम । प्रवन्पारणकर वर्म। प्रनाचार गुनाह । पानगर-1ोपांना गमके। २ रक्षा करने पर्या-धर्म। दुष्ट । पा । फिस्विप । करमप । गृजिन । -17-। पारनेपा। ९०-मामा- पम् । अच। पाम् । दुष्टन । पातक । शक्यक । पापक । सोनिमी। मन मोट गरि विशेष-जिस प्रकार पाप गर्म पा करना पाप है. उसी 1:18 77galdi (Foze) प्रकार परम्प पतन्य गान करना भी पाप है। धर्मशास्त्रा- [+]' में निपा, एमारमदी, गुपार निपिन का अनुदान मोर विहित नमों का ९.मी. सामाहिर घोपषियी पनाष्टान, दोनों ही पार। पापा पन पतन पोर दुग ... Errm 10 परमा, है। वर कर्माता पोरदमो मे ग्रहित करता है। पानी से - मादिगोदर नारा जर्ग गाने ना भी पापनामी योर दुपमा पपिाग होगा। प्रायशिन और भोगनीती शामों से तापमा नियमित मानी गई। शिबी में मसार रोनापियो न तो मोगा मानो मो नरस पौर पनि म प प्रा रोगजोर भादि प्रार उमगा । मनिटान THIT पासे पार जिनमें ग- मानमराही टोt 17, मान, ममानिसमा 1