पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३८६

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पेट ३०६५ पेट हिले । -चुभते०, पृ० ५७ । पेट का पानी न हिलना = कुछ परिश्रम न पडना । जरा भी मिहनत या तकलीफ न होना । पेट का हलका = क्षुद्र प्रकृति का। प्रोछे स्वभाव का। जिसमें गभीरता न हो । पेट की आग = भूख । उ०-ागि बडवागि तें बडी है पागि पेट की।--तुलसी (शब्द॰) । पेट की आग बुझाना = पेट मे भोजन भोजन पहुंचाना । भूख दूर करना । उ०-काम हैं सूझ बूझ का करते। पेट की पाग जो वुझाते हैं।-चोखे०, पृ० ३८ । पेट की बात = गुप्त भेद । भेद को गत । उ०--पेट की बात जानना है तो पेट मे पैठ क्यो नही जाते । 'दुभते०, पृ० ५३ । पेट की मार देना या मारना- भूखा रखना। भोजन न देना । पेट के लिये दौड़ना = रोजी या जीविका के लिये उद्योग और परिश्रम करना। पेट के हाथ बिकना = पेट के लिये कोई भी काम करना। आजीविकार्थ कोई भी बुरा भला काम करने के लिये बाध्य होना । उ०- वडी एक है। और पेट के हाथ तो विकी हुई है। कुछ ठिकाना है ।—फिसाना०, भा० ३, पृ० ४२६ । पेट को धोखा देना है 'पेट काटना' । पेट खलाना = (१) अत्यत दीनता दिखालाना। उ०-राम सुभाव सुने तुलसी प्रभु सो कही बारक पेट खलाई। —तुलसी (शब्द०)। (२) भूखे होने का सकेत करना। पेट को लगना = भूख लगना । पेट गड़ना = अपच के कारण पेट में पद होना। पेट गुड गुदाना=वादी के कारण प्रांतो में गुडगुरु शब्द होना। पेट में वायु का विकार होना। पेट चलना-दस्त होना। चार बार पाखाना होना। पेट छंटना = (१) पेट साफ हो जाना। पेट का मल निकल जाना । (२) पेट की मोटाई का कम होना । दुबला हो जाना । पेट छूटना = दस्त होना। पेट जलना = (१) अत्यंत भूख लगना । (२) अत्यत असंतुष्ट या क्रुद्ध होना। पेट जारी होना= दस्त लगना। दस्तों की बीमारी हो जाना । पेट दिखाना = (१) भूखे होने का सकेत करना । (२) पेट के रोग की पहचान कराना । पेट के रोग का निदान करना। पेिट देना = अपना गूढ भेद या विचार किसी को बतलाना । अपने मन की बात बतलाना । उ०-अपने पेट दियो तै उनको नाकवुद्धि तिय सबै कहैं री।-सूर (शब्द) पेट पकड़ना या पकड़े फिरना = परेशान होना। बहुत दुखी या तग होना। व्याकुल होना । पेट पाटना = जो कुछ मिल जाय उसी से पेट भर लेना । भूख के मारे खाद्य या प्रखाद्य का विचार छोडकर खा लेना। पेट पानी होना-पतले दस्त माना। पेट पाल पाल- कर पलना = पेट भरकर जीना। केवल खाने कमाने मे लगे रहना। उ०-सब दिनो पेट पाल पाल पले, मोहता मोह का रहा मेवा ।-चोखे०, पृ०४ । पेट पालना = कठिनता से खाने भर को कमा लेना। जीवन निर्वाह करना। उ०-वेबसो को लपेट चित पट कर, पालना पेट मुंह पिटाना है ।- चोखे०, पृ० २६ । पेट पीठ एक हो जाना या पेट पीठ से लग जाना=(१) बहुत दुबला हो जाना (२) बहुत भूखे होना। पेट फूलना=(1) किसी बात को जानने या कहने के लिये अथवा किसी पदार्थ को पाने मादि के लिये व्याकुल होना । किसी बात के लिये बहुत अधिक उत्सुक होना। बहुत अधिक हंसने के कारण पेट में हवा भर जाना (जिसके कारण और अधिक हँसा न जा सके)। (३) पेट में वायु का प्रकोप होना। पेट पाँधना = भूखे रहना। भूख शांत करने के लिये पेट में कुछ न डालना। उ०-पापका सेवक भी पेट बांधकर सेवा नहीं करता। -किन्नर०, पृ०८। पेट भरना = किसी प्रकार घाजीविका चलना। कठिनाई से आजीविका चलाना । पेट मारना = (१) दे० 'पेट काटना' । (२) प्रात्म- घात करना। प्रात्महत्या करना। उ०-हाथ जो पा जाय सोने की छुरी, पेट तो है मारता कोई नही।-चोखे०, पु० २५। पेट मारकर मर जाना = आत्मघात करना । उ०-पेटी ना दिखाप्रो कोक पेट मारि मरिहैं।- (शब्द०)। पेट में आँत न मुह में दाँत = वह जो बहुत बुड्ढा हो । अत्यत वृद्ध । पेट मुह चलना = हैजा होना । उ०-दूसरे ही दिन मठ के एक साधू का पेट मुंह चलने लगा। -मैला०, पृ० ४६ । पेट में खलबली पढ़ना = (१) चिता होना। फिक होना (२) व्याकुलता होना । घबराहट होना । पेट में चूहों का कलायाजी खेलना = दे० 'पेट में चूहे दौडना' । पेट में चींटे की गिरह होना बहुत कम खाना। थोड़ा भोजन करना। पेट में ढाढ़ी होना बचपन ही में बहुत बुद्धिमान होना। पेट में डालना = खा जाना। पेट में पाँव होना- अत्यत छली या कपटी होना। चालबाज होना। पेट में यल पढ़ना= इतनी हंसी माना कि पेट में दर्द सा होने लगे। ( कोई वस्तु ) पेट में होना = अधिकार या चगुल में होना । गुप्त रूप से पास में होना । जैसे-तुम्हारी पुस्तक इन्ही लोगो के पेट मे है। पेट मोटा होना = धन बढ़ना। पूंजी वढ़ना। नाजायज ढग से सपत्ति की वृद्धि होना। उ०-जो निकल पावे निकाले पेट से । दिन व दिन है पेट मोटा हो रहा ।- चुभते०, पृ० ४० । पेट मोटा हो जाना = बहुत घूसखोर हो जाना । भधिक रिश्वत लेने लगना । पेट लगना या लग जाना = भूख से पेट का पदर घुस जाना। पेट से पाँव निका- लना = (१) किसी अच्छे आदमी का बुरा काम करने लग जाना । कुमार्ग मे लगना। (२) बहुत इतराना। उ०- बहुत थानेदारी के बल पर न रहिएगा। देखा कि औरतें हो औरतें घर में हैं तो पेट से पांव निकाले।—फिसाना०, भा० ३ पृ० २३१ । (कोई वस्तु) पेट से निकालना = किसी के द्वारा उहाई या छिपाकर रखी हुई वस्तु को प्राप्त करना। हजम की हुई चीज पाना। २. गर्भ । हमल। यौ०-पेटपालना। मुहा.-पेट गदरामा = गर्भ के लक्षण प्रकट होना। गर्भवती होने के चिह्न दिखाई देना । पेट गिरना = गर्भ गिरना। गर्भपात होना । पेट गिराना = गर्भ नष्ट करना । पेट गिर- घामा = गर्भपात कराना। पेटघोट्टी = वह ली जिसके गर्भ हो, परतु सक्षित न होता हो। गर्भवती होने पर भी जिसके -