पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३३२

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पुतरा पुण्य' ३०४१ पुण्य-वि० [ स०] १. पविन । २. शुभ । अच्छा । भला । ३ धर्म पुण्यफल-सया पुं० [ स०] १ पुण्य कर्मों का फल । २ वह व विहित । जैसे, पुण्य काय । ४ गुणयुक्त (को०) । ५ न्याय जिसमें लक्ष्मी निवास करती है (फो०) । सगत (को०)। ६. अनुकूल । रचि के अनुसार (को०) । सु दर । पुण्यभाक्-वि० [म० पुण्यभाज] पवित्र व्यक्ति । पवियात्मा [को० प्रिय (को०) । ७ मीठी या मधुर (गध) । ८ गभीर (को०) । पुण्यभू, पुण्यभूमि-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ प्रार्यावर्त देश । पुण्य-सञ्ज्ञा पुं० १ वह कर्म जिसका फल शुभ हो। शुभादृष्ट । पुत्रवती स्त्री। सुकृत । भला काम । धर्म का कार्य । जैसे,-दीनो को दान पुण्ययोग-सज्ञा पुं० [०] पूर्व जन्म मे किए ६ए पुण्य कर्मों देना वडे पुण्य का कार्य है। फल [को०] । क्रि० प्र०—करना । —होना । पुण्यलोक-सज्ञा पुं० [ म० ] स्वर्ग (को०) । २ शुभ कर्म का सचय | जैसे, ऐसा करने से वडा पुण्य पुण्यवान्-वि० [सं० पुण्यवत ] [वि॰ स्त्री० पुण्यवती ] पु होता है। करनेवाला । धर्मात्मा। क्रि० प्र०—होना । ३ पवित्रता (को०) । ४ पशुओ को पानी पिलाने को नाद (को०) पुण्यविजित-वि० [ स० ] पुण्य से प्राप्त (को॰) । ५ एक व्रत । दे० 'पुण्यक'-२। पुण्यशकुन-नशा सं० [ १ पक्षी जिसका दर्शन शुभ सगुन देनेव पुण्यक-संज्ञा पुं० [स०] १ व्रत, अनुष्ठान आदि जिनसे पुण्य हो । २ शुभदायक शकुन [को०] । होता है। २. ब्रह्मवैवर्त पुराण के गणपति खड (अ०३-४) पुण्यशील-वि० [सं० ] पृगय कार्य करनेवाला । धर्मनिष्ठ [को०] में कथित एक व्रत । वह व्रत या उपचार जो पुत्रवती स्त्री पुण्यश्लोक'- वि० [ म० ] [ वि० सी० पुण्यश्लोका ] जिसका सु अपने पुत्र के कल्याण के लिये करती है । ३ विष्णु । चरित्र या यश हो । पवित्र चरित्र या पाचरणवाला । जिर पुण्यकर्ता-वि॰ [ स० ९ गयकर्तृ ] दे० 'पुण्यकर्मा' । जीवनवृत्तात पवित्र और शिक्षादायक हो । पुण्यकर्मा-वि० [ मं० ] पुण्यकार्य करनेवाला व्यक्ति (को०] । पुण्यश्लोक-सञ्ज्ञा पुं० १ नल । २ युधिष्ठर । ३ विष्णु । पुण्यकाल-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] दान पुण्य का समय । पुण्यश्लोका-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ सीता । २. द्रौपदी । पुण्यकीतेन-सञ्ज्ञा पुं० [म०] १ विष्णु । २ पुराणो का पुण्यस्थान-पञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ पवित्र स्थान । तीर्थस्था वांचना (को०] । २ जन्मकुडली मे लग्न से नवां स्थान जिसमे कुछ ग्रह पुण्यकीर्ति-वि० [ स०] पवित्र कीर्तिवाला । पूजनीय [को०] । होने से । पुण्यवान् या पुण्यहीन होने का विचार f पुण्यकृत्-वि० [सं०] पुण्य करनेवाला । धार्मिक । [को०] । जाता है। पुण्यक्षेत्र-सज्ञा पुं० [स०] १ वह स्थान जहाँ जाने से पुण्य हो। पुण्या-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ तुलसी । २ पुनपुना नदी । तीर्थ । २ आर्यावर्त का एक नाम (को०) । पुण्याई-सक्षा ली० [हिं० पुण्य+ आहे (प्रत्य॰)] पुरय • पुण्यगध-सञ्ज्ञा पुं० [सं० पुण्यगन्ध ] चपा । चपक । फल या पुण्य का प्रभाव । जैसे,-प्राज तो वह पुरख पुण्यगधा-सरा सी० [ म० पुण्यगन्धा ] सोनजूही का फूल । पुरपाई से वच गया। पुण्यगंधि-व० [ स० पुण्यगन्धि ] खुशबूदार । सुगधित [को॰] । पुण्यात्मा -वि॰ [ स० पुण्यात्मन् ] जिसकी प्रवृत्ति पुण्य की हो । पुण्यशील । धर्मात्मा । पुण्यगृह-सज्ञा पुं॰ [ स०] १. अन्न सत्र । २ मदिर [को०] । पुण्यजन-सा पु० [सं०] १ धर्मात्मा। सज्जन । २. राक्षस । पुण्याह-संज्ञा पुं॰ [सं० ] शुभ दिन । मगल का दिन । ३ यक्ष। पुण्याहवाचन-मञ्चा पुं० [सं०] देवकार्य के अनुष्ठान के । पुण्यजनेश्वर-सञ्ज्ञा पु० [ स०] कुबेर । मगल के लिये 'पुण्याह' शब्द का तीन वार कयन । पुण्यजित-तज्ञा पुं० [ स०] चद्रलोक, स्वर्ग लोक प्रादि (जिनकी पुण्योदय-तज्ञा पुं० [सं०] भाग्योदय । पच्छे दिनो प्राप्ति पुण्य द्वारा होती है)। प्रागमन [को०] । पुण्यतृण-सज्ञा पुं० [ स०] श्वेत कुश [को०] । पुत्-सज्ञा पुं० [सं० ] एक नरक का नाम जिससे पुत्र होने पुण्यदर्शन'- वि० [सं०] जिसके दशन से पुण्य हो । जिसके दर्शन उद्घार होता है। का फल शुभ या अच्छा हो । पुतना'-क्रि० स० [हि० पोतना ] पोता जाना । पुताई का पुण्यदर्शन'-सक पुं० नीलकठ । चाष पक्षी । (विजयादशमी के दिन होना। इसके दर्शन से लोग पुण्य मानते हैं )। पुतना-सश खी० [सं० पूनना ] दे॰ 'पूना' । उ०- पुण्यदुह-वि० [ स० पुण्यदुट् ] पुण्यदाता। पानद प्रदान करने- प्यावत प्रानन हरे, पृतना बाल चरित्र ।-नद वाला [को०] । पृ० १८०। पुण्यपुरुष-रामा पुं० [सं०] पवित्रात्मा । पुण्यवान व्यक्ति (को०)। पुतरा-सज्ञा पुं॰ [सं० पुत्तल ] ८० 'पुतला'।