& प्रसारित ४१०८ प्रसृत लाजवती । ३ (सगीत में ) मध्यम स्वर की चार श्रुतियो प्रसू-सज्ञा स्त्री० १ माता । जननी । २ घोड़ी । ३ लता। वल्ली में दूसरी श्रुति । ४ देवघाग्य । ५ शत्रु को चारों ओर से (को०) । ४ नरम घास । म कुर । ५ फुश । ६. केला । धेरना [को॰] । प्रसूका-महा स्त्री० [सं०] १ अश्वगधा । असगध । २. घोडी (को॰) । प्रसारित-वि० [सं०] १ फैलाया हुआ । पसारा हुमा । २ बेंचने प्रसूत'-वि० [सं०] [स्रो० प्रसूता] १ उत्पन्न । सजात । पंदा। २ के लिये प्रदर्शित या रखा हुमा (को॰) । प्रसव किया हुमा । पैदा किया हुमा (को०) । ३ उत्पादक । प्रसारी-वि० [ सं० प्रसारिन् ] [ वि० स्त्री प्रसारिणी ] १ फैलने- प्रसूत-सज्ञा पुं० १ कुसुम । फूल । २ चाक्षुष मन्वंतर के एक देवगण वाला । २ फैलानेवाला (को०)। का नाम । ३ एक रोग का नाम जो स्पियो को प्रसव के पीछे प्रसार्य, प्रसार्य–वि० [सं०] फैलाने योग्य । प्रसारणीय । होता है । इसमें प्रसूता को ज्वर होता है और दस्त पाते हैं । प्रसाह.-सचा पुं० [स०] १ शौयं । शक्ति । २ इंद्र का एक प्रस्ता-सशा पुं० [सं० प्रस्वेद ] एक रोग का नाम जिसमें रोगी के नाम (को०] । हाथ और पैर से पसीना छूटा करता है। प्रसाह-सज्ञा पु० [सं०] १ प्रात्मशासन । २ वश में करना [को०] । प्रसूता-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ बच्चा जननेवाली स्त्री। वह जिसने प्रसित'-सज्ञा पुं० [स०] पीब । मवाद । वच्चा जना हो। जच्चा । २ घोडी। प्रसित-वि० १ बंधा हुमा । प्रावद्ध । २. लगा हुमा। प्रासक्त। प्रसूति-संज्ञा स्त्री० [सं०] १ प्रसव । जनन । २. उद्भव । उ०- ३ अतीव स्पष्ट । पत्यत साफ [को०] । तुलसी स धो सकल विधि रघुवर प्रेम प्रसूति ।- तुलसी प्रसिति-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ रस्सी । २ रश्मि । ३ ज्वाला । लपट । प्र०, पृ०६७। ३. कारण । प्रकृति । ४ उत्पत्तिस्थान । ५ ४ जाल (को०)। ५ आक्रमण । हमला (को॰) । सतति । अपत्य । ६. जिस स्त्री ने प्रसव किया हो। प्रसूता । पहुँच । सीमा (को०)। ७ श्रेणी । क्रम । सिलसिला (को॰) । ७. दक्ष प्रजापति की स्ली का नाम जिनसे सती का जन्म ८ शक्ति । प्रभाव । ६ पथ । मार्ग (को०)। १० उत्क्षेपण । हुमा था। फेंकना [फो०] 1 यौ०-प्रसूतिगृह । प्रसूतिम । प्रसूतिज्वर । प्रसूतिवायु । प्रसिद्ध-वि० [स०] १ भूषित । अलंकृत । २ ख्यात । विभ्याउ । प्रसूतिका'-सशा श्री० [सं० ] वह स्त्री जिस फो बच्चा हुआ हो । प्रसूता। प्रसिद्धक-सज्ञा पुं० [स०] एक विदेहवंशी राजा जो मक का पुत्र था । प्रसूतिका-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० ] दुःख । प्रसिद्धता-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] ख्याति । प्रसूतिगृह–सञ्चा पुं० [सं० ] वह स्थान जहाँ वच्चे का जन्म हो । सौरी। प्रसिद्धि-सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ ख्याति । २. भूषा । बनाव सिंगार । ३ सफलता। सिद्धि (को०)। प्रसूतिज-सधा पुं० [स०] प्रसव से उत्पन्न होनेवाली पीटा। प्रसिध-वि० [सं० प्रसिद्ध ] दे० 'प्रसिद्ध' । उ०-दिष्पेसु नयन प्रसववेदना [को०] । पुहरि प्रसिध कियो पाय इन धूव करि ।-पृ०रा०१।५८२ । प्रसूतिज्वर-सशा पुं० [ स०] वह ज्वर जो प्रसव के बाद स्ली को प्रसोदिका-सज्ञा स्त्री० [सं०] छोटा उपवन । छोटी वाटिका (को०] । पाने लगता है । दे० 'प्रसूत'२-३ । प्रसुत'-वि० [सं०] दबाकर निचोडा हुआ। प्रतिवायु-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] वह वायु जो प्रसववेदना के समय प्रसुत-सञ्ज्ञा पुं० एक संख्या का नाम । गर्भ में उत्पन्न होती है [को०] प्रसुप्त'-वि० [सं०] १ सोया हुमा । निद्रित । २ खुब सोया हुमा । प्रसन'- सज्ञा पुं॰ [ स०] १. पुष्प । फूल । उ०-बाल गुलाब प्रसून ३ अक्रिय । निष्क्रिय (को०)। ४. जिसमें सज्ञा न हो। सज्ञा- फों अव न चलावै फेरि । परी लाल के गात मैं खरी खरोटे हीन (को०) । ५. मुदा हुआ । सपुटित (पुष्प मादि)। हेरि-स० सप्तक, पृ० २४० । यौ०-प्रसूनवाण, प्रसूनशर = कामदेव । प्रसूनरससंभवा = फूलों प्रसुप्त-सञ्चा पु० [स०] योग में अस्मिता, राग, द्वेष और अभि- निवेश इन चारों पलेशो का एक भेद या अवस्था जिसमें की शर्करा । चीनी जो पुष्प से बनाई गई हो । २ फल । फिसी क्लेश को चित्त में सूक्ष्म रूप से प्रवस्थिति तो रहती हैं, पर उसमें कोई कार्य करने की शक्ति नहीं रहती। प्रसून-वि० उत्पन्न । जात । पैदा । प्रसुप्ति-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ गाढ़ी नींद । नीद। उ०-इस प्रसुप्ति प्रसनफ-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १. फूल । मुकुल । २. कली। ३ एक से जगा रही जो वता, प्रिया सी है वह कौन ?–अपरा, प्रकार का फदंब (को०)। पृ० ११० । २ सज्ञाहीनता । सवेदनहीनता [को०] । ३ प्रस नाजलि-सज्ञा स्त्री॰ [स०प्रस नाञ्जलि ] दे० 'पुष्पाजलि' । निष्क्रियता । निश्चेतता (को०)। प्रस नेषु-सधा पुं० [ स० ] कामदेव (को०] । प्रसू-वि० स्त्री० [स०] जननेवाली। उत्पन्न करनेवाली। जैसे, वीर- प्रसृत'-वि० [सं०] १ फैला हुआ। २ प्रवृद्ध । बढ़ा हुमा । ३. प्रस = वीर (पुत्र) पैदा करनेवाली। विनीत । ४. भेजा हुमा । गया हुमा । प्रेरित । ५ लगा हुमा । मशहूर । -
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४९९
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