पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४२०

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प्रकपन प्यावनी ३१२४ जल, दूध या शराब आदि पीने में होता है। छोटा कटोरा । प्यूनबुक-सज्ञा स्त्री० [अ० ] वह डायरी या रजिस्टर जिसमें वेला। जाम । पत्रादि चढाए जाते हैं और उसे चपरासी लेकर जिसका मुहा०-प्याला पीना या लेना = मद्य पीना। शराब पीना। पत्र होता है उसे देता है और पानेवाले का हस्ताक्षर उस प्याला देना= मद्य पिलाना। शराब पिलाना । प्याला भरना डायरी या रजिस्टर पर ले लेता है। या लबरेज होना = मायु का पूर्ण होना । दिन पूरा होना । प्यूनी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ हिं• ] दे० 'पूनी' । २. जुलाहों का मिट्टी का वह बरतन जिसमें वे नरी भिगोते हैं। प्यूस-सज्ञा पुं० [ स० पीयूप ] दे० 'पेवस' । ३ गर्भाशय। प्यूसी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ हि० प्यूस ] दे० 'पेवसी' मुहा०-प्याला यहना = गर्भपात होना । गर्भ गिरना । प्यो-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० पिय, पिठ ] पति। स्वामी। खाविंद । , ४ भीख मांगने का पात्र । कासा । खप्पर। ५ तोप या बदूक उ०-एकही दपन देखि कहै तिय नीके लगौ पिय प्यो कहै में वह गदा या स्थान जिसमे रजक रखते हैं। प्यारी। देव सु बालम बाल को बाद बिलोकि भई वलि हों प्यावना-क्रि० स० [हिं० ] दे० 'पिलाना', 'प्याना' । उ०-कमल बलिहारी।-देव ( पाब्द०)। हैन को मति भावत है, मथ मथ प्यावत धैया ।—पोद्दार प्योरो-सज्ञा स्त्री० [ देश०] १ रूई की मोटी बत्ती । २ एक प्रकार अभि० प्र०, पृ० २३४ । का पीला रग। प्यावनि-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० प्यावना ] पिलाने का कार्य । पिलाना। उ०-मैयन फी वह गर लपटावनि । मनि मधुर प्योसर -सज्जा पुं० [सं० पीयूप] हाल की ब्याई हुई गौ का दूष । उ०-सब हेरि घरी है साठी। लै उपर उपर ते काढ़ी। पयोधर प्यायनि । -नद० म०, पृ० २४५ । प्रति प्योसर सरिस बनाई। तेहिं सोठ मिरच रुचिताई।- प्यास-सञ्ज्ञा सी० [सं० पिपासा ] मुंह मौर गले के सूखने से सूर (शब्द०)। होनेवाली वह अनुभूति जो शरीर के जलीय पदार्थ के कम प्योसास-सज्ञा पुं॰ [ स० पितृशाला ] स्त्री के लिये पिता का गृह । हो जाने पर होती है। जल पीने की इच्छा । तृषा। तृष्णा । पीहर । मायका । उ०-परत फिराय पयोनिधि भीतर पिपासा। सरिता उलट बहाई । मनु रघुपति भयभीत सिंधु पत्नी प्योसार विशेप-पारीर के सभी प्रगो में कुछ न कुछ जल का मश पठाई।-सूर (शब्द॰) । होता है जिससे सव अंगों की पुष्टि होती रहती है। जब प्यौदा-सचा पुं० [हिं० पैवद ] दे० 'पैवद' । यह जल शरीर के काम में पाने के कारण घट जाता है तव सारे शरीर में एक प्रकार की सुस्ती मालूम होने लगती प्यौल-सज्ञा पुं० [हिं० ] दे॰ 'पिय' । उ०-जा तिय को परदेसु ते भायौ प्यो मतिराम ।-मति० ग्र०, पृ० ३१८ । है और गला तथा मुह सूखने लगता है । उस समय जल पीने की जो इच्छा होती है उसी का नाम प्यास है। जीवो प्यौरल-सद्धा पुं० [हिं० प्रिय ] १ पति । स्वामी । २ प्रियतम । के लिये भूख की अपेक्षा प्यास अधिक कष्टदायक होती है उ०-हम हारो के के हहा पाइनु पारयो प्योर । लेहु कहा क्योंकि जल की आवश्यकता शरीर के प्रत्येक स्नायु को अजहूँ किए तेह तरेरयौ त्यौरु । -विहारी (शब्द॰) । होती है। भोजन के विना मनुष्य कुछ अधिक दिनों तक जी प्यौसरी-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० प्योसर ] ३० पेवसी' । सकता है पर जल के बिना बहुत ही पोहे समय मे प्यौसारा-सञ्ज्ञा पुं॰ [हिं० ] दे० प्योसार'। उ०-तू भंवर 4 उसका जीवन समाप्त हो जाता है। जो लोग प्यास के मारे वैठ्यौ रहियो, चल बस मेरे प्योसार । -पोद्दार मभि० प्र० मरते हैं वे प्राय. मरने से पहले पागल हो जाते हैं । पृ. ८७७॥ मुहा०-प्यास बुझाना=जल पीकर तृष्णा को त करना । प्र-सक्षा पुं० [सं० ] एक उपसर्ग जो क्रियापो में संयुक्त होने प्यास लगना = प्यास मालूम होना। पानी पीने की इच्छा 'पागे', 'पहले', 'सामने', 'दूर' का अर्थ देता है, विशेषणों होना। संयुक्त होने पर 'अधिक', 'बहुल', 'अत्यधिक' का अर्थ देता है २ किसी पदार्थ मादि की प्राप्ति की प्रवल इच्छा । प्रवल जैसे, प्रकृष्ठ, प्रमत्त धादि पौर संज्ञा शब्दो में सयुक्त होने 'प्रारंभ' (प्रयाण ), 'उत्पत्ति' (प्रभव, प्रपौत्र ), 'ल. प्यासा–वि० [सं० पिपासित या पिपासु ] जिसे प्यास लगी हो । जो (प्रवालभूसिक ), 'शक्ति' (प्रभु), 'माकांक्षा' (प्रार्थना पानी पीना चाहता हो । तृषित । पिपासायुक्त । 'स्वच्छता' (प्रसन्न जल ), 'तीव्रता' (प्रकर्ष ), प्युनिटिव पुलिस-सञ्ज्ञा ली० [ अं• ] वह पतिरिक्त पुलिस दल या 'वियोग' (प्रोषित, प्रपर्ण वृक्ष ), प्रादि का भ जो किसी नगर या गाँव में, वहाँ वालो के दुष्ट प्राचरण देता है। मर्थात् नित्य उपद्रव प्रादि करने के कारण, निर्दिष्ट भवधि प्रकंप-सचा पुं० [सं० प्रकम्प ] थरथराहट । फंपकंपी। के लिये तैनात किया जाता है भौर जिसका खर्च गांववालों प्रकपन तज्ञा पुं० [सं० प्रकम्पन ] १. कंपकंपी। थरथराहट । २ से ही दह स्वरूप लिया जाता है। वायु । हवा । ३. महावात । आँधी (को०)। ४ एक नर प्यून-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] प्यादा। सिपाही। चपरासी । हसकारा। का नाम। ५. एक राक्षस का नाम । कामना।