पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३३३

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प्रतरि पुतरि पु-पज्ञा स्त्री० [ मं० पुत्त तो ] नेत्र का काला अश । उ० - पुतारा-पशा पुं० [हिं० पुतना, पोतना ] १ किसी वस्तु के ऊपर नयन पुनरि करि प्रीति बढ़ाई।-मानस, २०५६ । पानी से तर कपड़ा फेरने की क्रिया। भीगे कपड़े से पोछने पुतरिका -भक्षा ग्री० [सं० पुत्तलिका ] 7० 'पुतलिका' । या काम । २. पोतने का तर कपडा । पुतरिया -सज्ञा सी० [हिं० पुतरी + इय (प्रत्य॰)] दे० 'पुतरी' । पुत्त -सज्ञा पुं० [सं० पुत्र, प्रा० पुत्त ] १ दे० 'पुत्र' । २ पुतरी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ म० पुत्तली ] गुडिया। पुनली। उ०-बोलत 'पुतली'-१, २,४। हंपति, हरति मि हियो। जनु विधि पुनरी में जिय दियो। पुत्तरो-मज्ञा स्त्री० [सं० पुत्री ] १ दे० 'पुत्री' । नद० ग्र०, पृ० २२१ । २. अाँख का काला भाग । पुतली पुत्तल-सज्ञा पु० [स०] [ स्त्री पुनली ] पुतला। उ०-दृग जुग मन को मोहै । तिन सग पुनरी सोहै यौ०-पुत्तनदहन । पुत्तलपूजा = मूर्तिपूजा। पुतले की पूजा । भिखारी० ग्र, भा०१, पृ० १६० । पुत्तलविधि । दे० 'पुत्तलदहन' (क्रम में )। पुतला-सशा पुं० [ मं० पुत्तक, पुत्तल ] [ मी० पुतली ] १ लकडी, मिट्टी, धातु, कपडे प्रादि का बना हुप्रा पुरुष का प्राकार या पुत्तलक-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] [ मी० पुत्तलिका ] पतला । मूति विशेषत वह जो विनोद या क्रीडा (खेल) के लिये हो । पुत्तलदहन-सज्ञा पुं० [ म० ] ऐसे व्यक्ति का पुतला बनाकर जलाना जो कही भन्यत्र मर गया हो अथवा जिसका शव मुहा०-किसी का पुतला याँधना= किसी की निंदा करते प्राप्त न हो (को०] । फिरना । किसी की अपकीति फैलाना । बदनामी करना। विशेष-भाट जिसके यहाँ कुछ नहीं पाते हैं उसके नाम का पुत्तलि-सज्ञा स्त्री॰ [ सं० पुत्तली ] दे० 'पुतली'। एक पुनला वास में बांधकर घूमते हैं और उसे कजूम कह पुत्तलिका-सझा नी० [सं०] १ पुतली । २. गुडिया । कहकर गालियां देते हैं । इस सदर्भ मे गोस्वामी तुलसीदास पुत्तली-ज्ञा स्त्री० [सं०] १ पुतली । २ गुडिया । का यह पदोश द्रष्टव्य है,--तो तुलसी पूतरा बांधिहै । पुत्ति-पशा स्त्री० [सं० पुत्रि, प्रा० पुत्ति ] दे० 'पुत्री' । २ शव की प्राप्ति न होने पर, पाटा, सरपत प्रादि का बना हुमा उ०-तिह सुत्त नाहि गृह पुत्ति दोह। किय ध्याह कमघ प्राकार जो दाह किया जाता है। ३ जहाज के भागे का चहुबान सोह।