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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४७०

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उन्नत प्रपौत्री प्रबाधित प्रपौत्री-सा स्त्री० [सं०] पडपोती। पुत्र की पोती। पोते की उ०-इते इंद्र अति फोह के और किए प्रबंध । नंदनंदह को पुत्री। लखत नहिं ऐसो मति को अघ ।-व्यास (शब्द॰) । प्रप्यायन-सञ्ज्ञा पु० [सं०] सूजन [को०] । प्रबंधक--वि० सफा पु० [सं० प्रबन्धक ] प्रवधकर्ता। प्रबंध करने- वाला [को०] । प्रफुड़ना-क्रि० प्र० [स ०+ स्फुटन ] दे० 'प्रफुलना'। प्रवधकल्पना--सा सी० [स० प्रबन्धकल्पना J१ प्रबंधरचना । प्रफुलद-वि० [हिं० प्रफुलना ] दे० 'प्रफुल्ल' । उ०-प्रफुलंद संदर्भरचना। २ ऐसा प्रबंध जिसमें थोडी सी सत्य कथा पकज जाण षटपद हिये वू हरषावियाँ ।-रघु० रू०, में बहुत सी बात ऊपर से मिलाई गई हो । पृ.१२६ । प्रबंधकाव्य-सच्चा पुं० [सं० प्रबन्धकाव्य ] काव्य का एक भेद जो प्रफुलना-क्रि० स० [स० प्रफुल्ल ] फूलना। खिलना । विकसित मुक्तक काव्य के विपरीत है और जिसमें जीवन की घटनामो होना। का क्रमबद्ध उल्लेख किया जाता है, जैसे रामचरित- प्रफुला-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ प्रफुल्ल (=खिला हुश्रा)] १. कुमुदिनी । मानस । उ०-कही तो प्रबंधकाव्य और कही मुक्तककाव्य कुंई। उ०-प्रफुला हार हिए लसै सन की वेदी भाल । के कृत्रिम विभेद खड़े कर सूरदास जी की हेठी दिखाई गई है। राखति खेत खरी खरी खरे उरोजन बाल ।-बिहारी (शब्द०)। -पोद्दार अभि० ग्र०, पृ० १०७ । विशेप-पं० हरिप्रसाद ने इस दोहे का जो संस्कृत अनुवाद प्रबधन-सज्ञा पु० [सं० प्रबन्धन ] १. प्रकृष्ट वधन । डोरी आदि आर्या छद में किया है। उसमें यही अर्थ लिया है-लसित बाँधने की वस्तु । २ वाषने का कार्य । बाँधना (को०] । कुमुदिनीमाला ग्रामीणा क्षण कुसुमतिलकभाला । प्रब-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० प्रभु ] प्रभु। स्वामी। मालिक । ईश्वर । पयोधरेय रक्षित बालोत्थिता क्षेत्रम् । उ०-साधु सग कबहूँ नहिं कीन्हा, नहिं फीरति प्रब गाई । जन नानक मे नही कोउ गुन, राखि लेहु सरनाई।-सत २. कमलिनी। कमल । उ०-छूवैगा जो, तू रे ! भवर कर्ह वाणी, भा० २, पृ० ५०॥ याको तनक हू । करूँ तोको बदी पकरि प्रफुला के उदर में । प्रब-तज्ञा पुं० [सं० पर्व, पुं० हिं० प्रव्य ] दे० 'पर्व'। -लक्ष्मण सिंह (पाब्द०)। प्रबच्छति प्रेयसी-सद्या स्त्री० [हिं०] *• 'प्रवत्स्यत्प्रेयसी' । प्रफुलित-वि० [स० प्रफुल्ल] १. खिला हुआ । कुसुमित । उ०-- उ०-फही प्रबच्छति प्रेयसी, प्रागतपतिका बाम । --मति. मुख देखत शोमा एक पावत मनो राजीव प्रकाश । प्रण ग्र०, पृ० २६४। मागमन देखिकै प्रफुलित भए हुलास ।