पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४३

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पक्षद्वार २७५२ पक्षिपति पक्षद्वार-सञ्चा पुं० [सं०] खिडकी । चोर दरवाजा। पक्षवान-सशा पु० पर्वत । विशेष-पुराणों में कथा है कि पहले पर्वतो वो पख होते थे पौर पक्षघर-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ पक्ष का आदमी । तरफदार । २ पक्षी । वे उडते थे। पीछे इद्र ने उनके पर काट लिए । इसी मे इद्र चिडिया। ३ चद्रमा (को०)। ४ समूह से भटका हमा हाथी (को०)। का एक नाम 'पक्षच्छिद' भी है। पक्षधर्म-सज्ञा पु० [म०] पक्ष मे हेतु के होने का अनुमान [को०] । पक्षवाहन-सज्ञा पुं० [म०] चिडिया । पक्षी। पक्षविंदु-सशा पु० [ मं० पक्षविन्दु ] कका पक्षी। पक्षानादी- सञ्चा मी० [सं०] पख की खोखली डडी जिससे कलम तैयार की जाती है [को०] । पक्षव्यापी - वि० [म०] किसी विवाद पर छा जानेवाला [को०] । पक्षनिक्षेप-सज्ञा पुं॰ [स०] १ किसी पक्ष या विवाद मे डालने की पक्षसुदर-सचा पु० [ मै० पक्षसुन्दर ] लोध्र । क्रिया । २ पख गिराना [को०) । पक्षहत-वि॰ [ स०] जिसका एक पार्श्व लकवे के आघात से वेकाम हो गया हो [को०] । पक्षपात-सा पु० [सं० ] बिना उचित अनुचित के विचार के किसी के अनुकूल प्रवृत्ति या स्थिति । तरफदारी । २ रुचि । इच्छा पक्षहर-संज्ञा पु० [२०] १ पक्षी । २ दगाबाज । विश्वामघाती [को०) (को०)। ३ अनुराग । प्रासक्ति (को०)। ४ (चिडियों के) पक्षहोम - सशा पुं० [म०] एक पखवारे तक चलनेवाला यज्ञ [को०] । पखो का गिरना (को०)। पक्षांत-सा पुं० [सं० पक्षान्त ] १ अमावस्या । २ पूणिमा। ३ पक्षपातिता-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ पक्षपाती होने की क्रिया या भाव । सैन्यदल का मतिम छोर [को॰] । पक्षग्रहण । २ मित्रता । ३ पखो का सचालन (को॰) । पक्षांतर-सगा पु० [ स० पक्षान्तर ] दो पक्षो मे से कोई एक पक्ष । पक्षपातित्य-सञ्ज्ञा पु० [स०] दे० 'पक्षपातिता' [को०] । दूसरा पक्ष [को॰] । पक्षपाती-वि० [सं० पक्षपातिन् ] तरफदार । विना उचित अनुचित पक्षाघात- सज्ञा पु० [ स०] अर्घाग रोग जिममे शरीर के दाहिने या के विचार के किसी के अनुकूल प्रवृत्त होनेवाला। वाएँ किसी पार्श्व के सब अग (जैमे, हाय पैर, कधा, इत्यादि) क्रियाहीन हो जाते हैं । प्राधे प्रग का लकवा । फालिज । पक्षपालि-सज्ञा स्त्री० [सं०] पक्षद्वार । खिडकी [को०] । विशेप-वैद्यक के अनुसार इस रोग मे कुपित वायु शरीर के पक्षपुट-सज्ञा पु० [सं०] पख । पर । हैना [को०] । प्रांग मे भरकर और उसकी शिरानो और स्नायुप्रो का पक्षपोषण-वि० [सं०] कोई एक पक्ष लेनेवाला। झगडा कराने- शोषण करके सघिवधनो और मस्तिष्क को शिथिल कर देती वाला [को०)। है जिससे उस पार्श्व के सब प्रग निष्क्रिय और निश्चेष्ट हो जाते पक्षप्रद्योत-सशा पुं० [मं०] नृत्य मे हस्तमुद्रा का एक भेद [को॰] । हैं। डाक्टरो के अनुसार पक्षाघात दो प्रकार का का होता है, पक्षबिंदु-सया पुं० [स० पक्षयिन्दु] 79 'पक्षविंदु' [को०] । एक तो वह जिसमे अगो की गति मारी जाती है, दूसरा वह पक्षभाग-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ काँख । पसली और कूल्हे के बीच का जिसमे सवेदना नष्ट हो जाती है और अग सुन्न हो जाते हैं। मांसवाला भाग । २ हाथी का पार्श्व (को०)। पक्षाभास-सञ्चा पुं० [ म०] सिद्धांताभास । पक्षभुक्ति-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] वह दूरी जो सूर्य एक पखवारे में पूरी पक्षालिका-सज्ञा ग्वी० [सं० ] कुमार की अनुचरी मातृका । करता है [को०] । पक्षालु-सज्ञा पुं० [सं०] पक्षी। पक्षभेद-मज्ञा पुं० [म०] किसी विवाद का दो पक्षो में बँटवारा [को०) । पक्षावसर-सज्ञा पुं॰ [ स०] पूणिमा । पक्षमूल-सञ्ज्ञा पु० ]सं०] १ डैना । पर । २ प्रतिपदा तिथि । पक्षाहार-सशा पु० [स०] वह जो पखवारे में एक बार भोजन पक्षरचना-सज्ञा स्त्री० [सं०] किसी के पक्षसाधन के लिये रचा हुमा करे [को०] आयोजन । पड्यत्र । चक्र । पक्षि-वि० [म० पक्षिन् ] प खवाला । डेनेवाला [को॰] । पक्षरात्रि-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार की क्रीडा । एक खेल [को०] । पक्षिकोट-सशा पुं० [ स०] छोटी चिडिया[को॰] । पक्षरूप-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] महादेव । पक्षिणी'-वि० [सं०] पक्षवाली। पक्षवचितक-सञ्ज्ञा पु० [म० पक्षवश्चितक] नृत्य में हाथ की एक विशेष पक्षिणी-सञ्चा स्त्री. १ चिडिया। मादा चिडिया। २ पूर्णिमा । मुद्रा [को०] । ३ दो दिन और एक रात का समय ( स्मृति )। ४ वाल- पक्षवध-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] दे० 'पक्षाघात' (को॰) । घातिनी पूतना (को०)। पक्षवर्धिनी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं० पक्षवर्धिनी ] वह द्वादशी तिथि जो पक्षितीर्थ-मञ्च पु० [सं०] दक्षिण का एक तीर्थ । सूर्योदय से लेकर सूर्योदय तक रहे। विशेष-प्राचीन काल मे यह तीर्थ हिंदुओ और बौद्धो के बीच पक्षवाद-सज्ञा पुं॰ [स०] एकपक्षीय वयान । एकतरफा बयान [को०] । प्रसिद्ध था। यह मदरास से १६-१७ कोस दक्षिण पडता है। पक्षवान्'–वि० [स० पक्षवत् ] [वि॰ स्त्री० पक्षवती] १ पक्षवाला। आजकल इसका नाथ 'तिरुक्कडुकुनरम्' है। परवाला।२ उच्च कुल में उत्पन्न । पक्षिपति-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] सपाति का नाम [को॰] ।