पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३३४

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पुत्रकंदा ३०४३ पुनसहम पुत्र कहा जायगा। पति द्वारा त्यागी जाकर अथवा विधवा निकलता है जो जलाने के काम मे प्राता है । छाल, वी ग्रा स्वेच्छाचारिणी होकर जो परपुरुष सयोग द्वारा पुत्र पौर पत्ते दवा के वाम में प्राते है । वैद्यक में पुत्रजीव भा. उत्पन्न करे वह पुत्र उस पुरुष का 'पौनर्भव' पुत्र होगा। वीयंबधक, गर्भदायक कफकारव, मलमूत्रमारफ, रुखा मातृपितृविहीन अथवा माता पिता का त्यागा हुआ यदि पीतल माना जाता है। किमी से आप पाकर कहे कि 'मैं आपका पूत्र हुआ' तो वह पर्या-जियापोता। पुतजिया। पवित्र । गभद । सिदिधद 'स्वयदत्त' पुत्र कहलाता है। विवाहिता शूद्रा और ब्राह्मण यष्टीपुष्प। के सयोग से उत्पन्न पुत्र ब्राह्मण का 'पार्शव' या 'शौद्र' पुत्र पुत्रजीवक-सज्ञा पुं० [सं० ] पुत्रजीव नामक वृक्ष । कहलाएगा। पुत्रदा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ वघ्या कर्को की। वांझ ककोडा २ प्रिय बालक। प्यारा बच्चा (को०)। ३ पशुप्रो का छोटा खेखसा। २ लक्ष्मणा कद । ३ सफेद भटकटैया । ए बच्चा (को०)। ४ अपने वर्ग की साधारण या छोटी वस्तु । कटकारि । ४ जीवती। जैसे, शिलापुत्र, असिपुत्र (समासात में प्रयुक्त ) । ५ कुडली पुत्रदात्री-सज्ञा सी० [स०] १ एक लता जो मालवा में हो में जन्मलग्न से पांच स्थान (को॰) । है। इसके सेवन से पुत्रप्राप्ति होती है । २ श्वेत कटकारि । पुत्रकदा-सज्ञा स्त्री॰ [ स० पुत्रफन्दा ] लक्ष्मणकद जिसके सेवन से पुत्रधर्म-सज्ञा पुं॰ [ मं० ] पुत्र का वर्तव्य [को०] । गर्भदोष दूर होते हैं। पुत्रपौत्रोण - वि० [सं०] पुत्र पौत्र तक क्रमश प्राप्त या प्रचलित पानुवशिक । वशपरपरागत [को०] । शिशुपत्र, पुत्रक- सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ पुत्र पुत्रसम । शिशुपुत्र बेटा। २ पतग । फतिंगा। टिड्डी । ३ दाने का पौधा । ४ एक प्रकार पुत्रप्रतिनिधि-राज्ञा पुं० [10] पुत्र का स्थानापन्न । दत्त का चूहा ( शरम ) जिसके काटने से बड़ी पीडा भोर सूजन पुत्र (को०)। होती है। ५ गुड्डा । पुसलक (को०)। ६ दयनीय व्यक्ति । दम पुत्रप्रदा-सशा स्त्री॰ [ म०] १ श्वेतकटकारि । २ क्षविका । करने योग्य व्यक्ति (को०) । ७ वाल । केश (को०) । ८ घोखे- पुत्रप्रवर-संशा पु० [ स०] पुत्रो में श्रेष्ठ पुत्र । ज्येष्ठ पुत्र । सब वाज या धूतं व्यक्ति (को०)। ६ एक पर्वत का नाम (को०)। बडा लडका [को०] । १० एक विशेष वृक्ष (को०)। पुत्रप्रसू-सज्ञा स्त्री॰ [ स०] दे० 'पूत्रसू' । पुत्रकर्म-सञ्ज्ञा पुं० [ स० पुत्रकर्मन् ] पुत्रजन्मोत्सव। पुत्रोत्पत्ति पर पुत्रभद्रा--सन्न सी [ स०] वही जीवती । किया जानेवाला उत्सव [को०] । पुत्र भाड-सशा पुं० [ म पुत्रभाण्ड ] पुत्र का प्रतिनिधि । वह पुत्रका-सञ्चा सी० [सं०] दे० 'पुत्रिका' (को०] । पुत्र का स्थानापन्न हो [को०)। पुत्रकाम-वि० [स०] जिसे पुत्र की कामना हो (को॰) । पुत्रभाव--सज्ञा पु० [ स०] १ पुत्र का भाव । पुत्रत्व । २ फा पुत्र कामेष्टि-सा स्त्री० [सं०] एक यज्ञ जो पुत्रप्राप्ति की इच्छा से ज्योतिष मे लग्न से पचम स्थान का विचार जिसके द्वाः किया जाता है। ज्योतिषी यह निश्चित करते हैं कि किसके कितने पुत्र र पुत्रकाम्या-सच्चा स्त्री॰ [स०] पुत्रप्राप्ति की कामना [को०] । कन्याएँ होगी। पुत्रकार्य-सक्षा पुं० [स०] पुत्र सबधी सस्वार । पुत्रलाभ-सज्ञा पुं॰ [ A.] पुत्र का जन्म लेना । पुत्रप्राप्ति । उत्सव [को०] । पुत्रवती-सज्ञा स्त्री॰ [ स० ] जिसके पुत्र हो। पुत्र वाली । पूती पुत्रकृत् पुत्रकृतक-राचा पुं० [सं०] माना हुमा पुत्र। दत्तक उ०-पुत्रवती जुबता जग सोई। रघुपति भगतु जासु सु होई।-मानस, २।७५ । पुत्रघ्नी-सशा खी० [सं०] एक योनिरोग जिसके कारण गर्भ नहीं पुत्रवधू-संशा सा । स० ] पुत्र की स्त्री । पतोह । पुतऊ । ठहरता। पुत्रशृगी-सशा स्त्री॰ [ सं पुस्ङ्गी ] मेढ़ा । प्रजशती। पुत्र जग्धो-पज्ञा स्त्री० [ म० ] ऐसी स्त्री जो अपने बच्चों को स्वय पुत्रश्रेणी-सका रसी० [सं० ) पुसाकानी । खा जाय [को०)। पुत्रसख-सज्ञा पुं० [०] वह जो बच्चो को बहुत प्रपिक पाहा पुत्रजात-वि० [ म० ] जिसको पुत्र पैदा हुमा हो [को॰) । हो । बच्चो का मित्र [को०) । पुत्रजीव-सज्ञा पुं॰ [ स० ] इगुदी से मिलता जुलता एक यडा और पुत्रसप्तमी-यशा रसी० [२०] माश्विन माम के शुक्ल पक्ष की सप्त सुदर पेड जो हिमालय से लेकर सिंहल तक होता है । जिया- पुत्रसहम-मज्ञा पुं॰ [ म० पुष +प्र० सहम ] नीलकठ ताजिक विशेप-इसकी लगडी यही पौर मजबूत होती है । यह चैत जो ५० प्रकार के महम कहे गए हैं उनमें से एक । वैसाख में फूलता है। फल भी इसके इ गुदी के फलो के ऐसे विशेष-वृहस्पतिस्फुट में से चद्रस्फुट निशान लेने मे जो होते है। वीज सूखकर रुद्राक्ष की तह हो जाते हैं, इससे बचे उसे लग्नस्फुट के साथ जोडने से पुत्रसहम पाता है वहुत से साधु उसकी माला पहनते हैं। बीजो से तेल भी इसके द्वारा पुत्रलाभ प्रादि का विचार किया जाता है । + पुत्र सबधी पुत्र [को०)। तिथि [को०)। पोता।