पटिदा पुष्पद्रुम सेंककर या किसी प्रकार का गरम गरम लेप करगे अच्छा विगेप-या, गप पोगट गंभी होना पारिए। करने की युक्ति । १८ वह गभा जिगने पाठ नागों में ट। पुष्टिदा-सदा श्री० [सं०] १. अश्वगधा । पगगध । २. नृद्धि नाग पुष्पफर टा. [Ho पुपरयः] ." garmer'। फी मोपषि । पुस्पकरंटक- "- [गुपकरया १ जनपिनी मा ए पुष्टिपति-नशा पुं० [सं०] भग्नि का एक भेद । पुगना उधानमा गीधा नो महापार मदिर कपाम पा। पुष्टिप्रद -वि० [H० ] पुष्टिकारक (को०] । २ पूनों गी रलिया () पुष्टिमति-उशा पुं० [सं०] अग्नि फा एक मद । पुष्पकरदिनी-1 [1० पुसमरागिणी ] उपिनो। पुष्टिमार्ग-संज्ञा पुं० [सं०] बल्लभ संप्रदाय । यल्लमा गर्ग गेर पुष्पकाल-11 [-] १ पसंत 3 । २.नि का ? मतानुकूल वैष्णव भक्तिमार्ग । माल (पो०)। पुष्टिलीला-मा पी० [म० पुष्टि (= पुष्टिमाग)+सोला ] पुप्पकासोस-rary [1] Time रासलीला। कृष्ण लीला। उ० - सो इन पुष्टिलीसा गो अनुभव कियो।-दो सौ पावन०, भा॰ २, पृ०७ । पुप्पयोट-... [१०] १ पूरा रा । २ नौरा । घमर । पुष्टिवर्धक-वि० [१०] २० 'पुष्टिकारक' । पुप्पकन्छ-11 . [-] एक प्रत सिमीपल पूनाराम पुष्टिवर्धन'–वि. [ म० ] पुष्टि को बढ़ाने वाला । सुप सपन्नता को पीहर महीना भर रहना परता। बढानेवाला । मभ्युदय की सिद्धि करनेवाला [को०] । पुष्पफेतन-RLT'• [ 10 ] काम । पपरेन । पुष्टिवर्धन'-सा पु० मुर्गा फो०) । पुप्पनेतु - PAST पुं० [ 10 ] ..पुष्षनिन । २. नाम । पुष्पंधय-तज्ञा पुं० [सं० पुपन्यय ] १ ध्रपर । गौरा २ मगु. पुप्पगहिया-100 [1० पुरदिया नसा के सपनों में मयखी [को०)। से “ए। माने में साप बना दो मे नियों द्वारा पुरषोरा पुष्प-मग पु० [ मे०] १ फूल । पौषों या यह पयगय जो तु- घोर पुरको दाग लियो मा पमिाय पोर गान । पाल मे उत्पन्न होता है। (नाटागात ) धिशेप-२० 'कून'। पुप्पगधा--10-[ पुष्पगन्धा] पूरी। २ ऋतुमती रत्री का रज । ३. पास का एक रोग । फूला । पुष्पगवेधुका-सा . [30] नाबिना। फूलो । ४ घोडो का एक लक्षण । चित्तो। पुप्पघातफ-पुं० [10] atar विशेप-जिस रग का घोटा हो उससे भिन्न रग को चित्ती मो पुप्पचय, पुष्पचयन- ५० [1] सोना । न पुनमा । पुष्प कहते हैं। कनपटी, ललाट, सिर, फपे, छाती, नाभि और कठ मे ऐसे चिह हो तो शुभ पोर प्रोठ, पान की जाए, पुष्पचाप-1 [0] माम । पुमपन्या । भौ और चूतह पर हो तो अशुभ माने जाते हैं। ५ विकास । पुष्पचामर- । - [सं०] १ पौना। २. गपसा। विकसित होना। ६ कुबेर का विमान । पुष्पक । ७ एक पुष्पजस ५० [.] पर से उस पुपरज । मगर 10] । प्रचार का मजन या सुरमा । ८ रसौत । ६ पुष्करमूल । पुष्पजीवो-11 . [ पुष्पनाचिन् ] मालाबार । मासी (2011 १० लयग । ११ मास (वाममार्गी) । १२ पुस राज । पुप्पदत-17 ० [4. पुप्पदन्त ] १. यासोग पा दिग्गज । २ पुष्पराग (को०)। १३ नाटक मे कोई ऐसी बात कहना जो एक प्रकार रा नगरद्वार । ३. गिव या अनुचर एर गर्व विशेष रूप से प्रेम या अनुराग उत्पन्न करनेवाली हो। जिसका रनामा महिम्न स्तोर पहा जाता है। जैसे,—यह साक्षात् लक्ष्मी है। इसकी हपेली पारिजात फे विशेष-इस गवयं के विषय में रहा जाता है कि यह एक वार नवदल है, नहीं तो पसीने के बहाने इसमे से अमृत पाहाँ शिव ना निर्माल्य ताप गया था। इससे शिव ने मार द्वारा से टपकता। इसका थापाशगमा रोक दिया था। पोदे महिम्न स्तोत्र पुष्पक-सज्ञा पुं० [सं०] १. फूल । २ कुबेर का विमान । वनाफर पाठ करने से इसे रोपग्य प्राप्त हो गया। विशेप-यह विमान आकाशमाग से चलता था। पुवेर को ४. एक विद्याधर । ५. नासियेच का एक मनुचर । ६ चद्र मोर हराकर रावण ने यह विमान छीन लिया था। रावण के सूर्य (को०)। वघ के उपरात राम ने इसे फिर कुबेर को दे दिया। ३ ख का एक रोग। फूला। फूली। ४ जड़ाऊ कगन । पुष्पदष्ट्र-सा पुं० [सं०] एक नाग । ५ रसाजन । रसोत । ६ हीरा कसीस। ७ पीतल । ८. पुप्पद- पुं० [सं०] वृक्ष । पेट [को०] । लोहे या पीतल का मैल । ६ मिट्टी की मंगीठी। १. पुष्पदाम-सा पुं० [सं० पुप्पदामन् ] १. पुप्पो गो माता । २ एक एक प्रकार का निविप सप। बिना विप का एक साप । छद या नाम [पो०)। ११ एक पर्वत का नाम । १२ लोहे का बर्तन । लोहपात्र पुप्पद्रव-शा पुं॰ [सं०] पुष्प का रस । मकरद [को॰] । (को०) । १३. प्रासाद बनाने का एक प्रकार का मडप । पुष्मद्र म--या पुं० [सं०] पूलवाला पक्ष । केवल पुष्प का वृक्ष (पो०] ।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३५७
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