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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३१४

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पोत 1 २०२३ पोतदुग्धा क्रम। उ०-कुल महिमा वरण कवण बुध बल पीढीवध । पीतयुप्माड-मा पुं० [सं० पीतकु'माण्ड ] युम्हहा । पोला -रा०रू०, पृ०१०। कुम्हडा जिसकी तरकारी खाई जाती है। पीत'- वि० [स०] [वि० पी० पीता] १ पीला। पीतवर्णयुक्न । २ पीतकुसुम-7 पुं० [ म० ] पीली कटस रेया । भूरा ग । कपिलवणं (क्व०)। पीतवेदार-मा । [ स०] एक प्रकार का धान । पीत-वि० [म० पान] १ पिया हुआ। जिसका पान किया गया पीतगध-T पुं० [स० पीतगन्ध ] पीला पदन । हरिचदन । हो । २ जिसने पी लिया हो। जिसने पान कर लिया हो पोवगधक-मज्ञा पुं॰ [ म० पीतगन्धक गधक । (को०) । ३. सोखा हुआ (को०)। ४. पूर्ण रूप से भरा हुपा पतघोषा-सा ।। [ स०] एक प्रकार की तुरई । २ पीले फूल (को०) । ५ सिंचित । जल से मौंचा हुघा (को॰) । वाली घोपा नाम की एक लता (को॰) । पीत'-सज्ञा पुं० [म०] १ पीला रग। हल्दी का रग। २ भूरे रग पीतचचु-सज्ञा पुं० [सं० पीतच ] एक प्रकार का शुक जिसव का। कपिल। ३ हरताल । ४ हरिचदन । ५ कुसुम । बोच पीली होती है [को०)। ६. अकोल या ढेरे का पेड। ७ सिहोर का पेड। ८ धूप- सरल । ६ वेंत । १०. पुखराज। ११ तुन । नदिवृक्ष । पोतचदन-सज्ञा पुं॰ [ स० पीतचन्दन [ १. द्रविडदेशीय पीले र का चदन । हरिचदन। १२ एक प्रकार की सोमलता। १३ पीली कटसरेया। १४ पदमाख । पमझाष्ठ । १५ पीला खस । १६ मूगा। विशेष-वैद्यक के अनुसार यह शीतल, निक्त, तथा कुष्ठ, श्लेष् १७ सोना। सुवर्ण (को०)। १८ वल्कल (को०)। १६ कडु, विचत्रिका, दाद और कृमि का नाशक और का चक्रवाक (को०)। २०. इद्र (को०)। २१ मेढक (को॰) । २२ गरुड (को०)। २३ गोमूत्र (को०)। २४ शुकचचु । पर्या०-हरिच दन । पीतगध । कालेय। कालीय । फालीयन पीताभ । हरिप्रिय । माधवप्रिय । पीतक । पीतकार मैना की चोच (को०) । २५ कणिकार । कनेर (को०)। २६. चर्वर । कालसार । कालानुसायंक । कलयक । चपक । चपा (को०)। पोत-सशास्त्री० [हिं०] २० 'प्रीति'। उ०—तम ग्रासक या २ हरिद्रा । हलदी (को०) । ३ फुकुम । केशर (को॰) । दीप मै पूरित पीत सनेह । वाती विसद हुतास पितु ललित पीतचपक-मज्ञा पुं० [म० पीतचम्पक ] १ पीली चपा । २ दीय प्रदीप । चिराग। तासु की देह ।-दीन० ग्र०, पृ० १७४ । पीतकंद-सज्ञा पुं॰ [ म० पीतकन्६ ] गाजर । पीतचोप-पशा पु० [ म० ] टेसू । पलास का फूल । पीतक-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ हरताल । २ केसर। ३ अगर । ४ पीतमिटी-मशा सी० [ म० पीतझिएटी] १ पीले फूलवाली पद्माख । ५ सोनामाखी। ६ नदिवृक्ष । तुन । ७ विजय- सरेया । २एक प्रकार की कटाई। सार। ८ सोनापाठा । ६. हलदुा। दरिद्र । १० किंकि- पीततडुल -सगा पु० [सं० पीततण्डुल ] १ फागुन वृक्ष । कंगु रात। ११ पीतल । १२ पीला चदन। १३ एक प्रकार का २ साल वृक्ष । बबूल । १४ शहद । १५ गाजर । १६ सफेद जीरा । पीत- पीततडुलिका-सा मी० [सं० पीततरहुलिका ] माल वृक्ष । जीरक । १७ पीली लोव । १८ चिरायता । १६ चदन । पोतक-वि० पीला। पीले रंग का । पीतवर्ण। पीतता-सशा पा[स०] पीत का भाव । पीलापन । जी। पीतकदली-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] सोनकेला । स्वर्णकदली। चपक- पीततुड -- मा पु० [ स० पीततुण्ड ] चया पक्षी । कारडव पक्षी कदली। पीततेला-नज्ञा सी० [म०] १ ज्योतिष्मती। मालकंगनी पीतकट्ठम- पु० [ स०] हलदुप्रा । हरिद्रवृक्ष । वढी मालफंगनी । महा ज्योतिष्मती। पीतकरवोरक-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] पीला कनेर । पीले फूल की केना। पीतत्व-सज्ञा पुं॰ [ म० ] दे० 'पीतता' । पीतका-पजा सी० [०] १ क्टसरेया।२ हलदी। पोदतता-तज्ञा स्त्री० [सं० पोतदन्तता] दांतो का एक पोतकावेर-सज्ञा पुं॰ [स०] १ केसर । २ पीतल । रोग जिसमे दांत पीले हो जाते हैं। पीतकाष्ठ-सा पु० [म०] १ पीला चदन । २ पद्माख । पीतदारु-या पु[म.] १ देवदार । २ पुर । नाल । ३ पीतकीला-राजा जी० [स०] आयतं की लता। भागरत वल्ली। दी। ५ चिरायता । ६ गायकरज । पीतकुरवक-मला पुं० [स] पीली कटसरेया। पी. [10] वौद्धो के एक देवता। पोतकुरुट-सशा पुं० [ मं० पीतकुरण्ट ] पीली कटसरैया । , [म०] १ एक प्रकार यी गटहरी पीतकुष्ठ- पुं० [सं०] पीले रंग का कुष्ठ रोग दो०] । केटकाटा। मेंटना। ३ विशेप-भगिनीगमन के पाप से इस रोग का होना कहा गया ला। ४ वह गाय जो यूर से है। यया-भगिनीगमनेनय पीतकुष्ठः प्रजायते । पदाता को दी गई हो (ले०) या मर्ज वृक्ष 1