पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४०

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२७४६ पक्का पकमान संयोकि०-जाना। मुहा०-(मिट्टी का ) बरतन पकाना = (वें मे आँच के द्वारा कडा और पुष्ट करना। कलेजा पकाना = जी जलाना। मुहा०-बाल पकना - ( बुढापे के कारण ) बाल सफेद होना। सताप पहुंचाना। २ आंच या गरमी खाकर गलना या तैयार होना । सिद्ध होना । सीझना । रिधना । चुरना। जैसे, दाल पकना, रोटी पकना, ३ फोडे, फुसी, घाव आदि को इस अवस्था में पहुंचाना कि रसोई पकना। उसमे पीव या मवाद आ जाय । ४ मात्रा पूरी करना। मुहा०-( मिट्टी का ) बरतन पकना = आँवे मे तैयार होना । सौदा पूरा करना। लगाना। जैसे,-चार रुपए का गुड कलेजा पकनाजी जलना । सताप होना। पका दो ( बनिये )। ३ फोडे, फुसी, घाव, आदि का इस अवस्था मे पहुंचना कि पकार-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प+कार ] 'प' अक्षर । उनमे मवाद आ जाय। पीव से गरना। ४ चौसर मे गोटियो पकाव-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० पकना] १ पकने का भाव। २ पीव । का सव घरो को पार करके अपने घर मे आ जाना। ५ मवाद। कीमत ठहरना । सौदा पटना। मामला ते होना । पकावन-सञ्ज्ञा पु० [ स० पक्वान्न ] दे० 'पकवान'। उ०-दूती पकमानg+-सज्ञा पुं॰ [ स० पक्वान्न ] दे० 'पकवान' । उ०- बहुत पकावन साघे। मोतिलाडू औ खेरौरा बाँधे । चीर कपूर पान हमे माजल, पास आयो पकमाने ।- —जायसी (शब्द०)। विद्यापति, पृ० ३२५ । पकौड़ा-सञ्ज्ञा पु० [हिं० पका+ वरी, बढ़ी ] [स्त्री० अल्पा० पकौड़ी] पकरना -क्रि० स० [हिं० पकड़ना ] दे० 'पकडना' । उ०- घी या तेल मे पकाकर फुलाई हुई बेसन या पीठी की नट नायक नंदलाल को मन पकरि नचावै।-घनानद०, बट्टी, बडी। पृ० ४५५। पकौड़ी-सज्ञा सी० [हिं० पकौड़ा ] दे० 'पकौडा'। पकरानाg+-क्रि० स० [हिं० पकड़ाना ] दे० 'पकडाना' । उ०- चीर लपेटि सु पिय पकराए।-नद० ग्र०, पृ०१३ । पक्वण-सज्ञा पु० [स०] १ चाहाल की झोपडी या घर । २ चाडालो की बस्ती [को०] । पकरिया -सज्ञा पु०, सी० [स० पर्कटी, हिं० पाकर + इया (प्रत्य॰)] दे० 'पाकर'। उ०-उम्र नौ दस साल की, बस, तोलता पक्वरस-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] मदिरा । दिल कि चढकर पकरिए पर वोलता ।-कुकुर०, पृ० ६४ । पक्ववारि-मज्ञा पुं॰ [स०] कांजी। पकला-सञ्ज्ञा पु० [हिं० पकना ] फोडा। पक्का-वि० [स० पक्व ] [ वि० स्त्री० पक्की ] अनाज या फल जो पकवान-सञ्ज्ञा पु० [ स० पक्वान्न ] घी मे तलकर वनाई हुई खाने पुष्ट होकर खाने के योग्य हो गया हो। जो कच्चा न हो। की वस्तु । जैसे, पूरी, कचौरी आदि। उ०-दादू एकै अलह पका हुआ। जैसे, पक्का आम । २ जिसमे पूर्णता पा गई राम है, सम्रय साँई सोइ। मैदे के पकवान सब, खार्ता होय हो। जिसमे कसर न हो। पूरा। जैसे, पक्का चोर, पक्का सो होइ।-दादू०, पृ० ३५ । घूर्त । ३ जो अपनी पूरी बाढ या प्रौढता को पहुंच गया पकवाना-क्रि० स० [हिं० पकाना का प्रे०रूप ] १ पकाने का हो । पुष्ट । जैसे, पक्की लकडी। काम कराना । पकाने मे प्रवृत्त करना। २ आँच पर तैयार मुहा०-पक्का पान = वह पान जो कुछ दिन रखने से सफेद और कराना । जैसे, रसोई पकवाना। खाने मे स्वादिष्ट हो गया हो। पफसना-क्रि० प्र० [हिं० पकना ] किमी वस्तु ( फल आदि ) ४ जिसके सस्कार वा सशोधन की प्रक्रिया पूरी हो गई हो। का पकने की ओर अग्रसर होना। साफ और दुरुस्त । तैयार । जैसे, पक्की चीनी, पक्का शोरा। पकसालू--सज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का वाम। ५ जो आँच पर कडा या मजबूत हो गया हो। जैसे, मिट्टी विशेष—यह पूर्व और उत्तर बगाल, आसाम, चटगाँव तथा का पक्का बरतन । ६ जिसे अभ्यास हो। जो मज गया हो। वरमा मे होता है। पानी भरने के लिये इसके चोगे वनते जो किसी काम को करते करते जमा या बैठा हो । पुख्ता । हैं । छाता बनाने के काम में भी यह पाता है। इसकी पतली जैसे पक्का हाथ । ७ जिसका पूरा अभ्यास हो। जो अभ्यस्त फट्टियो से टोकरे भी बनते हैं। वा निपुण व्यक्ति के द्वारा बना हो। जैसे, पक्का खत, पक्के पकाई-सज्ञा स्त्री० [हिं० पकाना ] १ पकाने की क्रिया या भाव । अक्षर। ८ अनुभवप्राप्त । तजरुवेकार। निपुण । दक्ष । २ पकाने की मजदूरी। होशियार । जेसे,-हिसाव मे अब वह पक्का हो गया। ६ पकाना-फ्रि० स० [हिं० पकना ] १ फल आदि को पुष्ट और पाँच पर गलाया या तैयार किया हुआ । आँच पर पका हुआ। तैयार करना । जैसे, पाल मे ग्राम पकाना। मुहा०-पक्का खाना या पक्की रसोई = घी में पका हुआ सयो०क्रि०-ढालना।—देना । --लेना। भोजन । जैसे, पूरी कचौरी, मालपूना प्रादि। पक्का पानी = २ आँच या गरमी के द्वारा गलाना या तैयार करना। (१) प्रौटाया पानी। (२) स्वास्थ्यकर जल। निरोग और रीधना । सिमाना । जैसे, खाना पकाना, रोटी पकाना। पुष्ट जल ।