पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४१

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। . पक्काहत २७५० पक्वाशय १० दृढ । मजबूत । टिकाऊ । जैसे,—इस मदिर का पाम बहुत पक्ष'- वि० [सं०] १ पका हुआ। २ पक्का । ३ परिपुष्ट। पक्का है, यह जल्दी गिर नही सकता। दृढ । ४ सेंका हुआ। पकाया हुआ (को०)। ५ पूरी तरह मुहा०-पक्का काम = असली चाँदी सोने के तार के वने वेल बूटे से विकसित (को०)। ६ श्वेत। सफेद । जैसे, पक्व का काम । असली कारचोवी का काम । जैसे,—इम टोपी केश (को०)। पर पक्का काम है। पक्का घर या मकान = सुरखी चूने के पक्व-सज्ञा पु० पकाया हुआ भोजन या अन्न को० । मसाले और ईटो से बना हुअा घर । पक्का रग = न छूटने- पक्वकृत्- संज्ञा पु० [सं०] १ पकानेवाला । सूपकार । २ ( फोहे वाला रग । बना रहनेवाला रग। आदि को पकानेवाली) नीम । ११ स्थिर । दृढ़। न टलनेवाला। मिश्रित । जैसे, पक्की वात, पक्वता-सशा स्त्री॰ [सं०] पक्व होने का भाव । पक्कापन । पक्का इरादा, विवाह पक्का करना। १२ प्रमाणो से पुष्ट । पामाणिक । जिसे भूल या कसर के कारण वदलना न पडे पक्वरस-सञ्ज्ञा पुं० [०] मदिरा । मद्य [को०] । या जो अन्यथा न हो सके। ठीक जंचा हुआ। नपा तुला। पक्ववारि-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] कांजी। कांजिक को०] । जैसे,-( क ) वह बहुत पक्की सलाह देता है। (ख ) पक्वश-सज्ञा ॰ [ स०] एक अत्यज नीच जाति । पक्की दलील। पक्वातीसार-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का प्रतीसार । प्रामाती- मुहा०-पक्का कागज = वह कागज जिसपर लिखी हुई वात सार का उलटा। कानून से दृढ समझी जाती है। स्टाप का कागज। पक्की विशेष-श्रामातीसार मे मल के साथ प्राव गिरती है, पक्वाती- बही या खाता = वह बही जिसपर ठीक जंचा हुधा या ते सार मे नही। किया हुआ हिसाव उतारा जाता है। पक्का चिट्ठा = ठीक पक्वाधान-सज्ञा पुं॰ [ स०] २० 'पक्वाशय' [को०] । ठीक जंचा चिट्ठा। १३ जिसका मान प्रामाणिक हो। टकसाली। जैसे, पक्का मन, पक्वान-मज्ञा पुं० [सं० पक्वान्न ] दे० 'पक्वान्न'। पक्की तोल, पक्का वीघा। पक्वानहटाई-सञ्ज्ञा पुं० [म० पक्वान्न + हट्ट ] मिठाई बाजार । यौ०-पक्का गवैया = पक्का गाना गानेवाला। शास्त्रीय संगीत पकवान की दूकानें। उ०--मचूर पौरजन पदसम्हार सहीन्न गानेवाला। पक्का गाना = शास्त्रीय संगीत । पक्का पानी = घनहटा, सोनहटा, पनहटा, पक्वानहटा, मछरहटा करेग्रो सुख- रव कथा कहते ।-कीति०, पृ० ३० । (शरीर आदि का) गेहुना वर्ण। पफाइत-सज्ञा स्त्री० [हि० पक्का ] ढ़ता। मजबूती। निश्चय । पक्वान्न- सज्ञा पुं॰ [सं०] १ पका हुमा अन्न। २ घी पानी पादि के साथ आग पर पकाकर वनाई हुई खाने की चीज । पकवान। पक्खर-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० पाखर ] दे॰ 'पाखर' । पक्खर-वि० [स० पक्व, प्रा. पक्क] पक्का । पुख्ता। उ०-लक्ख पक्वाशय-सहा पु० [सं०] पेट में वह स्थान जहाँ आमाशय मे ढीला मे पवखर तिक्खन तेज जे सूर समाज में गाज गने हैं।- होकर अन्न जाता है और यकृत् और क्लोम ग्रथियो से तुलसी (शब्द०)। आए हुए रम से मिलता है। यह वास्तव मे पत्र का ही पक्खा-संज्ञा पुं० [हिं० पाखा ] दे० 'पाखा' । उ०—पानी परखा एक भाग है। पीस जन अपना प्रायु गवाउ । -प्राण, पृ० २५६ । विशेष-थूक के साथ मिलकर खाया हुया भोजन अन्न की पक्तपौड-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] पखौडा नाम का एक पेड । नली से होकर नीचे उतरता है और आमाशय मे जाता है पक्तव्य-वि० [स०] पकाने लायक । २ पचाने योग्य । [को० । जो मशक के आकार की थैली सा होता है। इस थैली मे पक्का-वि० [सं० पक्त ] पकानेवाला । पचा सकनेवाला [को०] । प्राकर भोजन इकट्ठा होता है और भामाशय के अम्लरस से मिलकर तथा मास के प्राकुचन प्रसारण द्वारा मथा पका'-सञ्ज्ञा पुं० १ जठराग्नि । २ वह जो रसोई बनाना हो। जाकर ढीला और पतला होता है। जब भोजन अम्लरस रसोइया [को०] । से मिलकर ढीला हो जाता है तव पक्वाशय का द्वार खुल पक्ति-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ रसोई तैयार करना। भोजन पकाना। जाता है और आमाशय वडे वेग से उसे उस ओर ढकेलता भोजन पकाने की क्रिया। २ जठराग्नि जिमसे खाया हुआ है । पक्वाशय यथार्थ मे छोटी प्रांत के ही प्रारभ का बारह अन्न पचता है। ३ फल आदि का पक्वावस्था प्राप्त करना। अगुल तक का भाग है जिसके ततुओं मे एक विशेष प्रकार पकना। ४ गौरव । यश । ख्याति । ५ भोजन की थाली। की कोष्ठाकार अथियाँ होती हैं। इसमें यकृत् से पाकर यौ०-पक्तिनाशन = पाचन क्रिया को खराव करनेवाला । पित्त रस और क्लोम से आकर क्लोम रस भोजन के साथ पक्तिशूल = पाचन की गडवडी से पेट मे होनेवाला दर्द । मिलता है। क्लोम रस मे तीन विशेष पाचक पदार्थ होते हैं पक्तिस्थान = जहाँ भोजन पचता है। पाचनस्थान । जो प्रामाशय से कुछ विश्लेषित होकर आए हुए (अधपचे) पवित्रम-वि० [स०] १ पक्व । पका हुआ। २ पकाया हुआ। द्रव्य का और सूक्ष्म भरगुमों मे विश्लेषण करते हैं जिससे वह ३ उबालने से प्राप्त । पकाने से प्राप्त । जैसे, नमक (को०] । घुलकर श्लेष्ममयी कलाओं से होकर रक्त मे पहुंचने के योग्य पोढ़ाई।