पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३८७

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पेट २०६६ पेटागि गर्भ के लक्षण दिखाई न परें । पेट छुटना = प्रसूता के गर्भाशय १० रोजी। जीविका । जैसे,-पेट के लिये सभी को कुछ का अच्छी तरह साफ हो जाना। पेट ठढा रहना = बच्चो का न कुछ काम करना पड़ता है। सुख देखना । सतान का जीवित रहना। पेट दिखाना = दाई पेटर सज्ञा पुं० [हिं० पेट ] रोटी या वह पावं जो पहले तवे पर से यह निश्चित कराना कि गर्म है या नही । गर्भ होने या डाला जाता है। न होने की परीक्षा कराना। पेट फुलाना या फुला देना पेट-सज्ञा पुं० [सं०] १ यैला । २ पिटाग । सदूक । ३ समूह । गर्भवती कर देना। पेट फूलना = गर्भ रह जाना। पेट राशि । ढेर | ४ उँगलियों के साथ सुनी हुई हाथ की रखना = गर्भवती कर देना। पेट रखाना किसी से सभोग हथेली । थप्पड । झापड (को०)। कराके गर्भवती होना। पेट रखधाना = (१) गर्भवती होना। (२) गर्भवती होने की प्रेरणा करना। पेट रहना = गर्भ पेटक-ज्ञा पुं० [ स०] १. पिटारा। मजुषा । उ०-घुवीर यश स्थित होना । गर्भ रहना । हमल रहना । पेटवाली = गर्भ- मुकुता विपुल सब गुवन पटु पेटक भरे । —तुलसी (शब्द०)। वती। पेट से होना = गर्भवती होना। ३ समूह । ढेर। ३ पेट के अंदर की वह थैली जिसमें खाद्य पदार्थ रहता और पेटकैयाँ -कि० वि० [हिं० पेट + कैयों ( प्रत्य०) ] पेट के बल । पचता है । पचौनी । मोझर । ४ चक्की के पाटो का वह तल पेटनट-तज्ञा पुं० [हिं०] पेट के लिये दर दर नाचनेवाला। जो दोनों को जोड़ने से भीतर पहे। ५ सिल प्रादि का यह उदरपूर्ति के लिये नट का काम करनेवाला व्यक्ति । भाग जो कूटा हुया और खुरदरा रहता है और जिसपर पेटपररत- वि० [स० पेट + फा परस्त ] पेट फी चिंता में लीन रखकर कोई चीज पीसी जाती है। ६ मत करण । मन । रहनेवाला । उदरभर । पेटार्थी । ३०-परवस कायर कूर दिल । उ०-चेटकी वाइन के पेट की न पाई मैं ।-ठाकुर पालसी पधे पेटपरस्त । सूझता कुछ न वसत माहि ये भी (शब्द०)। खराव प्रो खस्त। -भारतेंदु न०, भा०२, पृ० ३६७ । मुहा०-पेट में चूहे फूदना = दे० 'पेट में चूहे दौटना'। पेट में पेटपूजा--सा मी० [ म० पेट + पूजा ] भोजन करना। साना चूहे छूटना = दे० 'पेट मे चूहे दौड़ना' । उ०-एक प्यादा खाना। वोला यहाँ पेट में चूहे छूटे हुए हैं।-फिसाना०, भा० ३, पेटपौंछना-सा पुं० [सं० पेट + पोष्टना ] यतिम संतान । वह पृ० १७६ । पेट में चूहे दौड़ना = (१) बहुत भूख लगना । सतान जिसके उपरात पौर कोई सतान न हो। (२) व्याकुल या चितित होना। व्यग्रता या खलवली पेटपोसुआ-सज्ञा पुं॰ [ म० पेट + हिं० पोसना ] ६० 'पेट्' । होना । पेट में घुसना = भेद लेने के लिये मित्र बनना। रहस्य जानने के लिये मेल पढ़ाना। पेट में चूहों का डढ पेटरिया --सहा सी० [सं० पेटाल +हिं० इया (प्रत्य॰) ] दे०. पेलना = दे० 'पेट में चूहे दोडना' । उ०-वाय में हवा 'पिटारी'। चमकता हो सितारा। पेट में उड पेलते चूहे, जवां पर पेटन-वि० [हिं० पेट + ल (प्रत्य॰)] बड़े पेटवाला । जिसका लफ्ज प्यारा । -कुफुर०, पृ० ५। पेट में छुरी घुसेड़ना = पेट बडा हो। तोदल। हत्या करना । जान लेना। उ०—काम हो कान के उखेहे जो, पेटा-संज्ञा पुं० [हिं० पेट] १ किसी पदार्थ का मध्य भाग । वीच तो घुसेड़े न पेट में छूरी।-चुभते०, पृ० ५४ । पेट में का हिस्सा । २. तफसील । व्योरा। पूरा विवरण । ३. सालना=(१) कोई बात अपने मन में रखना । भेद प्रकट वडा टोकरा । ४. सीमा। हद । न होने देना। उ०-वात जो भेद डाल दे उसको, जो सकें मुहा०-पेटे में थाना = सीमा मे पाना । हद में पडना । पेटे में डाल पेट में डालें। -चुभते०, पृ० ५३ । (२) भोजन का पढ़ना = लगभग होना । जैसे,-खर्च सौ रुपये के पेटे में नाम करना। भोजन के रूप में कोई अत्यत तुच्छ वस्तु पडेगा। लेना । (३) जल्दी जल्दी भोजन करना । शीघ्रता से खाना । ५. घेरा। वृत्त । १६ गर्भ। हमल। पेट । ७ नदी के बहने (४) भरुचिपूर्वक खाना। वेस्वाद भोजन करना। पेट में का मार्ग । ८.नदी का पाट । बैठना या पैठना= दे० 'पेट में घुसना' । उ० चले काम मुहा०-पेटे में माना = हूब जाना। पानी में लीन हो जाना। पेठ में पैठे, तो न तलवार पेट में डालें।-चुभते०, पृ० ५४ । ६. पशुओं की अंतही। १० पतग या गुड्डी की डोर का झोल । पेट में भरा पड़ा रहना = मन में होना या रहना। उ०-न उड़ती हुई गुट्ठी को डोर का वह अश जो बीच में कुछ जाने कहाँ का खटराग पेट में भरा पड़ा है। -चुभते. ढीला होकर लटक जाता है। ( दो दो बातें ), पृ० ६ । पेट में होना = मन में होना। मुहा०-पेटा छोडना = उडती हुई गुड्डी का डोर बीच में से शान में होना । जैसे, कोई बात पेट में होना । लटक या झून जाना। पेटा तोडना = उडती हुई गुड्डी की ७ पोली वस्तु के बीच का या भीतरी भाग । किसी पदार्थ के वीच में लटकती या झूमती हुई डोर तोड़ना। मदर का वह स्थान जिसमे कोई चीज भरी जा सके। जैसे, पेटा-सक्षा सो [ सं०] दे० 'पेट' (को॰] । बडे पेटे की बोतल। ८ वदूक या तोप में का वह स्थान पेटाक-सज्ञा पुं० [सं०] झोला । थैला । बक्स [को०)। जहाँ गोली या गोला भरा जाता है। ६ गुंजाइश । समाई । पेटागि सञ्चा त्री० [सं० पेट+ अग्नि, प्रा० अग्गि] पेठ की