पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४९७

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इत्यादि । प्रसरणी ३२०६ प्रसाद प्रसरणी-सचा स्त्री॰ [सं०] १ प्रसरण । फैलाव | पसार । २ शत्रु प्रसवस्थान-माला पुं० [सं०] १. यह स्थान जहाँ प्रसव कराया जाता को चारो ओर से घेरना (को०] । है । प्रसूतिगृह । २ घोसला । नीड [को०] । प्रसरा-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] प्रसारणी लता । गधाली । परसन । प्रसविता'-वि० [मं० प्रसवित] [N० ला• पसचित्रो] जन्म देनेवाला उत्पादक । उत्पन्न करनेवाला। प्रसरित-वि० [सं०] १ फैला हुपा । पसरा हुआ । २ विस्तृत । ३ आगे को बढा हुमा । स्थान से भागे को खसका हुषा । प्रसरिता-सज्ञा पु० पिता । जनक । बाप । प्रसर्ग--सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. निक्षेपण। किसी चीच को ऊपर से प्रसवित्री-सजा गी० [स०] माता [को०] । छोडना । गिराना । २ वर्षण । वरसाना । प्रसविनी-वि० सी० [सं०] उत्पन्न गरनेवाली। जननेवाली। प्रसर्जन-सज्ञा पुं० [सं०] १ निक्षेप । गिराना। हालना । २ उ०-वीर पन्यका, वीर प्रराविनी, बोरवन जग जानी। वर्षण । बरसाना। हरिश्चद्र (शब्द०)। प्रसर्प-सा पुं० [स०] १ गमन । २ यज्ञार्थ 'सदस' में जाना (को॰) । प्रसवी-१० [स० प्रसविन् ] [ वि० रनी प्रसविनी] १. प्रसवशील । २ उत्पादक। प्रमय करनेवाला। जन्म देनेवाला। उसन ३ एक प्रकार का सामगान । करनेवाला। प्रसर्पक-सज्ञा पुं० [सं०] १ सहकारी ऋत्विज् । २ वह दर्शक प्रसव्य'-राजा पु० [म०] बाई घोर गे परिक्रमा फरना । प्रदक्षिण जो यज्ञ में बिना बुलाए पाया हो। का उलटा। प्रसर्पण-शा पुं० [स०] १. प्रसरण । गमन । जाना । २ प्रसन्य-वि० १. प्रतिकूल । २. वामवर्ती। वायाँ । याम भाग में खिसकना । ३. घुसना । पैठना । ४. सेना का पारो मोर स्थित (को०) । ३. प्रसवनीय । ४ अनुकूल (को०)। फैलना। ५ शरण का स्थान । रक्षास्थान | ६ गति । चलने प्रसह-सज्ञा [सं०] दे० 'प्रसाह, 'को०] । का भाव या कार्य । ७ यज्ञार्थ 'सदस' में जाना । (को०) । प्रसह-सज्ञा पुं॰ [म०] १ पक्षियो का एका भेद । वे पक्षी जो कपाटा प्रसर्पगी-सज्ञा पुं० [सं० ] दे० 'प्रसरणी'-२ [को०] । मारकर अपना भक्ष्य या शिकार पफरते हैं। शिकारी प्रसी-वि० [ सै० प्रसपिन् ] १ रेंगनेवाला । २ गतिशील | ३ चिडिया। जैसे, कोमा, गोध, वाज, उल्लू, चील, नीलकठ यज्ञ की सभा में जानेवाला । प्रसल-सञ्ज्ञा पुं० [ स०] हेमंत ऋतु । विशेप-वैद्यक में इन पक्षियो का मास उष्णवीयं बताया गया प्रसवती-सचा स्त्री० [सं० प्रसवन्ती ] वह स्त्री जिसे प्रसववेदना है और कहा गया है कि जो इसका मास खाते हैं उन्हे शोष, हो । प्रसवपीडाग्रस्त स्त्री [को०] । भस्मक और शुभक्षय रोग हो जाता है । प्रसव-सज्ञा पु० [स०] १ बच्चा जनने की क्रिया । जनन । प्रसूति । २ अमलतास का पेड । ३ विरोध । प्रतिरोध [को०] । २ जन्म । उत्पत्ति । ३ प्रपत्य । घच्चा । सतान । ४. प्रसहन-सा पुं० [सं०] १ हिंसक पशु । २ प्रालिंगन । ३ सहन । फल । ५ फूल । ६ वृद्धि । बढ़ती । ७. निकास । ८ प्रादेश । क्षमा । सहनशीलता । ४ परामव करना । पराभूत करना पाशा (को०)। (को०) । ५ प्रतिरोध । अवरोघ (को॰) । यौ०-प्रसवकाल । प्रसवगृह = प्रसूतिगृह । सौरी । प्रसवधमी। प्रसहन - वि० सहनशील । प्रसवपीढा=प्रसव की व्यथा । प्रसवनधन । प्रसववेदना । प्रसहा-सा सी० [सं०] कटाई । वृहती। प्रसवव्यथा = प्रसव के समय स्त्री को होनेवाली पीर वा पीडा । प्रसह्य -नि० वि० [२०] हठात् । बलपूर्वक [को०] । प्रसवस्थली । प्रसवस्थान । प्रसह्य चौर-सज्ञा पुं० [स०] जबरदस्ती माल छीननेवाला । प्रसवक-सञ्चा पुं० [स०] पियार का वृक्ष । चिरौंजी का पेट । प्रसहाहरण-सज्ञा पुं॰ [भ०] जबरदस्ती हर ले जाना । जैसे पत्रिय प्रसवकाल-सज्ञा पुं० [सं०] उत्पत्ति का समय । बनन का अवसर । फन्यानो का हरण करते थे। प्रसवधर्मी-वि० [सं० प्रसवधर्मिन् ] १. प्रसव करनेवाला । पैदा प्रसातिका-सा सी० [सं०] अणुमोहि । सायो । करनेवाला । २. उपजाऊ । फलप्रद [को०] । प्रसाद'-सज्ञा पुं॰ [स०] १ प्रसन्नता । २ अनुग्रह । कृपा । मिहर- प्रसवन-सच्चा पुं० [सं०] [ वि०प्रसवनीय ] बच्चा जनना। वच्चा वानी। ३. निर्मलता । स्वच्छता । सफाई। ४ स्वास्थ्य । पैदा करना। ५ वह वस्तु जो देवता को चढ़ाई जाय । ६ वह पदार्थ जिसे प्रसवनाg'-क्रि० प्र० [सं० प्रसवन] पैदा होना । उत्पन्न होना । देवता या बसे लोग प्रसन्न होकर अपने भक्तों या सेवकों को दें। देवता या बडे फी देन । जैसे,—यह सब माप ही का प्रसवना--क्रि० स० उत्पन्न करना । पैदा करना। प्रसाद है। उ०—यह मैं तोही मैं लखी भक्ति अपूरब बाल । प्रसवबधन-सञ्चा पुं० [स० प्रसवयन्धन] वह पतला सौंका जिसके लहि प्रसाद माला जु भी तन कदव की माल ।-बिहारी सिरे पर पचा या फूल लगता है । नाल । (शब्द०)। ७ देवता, गुरुजन मादि को देने पर बची हुई वस्तु प्रसवस्थली-सहा सो [स०] मा [को०] । जो काम में लाई जाय । ८. भोजन । (भक्त भौर साधु)।