पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/२४७

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२६५६ पापमति ! जाती है । हामीलपरी पीलापन लिए सफेद होती है मौर घर, मंगहे तथा गाडियो के बनाने में काम पाती है। - पाने हो। प्रम या प्रभा पापदर्शा-० [M० पापदशिन् ] चुरी नीयत या निगाह । देनेवाला । अनिष्ट करने की इच्छा से देखनेवाला। पापहष्ट-० [सं०] १ जिसगी ष्टि पापमय हो। २ प्रशुभ या समगल रहिवाला। जिसकी दृष्टि पड़ने से हानि पहुंचे। [+] मा ,राघौर शवर निदितरष्टि । पापधी- [१०] जिसकी बुद्धि पापमय प, मा पम पचा मूग की या पापासक्त हो। पापमति ! पापचेता। निदित या दृष्ट बुद्धिवाला। 1. मीनपाती। पापनक्षत्र - ना. पुं० [ग] फलित ज्योतिष मे ज्येष्ठा प्रादि पुष Fi:27. If पि पो पाट यो पेने, नक्षत्र जो बुरे या निदित माने जाते हैं। मा नोट मिले ?ए पानी में गूपते पापनापित-- पुं[म.] यह नापित जो पूर्त हो [को०] । .i-E-र,ग, मिचि मसाला देक- और "1" - गदि मे पटते हैं। अच्छी पापनामा-वि० [सं० पापनामन ] १ जिसका नाम बुरा हो। प्रमगस या अभद्र नामवाला । २ वदनाम । अपफीतियुक्त । ":"17 संग पे बार बार पी लोई पसे जिसकी निंदा या बदनामी हुई हो। , रन । किराया मे मुगाकर HT परे दो घी माल में तलते या पापनासक-वि० [म.] पापो का नाश करनेवाला [को०) । ET" "पाट दो प्रसार पा होता है- पापनाशन-सा पुं० [सं.] १ यह जो पाप का नाश करे । पाप का FOTA, पाक में देवल नमर, जीग नाश करनेवाला । पापनाशी। २ वह फर्म जिससे पाप या लिमये, मोरया भी पो मात्रा मे। परतु नाश हो । प्रायश्चित्त। ३ विष्णु। ४ शिव । ५ पापनाथ -11 रे जाते हैं पर उनकी मात्रा या भाव प्रयवा किया। पाप का नाश होना या करना। ofirm। निम्नी, घाTT, मिर्जापुर मादि नगरी पापनाशिनी-नागा पु० [सं०] १ शमीवृक्ष । २. कृष्ण तुलमी। गापा-में गिर। प्रय र सपने मादि मे पापनिश्चय-वि० [स०] जिसने पाप करने का निश्चय किया हो । भी पार को लगा।पो, विशेषत नागरिव पाप करने को गृतरायल्प । दुष्कर्म करने का निश्चय करने F-7 में : एरापमा पजन है। वाला । मोटा काम करने को तैयार । -~-पार बनमा - (१) पटोर परिश्रम ना । भारी पापनिप्कृति-मरा ली [सं०] प्रायश्चित्त [को०] । अमली मिन मग्नामे,-पापने रिसो frm में मार इतने पापट येमें' (२) पापपीत-सा पुं० [सं०] उपपति । जार । मेदिन मारा | यारा में पारद येना= पापपुरुप-रारा पुं० [सं०] १. पापमय पुरुप । पापप्रकृति पुरुष । ...मर पुराना का मामटा गुरना। दुष्ट । २ तत्र में माना हुमा एफ पुरुष जिसके सपूर्ण शरीर का उपादान पेनल पाप होता है। पार'-11.47 मानुष । विशेष-इसके सिर से लेकर रोएं तक सपूर्ण मग प्रत्यंग गिगी ' पट ! तो मारमा एप पेट जो न दिनी महापातर या उपपातक से बने माने जाते हैं । इसरा -:19 -17 tar, वर्ण गाजल की तरह काता और मामें लाल होती है। यह सर्वदा युद्ध पोर तसगार पोर दान लिए रहता है। +AT: मारा पीनामा लिए पासफल-वि-[म०] वर (प) जिरामा पत्र पाप हो । पापोसादा। मगी। मगे मापी मशुभ फल देनेवाला। ht: 22. - गुलाम मी पापयुद्धि-वि- [4] पापी । सदा पाप गर्म में लगा रहने वाला ।। पापभरण-पु. [सं०] पालमैग्य । पापमान-- [२० पापभान ] पापो ! पाप मरनेवासा (०। 5. 5-7: 31 gr पापमाय-- [v]" 'पामनि' [२०] 1 (J- rARAT पापमशि-१ [+] किती मात्र गदा साप मेग। पापरदि। Sherri? पारपेठा । ३०-ऐगे गमगात ही जहा पायौ नग TIT- म1ि-०६०, पृ० २२५ ।