पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/२६२

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पारी २६७१ पार्थिवपुत्र समूह । ३ हाथी के पैर की रस्सी। ४ पुष्प रज । पराग पार्टिशन- सञ्ज्ञा पुं० [अ०] बांटने या विभाग करने की क्रिया । क्सिी चीज के दो या अधिक भाग या हिस्से करना। विभाग। (को०) । पारी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [फा० या ? ] जहाज के मस्तूल के नीचे का बँटवारा । जैसे बगाल पार्टिशन । पार्टिशन सुट । भाग । (लश.)। पार्टी-सज्ञा स्त्री॰ [१०] १ मडली । दल । २ पक्ष । ३ दावत । पारीक्षित-सञ्ज्ञा पुं० [ स०] १ परीक्षित का पुत्र या वशज । २ भोज । जनमेजय । ३ परीक्षित राजा [को०] । क्रि० प्र०-देना। पारीण-वि० [सं०] १ दूसरी पोर होने या दूसरी पोर जानेवाला । पार्टीबंदी-सज्ञा स्त्री० [अ० पार्टी + फा० बंदी ] । दलबदी। २ किसी विद्या मे पारगत । किसी विषय का पूर्ण ज्ञाता । गुटबाजी। ३ पूरा करनेवाला। समाप्त करनेवाला [को०] । पाण-वि० [सं०] १ पत्तो का बना हुआ ( कुटी आदि ) । २ पारीणाय-सज्ञा पु० [स०] दे० 'पारिणाह्य' [को०] । पत्तियो से प्राप्त (कर) । ३ पत्तो से सबधित [को०] । पारोय'-वि० [स०] पूर्णज्ञाता । पारगत [को०] । पार्थ-सज्ञा पुं॰ [ स०] १ पृथ्वीपति । २ (पृथा का पुत्र) अर्जुन । पारीय-वि० [स० पार+ईय (प्रत्य॰)] पार का । नदी या समुद्र ३ युधिष्ठिर और भीम। के उस पार स्थित । जैसे, समुद्रपारीय देश । विशेष-कुती का नाम 'पृथा' भी था इसी से कुती की तीन पारीरण-सज्ञा पुं॰ [#०] १ क्छु मा । २ डहा । छडी (को०) । ३ सतानो में से प्रत्येक को 'पार्थ' कहते थे । प्रकार का पहनावा । एक पोशाक (को॰) । ४ अर्जुन वृक्ष । पारीश-मज्ञा पुं॰ [स०] पारिस पीपल का पेड । पार्थक्य-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. पृथक् होने का भाव । भेद । २ पारु-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं.] १ अग्नि । २ सूर्य । जुदाई । वियोग। पारुष्ण-सज्ञा पु० [स०] एक पक्षी को०। पार्थव'-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ पृथु होने का भाव । भारीपन । २ पारुष्य-सशा पुं० [स०] १ वचन की वाठोरता । वाक्य की अप्रियता। बहाई । विशालता। ३ स्थूलता । मोटाई। बात का कडवापन। २ परुषता । रुखाई । ३. इद्र का वन । पाथव-वि० पृथु सबधी। ४ अगर । ५ वृहस्पति । पारेरक - सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] एक प्रकार की तलवार या कटार । पार्थसारथि-सञ्चा पु० [सं०] १ अर्जुन के सारथी, कृष्ण । २ मीमासा के एक प्राचार्य [को॰] । पारेवल- सझा पुं० [हिं०] दे० 'परेवा' । उ०—लप एक लष्प लण्या पार्थिव-वि० [ स०] १ पृथिवी सबधी । २ पृथ्वी से उत्पन्न मुहा पारेवह जिन पष लिय ।-पृ० रा० ११ । ५। पारेवत-सज्ञा पु० [सं०] एक प्रकार का खजूर । पृथिवी का विकार रूप । जैसे, पार्थिव शरीर । ३ । प्रादि का बना हुआ । ४ सासारिक । ससार सवधी (को०) परेवा-सक्षा पु० [हिं०] परेवा । पक्षी। उ०—स देसउ जिन ५ गजा के योग्य । राजसी । ६ पृथिवी का शासक (को०) पाठवइ, मरिस्य' हीया फूटि। परेवा का झूल जिउ', पडिन ई पांगणि बेटि । - ढोला०, दू० १४३ । पार्थिव-सञ्ज्ञा पुं०१ राजा । २ तगर का पेड । ३ एक सवत्सर परोकियौँ- सशा स्त्री॰ [स० परकीया ] दे० 'परकीया' । उ०- ४ मगल ग्रह । ५ मिट्टी का वर्तन । ६ पृथिवी पर रहने वाले प्राणी । सासारिक जीव (को०) । ७ शरीर । देह (को० वीजुलियाँ परोकियां नीठ ज नीगमियाह । अजइ न सज्जरण ८ पार्थिव लिंग । मिट्टी का शिवलिंग जिसके पूजन का 46 वाहुणे बलि पाछी बलियाह ।-ढोला०, दू० १५३ । फल माना जाता है। पारोक्ष-वि० [ स० ] अस्पष्ट । रहस्यमय । पार्थिव आय-सशा स्त्री॰ [मं० ] जमीन को आमदनी । मालगुजार पारोक्ष्य-सज्ञा पुं० [सं०] मेद । रहस्य [को॰] । लगान । पारोवर्य-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] परपरा [को०] । पार्फ-संज्ञा पुं० [अ० ] वडा बगीचा । उपवन । पार्थिवकन्या-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० ] राजपुत्री । राजकुमारी [को० । पार्घट-सज्ञा पुं० [स०] राख । भस्म । पार्थिवता-सचा स्त्री० [सं० पार्थिव +ता (प्रत्य०) ] धरती पाजेन्य-वि० [स०] पर्जन्य सबधी । वर्षा सबधी (को॰) । उत्तन्न होने का भाव । लौकिकता । उ०-दूसरी पोर उन पाधिवता धरती के उस गुरुत्व से बंधी हुई है जो आज पार्ट-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] १ नाटकांतर्गत कोई भूमिका या चरित्र जो किसी अभिनेता को अभिनय करने को दिया जाय । पहली आवश्यकता है। -अपरा, पृ० ६ । भूमिका । जैसे-उसने प्रताप सिंह का पावडी STHAI पार्थिवनदन-सञ्ज्ञा पु० [सं० पार्थिवनन्दन ] सूर्य [को०)। किया। २ हिस्सा । भाग । जैसे-आज कल वे सभा सोसाइ- पार्थिव नंदिनी-सशा श्री [सं०] राजा की पुत्री । । टियों में पार्ट नहीं लेते। ३ (पुस्तक का ) खड। भाग । कुमारी [को०] । हिस्सा। पार्थिवपुत्र-सञ्ज्ञा पुं० [ स०] सूर्य [को०] । --