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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४९८

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प्रसाद २२०७ प्रसारिणी मुहा०-प्रसाद पाना = खाना। भोजन करना । उ०-तृण नाटक के तीन वर्ग किए हैं दुःखात, सुखात पौर प्रसादात ।- शय्या पौ प्रल्प रसोई पामो स्वल्प प्रसाद । पैर पसार चलो हिं० ना०, पृ०२१॥ निद्रा लो मेरा पाशीर्वाद-श्रीधर (णब्द०)। प्रसादिनी-वि० [सं० प्रसाद +हिं० इनि (प्रत्य०)] प्रसन्न करनेवाली। ६. काव्य का एक गुण । जिसकी भाषा स्वच्छ और साधु हो, अनुग्रह करनेवाली। उ०-विचर रही निर्मम अबाव तुम जिसमें समस्त पद कम हो, और जटिल ग्रामीण शब्दन पाए विश्वविषादिनि, लोकप्रसादिनि ।-रजत०, पृ० ७६ । हो और सुनने के साथ ही जिसका भाव श्रोता की समझ प्रसादी-वि० [सं० प्रसादिन ] १ प्रसन्न करनेवाला। २ प्रीति मे पा जाय। १० शब्दालकार के प्रतर्गत एक वृत्ति । करनेवाला । प्रीतिकर। ३ शात । ४. अनुग्रह करनेवाला । कोमला वृत्ति । ११ धर्म की पत्नी मूर्ति से उत्पन्न एक पुत्र । कृपा करनेवाला । ५ निर्मल । स्वच्छ । यौ०-प्रसादपट्ट = सम्मानार्थ राजा द्वारा प्रदत्त शिरोवस्त्र । प्रसादो-सज्ञा स्त्री० [हिंप्रसाद+ई] १ देवताप्रो को चढाया हुप्रा प्रसादपट्टक= राजा की कृपा को धोतित करनेवाला शासन पदार्थ । २. नैवेद्य । ३ वह पदार्थ जो पूज्य और बडे लोग पत्र । प्रसादपराङ्मुख । प्रसादपात्र = अनुग्रह का पात्र । छोटो को दें। बडों को देन । उ०-तब श्री गुसाई जी अपने कृपापात्र । प्रसादस्थ । प्रसादी उपरेना उढ़ायो ।-दो सौ बावन०, भा०२, पृ०१११ । प्रसाद-राज्ञा पुं॰ [हिं० प्रासाद] दे० 'प्रासाद'। उ०—ाह प्रसाद ४ देवता को बलि चढाए हुए पशु फा मास । (तोरन) ऊतग छत्र जत्रह सकटावै ।-पृ० रा०, ७१७१ । प्रसाधक'-वि० [स०] [ 'व० स्त्री० प्रसाधिका ] १ भूपक । प्रसादक'-वि० [स०] [वि॰ स्त्री० प्रसादिका ] १. अनुग्रह- अल कृत करनेवाला । २ सपादक । निर्वाह करने वाला। कारक । २ निर्मल । ३ प्रसन्न करने वाला । ४ प्रीतिकर । सपादन करनेवाला। ३. राजाओ को वस्त्र प्राभूपणादि' पहनानेवाला। प्रसादकर-सञ्ज्ञा पुं० १ प्रसाद । २. देवधन । ३ बथुए का साग । प्रसाधक-सशा पुं० वह सेवक जो राजा स्वामी को वस्त्रा- ४ कौटिल्य के अनुसार देश या धन प्रादि का प्रषामिक के भूषणादि पहनाने के कार्य पर नियुक्त हो [को०] । हाथ से निकलकर किसी धार्मिक के पास जाना । धार्मिक पुरुष का लाभ जिससे जनता को प्रसन्नता होती है। प्रसाधन-सक्षा पु० [ स०] १ वेष । २ भलकार। शृगार । ३ कधी। ४ सपादन । ५ महावला लता। प्रसादन'–सशा पुं० [सं०] १ प्रसन्न करना । २ निर्मल करना । प्रसाधनी-सशा स्त्री० [सं०] कधी । दतपत्रिका । स्वच्छ करना (को०) । ३ राजकीय शिविर । राजा का खेमा प्रसाधिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ निवार धान । २.प्रसाधन करने- (को०) । ४ अन्न । वाली स्त्री (को०)। प्रसादन-वि० प्रसन्न करनेवाला। प्रसन्नता देनेवाला । स्वच्छ, निर्मल या शुद्ध करनेवाला । प्रसाधित-वि० [ स०] १. संवारा हुआ। सजाया हुआ । २ सुसं- पादित । ३ सिद्ध । प्रमाणित (को०)। प्रसादना-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ सेवा । परिचर्या । २ स्वच्छ, निर्मल या प्रसन्न करना (को॰) । प्रसार-सज्ञा पु० [स०] १ विस्तार । फैलाव । पसार । २. सचार । ३. नमन । ४ निर्गम । निकास । ५ इधर उधर जाना । फिरना। प्रसादनाg२ --क्रि० स० [म० प्रसादन ] प्रसन्न करना । उ०- ६. कौटिल्य अर्थशास्त्रानुसार युद्ध के समय वह सहायता बहु भौति वगारे जो या ब्रज अति प्रानन भोप अनूप जो जंगल प्रादि पडने से प्राप्त हो जाय । ७ खोलना । जैसे, कला । द्विजदेव जू चद्रिका की छबि जाकी प्रसादि रही मुख प्रसार (को०)। ८ फेंकना । उत्क्षेपण । जैसे, बूलि प्रसार सिगरी अचला। निरख्यो जब तें इन नैनचकोरन बीतत ज्यो (को०)। ६ क्रय विक्रय की दुकान । व्यापारी की दुकान । जुग एक पला । चहुँघा, सखि, चांदनी चौक में डोलत चद बनिए की दूकान (को०)। अमद सो नदलला ।-द्विजदेव (शब्द०)। प्रसारक-वि० [ स०] फैलानेवाला । विस्तृत करनेवाला । प्रसादनी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] दे० 'प्रसादना" । प्रसारण - सञ्चा पु० [ स०] [ वि० प्रसारित, प्रसार्य ] १ फैलाना। प्रसादनीय-वि॰ [स] प्रसन्न करने योग्य । पसारना । विस्तृत करना। प्रसादपराड मुख-वि० [सं०] १ जो किसी की कृपा फी परवाह विशेष–वैशेपिक में जो पांच प्रकार के कर्म कहे गए हैं उनमें न करे। २ जो किसी का पक्ष लेने से विमुख हो गया एक कर्म यह भी है। हो (को०)। २. बढ़ाना ३. शत्रु को चारो मोर से घेरना (को०)। ४. प्रसादपात्र-सज्ञा पु० [ स०] वह जो कृपा पाता हो । कृपापात्र । खोलना । प्रदर्शित करना (को०) । ५ सप्रसारण । व्याकरण मे प्रसादस्थ-वि० [ स०] १ अनुकूल । कृपालु । दयालु । २ प्रसन्न । य् व् र् ल् का ६ उ ऋ एव लू में बदलना (को॰) । हृष्ट (को०)। प्रसारणो-सशा सी० [स०] १ गधप्रसारिणी नाम की लता। प्रसादांत-वि० [सं० प्रसाद + अन्त, सुल मं० कामेडी ] जिसका मत २. दे० 'प्रसारिणी'-५ [को॰] । हर्षकारी हो। हास्यप्रधान । प्रहसनात्मक । उ०-हमने प्रसारिणी-सज्ञा ली० [सं०] १. गधप्रसारिणी लता । २. लजालु । , .