--पू० रा०, ११६७१ । पुतला या तस्वीर । (लश०) । पुतली-मद्या पी० [हिं० पुतला ] १ लकडी, मिट्टी , घातु, कपड़े पुत्तिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ एक प्रकार की मधुमक्खी । २. दीमक । प्रादि की बनी हुई स्त्री को प्राकृति या मूर्ति विशेषत वह पुत्र-पत्रा पु० [सं० पुस्त्र ] [ श्री० पुत्री ] १ लडका। बेटा। जो विनोद या क्रीडा (खेल) के लिये हो । गुडिया । २ घाख विशेष-'पुत्र' शब्द की व्युत्पत्ति के लिये यह कल्पना की गई का काला भाग जिसके बीच में वह छेद होता है जिससे होकर है कि जो पुन्नाम [ 'पुत्' नाम ] नरक से उद्धार करे उसकी प्रकाश की किरणें भीतर जाती हैं और पदार्थों का प्रतिबिंब सज्ञा पुत्र है। पर यह व्युत्पत्ति कल्पित है । मनु ने वारह उपस्थित करती हैं। नेग के ज्योतिष्केंद्र के चारो ओर का प्रकार के पुत्र कहे हैं-ौरस, क्षेत्रज, दत्तक, कृत्रिम, वृप्रणमहल। गूदोस्पन्न, अपविद्ध, कानीन, सहोळ, क्रोत, पोनर्भव, स्वयदत्त विशेष-दूसरे को आँख पर दृष्टि गडाकर देखनेवाले को इस और शौद्ध । विवाहिता सवर्णा स्त्री के गर्भ से जिसकी काले मडल के बीच के तिल मे अपना प्रतिबिंव पुतली के उत्पत्ति हुई हो वह 'पोरस' कहलाता है। पौरस ही श्राकार का दिखाई देता है इसी से यह नाम पहा । सबसे श्रेष्ठ पौर मुख्य पुत्र है। मृत, नपुसक मादि की स्त्री देवर आदि से नियोग द्वारा जो पुत्र उत्पन्न करे मुहा०-पुतली उलटना या फिर जाना = (१) अांखें पथरा जाना । नेत्र स्तब्ध होना। ( मरणचिह्न)। (२) घमड वह 'क्षेत्रज' है। गोद लिया हुआ पुत्र दत्तक' कहलाता है। किसी पुत्र गुणो से युक्त व्यक्ति को यदि कोई अपने पुत्र हो जाना। के स्थान पर नियत करे तो वह 'कृत्रिम' पुत्र होगा। जिसकी ३. कपडा बुनने की कल या मशीन । स्त्री को किसी स्वजातीय या घर के पुरुष से ही पुत्र यो०-पुतलीघर = वह स्थान जहाँ कपडा बुनने के लिये मशीने उत्पन्न हो, पर यह निश्चित न हो कि किससे, तो बैठाई गई हो । कपडा बुनने को मिल । वह उसका 'गूढोत्पन्न' पुत्र कहा जायगा। जिसे माता ४ किसी स्त्री को सुकुमारता और सुदरता सूचित करने पिता दोनो ने -या एक ने त्याग दिया हो और तीसरे ने के लिये व्यवहृत शब्द । जैसे,—वह स्त्री क्या है पुतली है । ग्रहण किया हो वह उस ग्रहण करनेवाले का 'अपविद्ध' पुत्र ५. घोडे की टाप का वह मास जो मेढक की तरह निकला होगा। जिस कन्या ने अपने बाप के घर कुमारी अवस्था में होता है। ही गुप्त सयोग से पुत्र उत्पन्न किया हो उस कन्या का वह पुताई-सञ्चा रसी० [हिं० पोतना+आई (प्रत्य०)१ किसी गीली पुत्र उसके विवाहिता पति का 'कानीन' पुत्र कहा जायगा । वस्तु की तह चढाने का काम । पोतने की क्रिया या भाव । पहले से गर्भवती कन्या का जिस पुरुष के साथ विवाह होगा २ दीवार मादि पर मिट्टी, गोवर, चूने, प्रादि पोतने का गर्भजात पुत्र उस पुरुष का 'सहोद पुत्र होगा। माता पिता काम । ३ पोतने की मजदूरी। को मूल्य देकर जिसे मोल में वह मोल लेनेवाले का 'क्रीत'