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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५०१

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. प्रस्तरोपल १९१० प्रमोना प्रस्तरोपल-राशा पुं० [सं०] चद्रकात मणि । विशेष-गूत्रपार, 17, नो, विदार, परिपारि प्रस्तष-सा पुं० [सं०] १. स्तुति या प्रार्थनापरमा गीत । ३. पोपरयातामा, मी मभी अनुकुल प्रवरार (01 कपि पर परिपय, मा की प्रागा पादि माना। प्रस्तवन-राश पुं० [सं० प्रस्ताय ] प्रस्तुतीकरण । उपम्पिा करो भरा मुनि के भनुसार प्रसाना पाप प्रणा मी नमः का भाव। है-पातर, गपोद्यान, योगानिक गग सिरा। प्रस्तार--राशा पुं० [सं०] १. फैलाय । चिरतार। २ पापिय । पद्धि । ३ पास या पत्तियो गा बिछौना। ४ परत । प्रस्तावित- [10] १. जिम नि माया हो । जिथे पटल । तह । ५. सीढ़ी। ६ समतल । पौटी सतह । ७ पाय विगे प्रII froा गया।२ परम पिपामारी का जगल । ८ छदशाम के भनुगार को प्रत्ययों में पहला पिगा गया। पापा घर । जिससे छदो के भेद फी संख्या मोर पो का ज्ञान होता है। जाया गया हो। पगि । यह दो प्रकार का होता है, वणप्रस्तार पोर गावाप्रतार । प्रस्वाध्य-[10] प्रताप पो ६ शय्या । विछापन (iv) | १० फैलाना । मात मरना । प्रस्तिर--13. [in ] ZJ या पाम पादि ढकना (ala)| गा पिदान। प्रतारपक्ति-मस पी० [० प्रस्तारपट्रिक्त ] एक पेटिय पद जो प्रस्तोत, प्रातीग- [in ] १. afriा पागा l पत्ति छद का एक भेद है । इसके पहले मौर दूसरे परणों में यनित । २ एनिम | वारह अक्षर भोर तीसरे पोये में माठ माठ पक्षर होते हैं। प्रसुत-20 [...] १. दिसायो । प्रस्तारी-वि० [ग प्रस्तारिन् ] फैलाने राना । प्रस्तापा [० । जो गहा गया। उत्त.I RATE जिमी परी प्रस्तारी-17 पु० नेत्र का एक रोग (2011 TÉCN 151747 417 318 119:-* 1818677 प्रस्तार्यम-मम पु० [सं० प्रस्ताय॑मन् ] मारा पा एम रोग जिसमें Jo~97 3.9977 10.11., 2177 Cargt पास फे ठेले पर पारों मोर सास या गाले रगगा माम या four 1 ullon mingi 31- शाता है। वैद्यक में इसकी उत्पत्ति सन्निपात के प्रोप रा०,१०११२। ४.तिना मामा मो मानी गई है। पायापारमामने हो। ५.८E.ARH प्रस्ताव-सा पुं० [सं०] १. अवसर । २ प्रग। पिछी हुई यात । जोरिया गना। ममादित पर। ३ प्रकरण । विषय । ४ अवसर पर पही यात | जियः । प्रस्तुन-kin go १. पिवागणेन प्रमग । तर पनि चर्चा | उ०-जीवन नाटक का मत बाटिन है मेरा, प्रस्ताय पोगदो। २जमे 20 मात्र में जहाँ भय अंधेरा । -साफेत, पृ. २३५ । ५ गमा प्रस्तुताकुर- . . [RITIER नाम्यानमार IIT. या समाज में उठाई हुई बात । समा के सामने उपस्थित समार। मतव्य (माधुनिक)। प्रस्तुमालफार-मरा पु.[REQतानार ए र तिने फ्रि० प्र०-फरना ।-पास करना ।-होना ।-पारित करना । एक प्रस्तुत गरम में गो: गात कार मरा पमित्रा -पारित होना। पुमरे प्रस्तुत मे मा पटापा मारा। मे, 'पर्यो ufee ६. प्रकृष्ट स्तवन (फो०) । ७ कथा या विषय के पूर्व या यक्तम्प मातापि गयो नटीपी ने काम प्राममोरे पो सामने प्राक्कथन । भूमिका । विषयपरिचय । ८ सामयेद गा एक मार प्रात नागर के प्रति जाम दिया गया है। भश जो प्रस्तोता नामक एरिया द्वारा प्रथम गाया जाता है। प्रस्तुति-11° [ 0] १ मा । रiिr 30-~-प्रस्तुति गुरसह प्रतापक-राक्षा पु० [सं०] वह जो किसी विषय पो किसी सभा में कोहि पनि । प्रगटे विषमयाा गरे ।--मानस, समति या स्वीगृति के लिये उपस्थित पारे । प्रस्ताव उपरिपत १८३।२ प्रस्ताव। ३. उपस्पिति।४सियारी। करनेवाला। जैसे,-प्रस्तावक ने ही अपना प्रस्ताव उठा प्रस्तुतीकरण--TY[ प्रगुण+परण] प्रस्तुत फरोपा भाव लिया। उपस्थित करना । उ०-गौराणि पायोसा पतीनात्मक प्रस्तायन-सज्ञा पुं० [सं०] [वि॰ प्रस्तावित ] १. प्रस्ताय मारने प्रस्तुतीकरण पर मनुजता मी मनोकियाकार स्थापना को किया । २. प्रस्ताव करने का भाव । पादि भनेक सरा हिंदी गागियों के नवीन प्रयोगों मे. परिणायक प्रस्तावना-सशा खी० [सं०] १. प्रारम । २ किसी पिपप या है।-हिमा००,०१०८। कथा को धारभ करने के पूर्व का वक्तव्य । प्रायफापन । प्रस्तोफ-सथा. [सं०] १. एर प्रकार का सामगान । २. समय के भूमिका । उपोद्घात । जैसे, पुस्तक मी प्रस्तावना । ३. नाटय पुत्र का नाम । में प्रास्यान या वस्तु के अभिनय के पूर्व विषय का परिचय प्रस्तोता-रामा ५० [सं० प्ररतोए] १. ए सामपैदी भारियन जो पशो देने, इतिवृत्त सूचित करने पादि के लिये उठाया हमा प्रसग । मे पहले सामगान का प्रारम करता है। २. यह जो स्तयन 1