—सूर (शब्द॰) । २. प्रवभ्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] इद्र [को०] । प्रफुल्ल । पानदित । उ०- अंगुरिन मैं अगुरी कर हिए। प्रबई-वि० [स० ] सर्वोत्कृष्ट । सर्वश्रेष्ठ । सर्वप्रधान (को०] । प्रफुलित फिरे सग हरि लिए। लल्लू (शब्द॰) । ३ जागृत । प्रबल'-वि० [स०] [ वि० सी० प्रचला ] १. बलवान् । प्रचड । २ उ०-मलयागिरि बासी हू पवन काम अगिनि प्रफुलित करत । जोर का । तेज । तु६ । उन। उ०-कबहुँ प्रबल चल मारुत -बज० ग्र०, पृ०१०१। जहं तहँ मेघ बिलाहिं । -तुलसी (शब्द॰) । ३. कष्टकर । प्रफुल्त-वि० [सं०] खिला हुआ । विकसित । प्रफुल्ल [को०] । हानिकर । खतरनाक (को०)। ४. भारी। घोर । महान् । प्रफुल्ति-सञ्ज्ञा मी० [ स०] विकास । प्रफुल्ल होना (को०] । उ०-लपठ झपट महराने हहराने वात भहराने भट परयो प्रवल परावनो।-तुलसी (शब्द०)। ५ हानिकर । नुकसान- प्रफुल्ल-वि० [सं०] १. विकाशयुक्त । खिला हुआ । विकसित । देह (को०)। प्रस्फुटित । जैसे, प्रफुल्ल कुसुम । २ कुसुमित । फूला हुआ । प्रबल-सक्षा पुं० १. एक दैत्य का नाम । २. पल्लव । जिसमे फूल लगे हों। ३. खुला हुमा । जो मुंदा हुआ न हो कोयल [को०] । जैसे, प्रफुल्ल नेत्र । ४.प्रसन्न । हँसता हुमा । मानदित । जैसे, प्रफुल्ल वदन । प्रबना'--सझा स्त्री० [ स० ] प्रसारिणी नाम को पोषधि । यौ०-प्रफुल्लनयन । प्रफुल्लनेत्र । प्रफुल्ललोचन । प्रफुल्लवदन । प्रबला-वि० स्त्री०१ बहुत बलवती । २ प्रचडा । प्रबंध-सञ्ज्ञा पुं० [ स० प्रबन्ध ] १ प्रकृष्ट बघन । बाँधने की डोरी प्रबह्निका-सशा स्त्री॰ [स० ] पहेली । प्रहेलिका । वुझौवल (को०] । पादि । २ बंधान । कई वस्तुप्रो या बातों का एक मे ग्रथन । प्रबाधक--वि० [स०] १. विरोध करनेवाला। हटानेवाला। २ सतानेवाला। कष्टकर । ३. अलग रखने या रोकने- योजना । ३. पूर्वापर सगति । बंधा हुमा सिलसिला । ४. एक दूसरे से सबद्ध वाक्यरचना का विस्तार । लेख या अनेक वाला। पीछे रखनेवाला । ४ अस्वीकार करनेवाला । न सवद्ध पद्यों मे पूरा होनेवाला काव्य । निबध । उ०-दुर- माननेवाला [को०] । जोधन अवतार तुप सत सांवत सकबध। भारथ सम किय प्रबाधन-सचा पुं० [स०] १ कष्ट देना। सताना । २. अस्वीकार भुवन मह ताते चद्र प्रवध ।-५० रासो, पृ० १। करना । न मानना । ३. भलग रखना । दूर रखना (को०) । विशेष-फुटकर पद्यो को प्रबध नही कहते, प्रकीर्णक कहते हैं । प्रबाधित -वि० [स०] १. सताया हया । पीडित । २. बलपूर्वक ५. प्रायोजन । उपाय । ६. व्यवस्था । बंदोबस्त । इंतजाम । प्रागे किया हुआ । भागे बढ़ाया हुआ [को०] ।