पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५०७

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स्कूल, धादि। शंशुलभ्य ३२१६ प्राकृत प्रांशुलभ्य-वि० [सं०] लंबे व्यक्ति के द्वारा प्राप्य । जहाँ तक लवा प्राकाम्य-सजा पुं० [सं०] माठ प्रकार के ऐश्वयो या सिद्धियों में ध्यक्ति ही पहुंच सके [को०] । से एप । इच्छा का मनभिपात । प्रासुल-वि० [सं० प्राशु ] दे॰ 'प्रांशु"। उ०-प्रथुल प्रासु परिनाह विशेप-कहते हैं, इस ऐश्वर्य के प्राप्त हो जाने पर मनुष्य को पृथु प्रायत तुग बिसाल ।-अनेकार्थ०, पृ०४० । इच्छा का ध्याघात नहीं होता। वह जिस वस्तु की इच्छा प्राइम मिनिस्टर-पञ्चा पुं० [प०] १. किसी राज्य या देश का फरता है वह उसे तुरत प्राप्त हो जाती है । वह इच्या क्रने प्रधान मत्री। वजीर माजम। २ भारत गणराज्य के केंद्रीय पर जमीन मे समा सकता है या भासमान में उड सकता है। शासन का प्रधान मत्री। पर्या०-अपसर्ग । साच्छदानुमति । प्राइमर-सक्षा पुं० [अ०] १ किसी भाषा की वह प्रारभिक पुस्तफ प्राकार-पज्ञा पुं॰ [सं०] १ वह दीवार जो नगर, किले प्रादि की जिसमे उस भाषा की वर्णमाला प्रादि दी गई हो। २ किसी रक्षा के लिये उनके चारो पोर बनाई जाती है । परकोटा । विषय की वह प्रारंभिक पुस्तक जिसमे उस विषय का ज्ञान कोट । चहारदीवारी। प्राप्त करनेवालो के लिये साधारण मोटी मोटी बातें दी पर्या०-वरण । वन । शाल | साल | गई हों। २ घेरा। बाढ़। प्राइमरी-वि० [अ०] प्रारभिक । प्राथमिक । जैसे,—प्राइमरी प्राकारधरणा-सा स्त्री० [ मं०] प्रकार के ऊपर पी भूमि [को०] । एजुकेशन, प्राइमरी पाठशाला, प्राइमरी शिक्षा, प्राइमरी प्राकारस्थ-वि० [सं०] परकोटे के भीतर का । प्राकार पर या प्राकार में स्पित। प्राइमरी स्कूल-वज्ञा पुं० [अ० प्राइमरी+ स्फूल ] प्राथगिक प्राकारीय-वि० [सं०] १ प्रापारयोग्य । पहारदीवारी के पाठशाला । प्रारभिक पाठशाला। लायक । २ प्राकार से घिरा हुमा [को०] । प्राइवेट'-वि० [अ] जिसका सवध केवल किसी व्यक्ति से हो । प्राकाश-ज्ञा पुं० [म०] १ दे० 'प्रकाश' । २ एक प्राभूषण (को०)। निज का । व्यक्तिगत । जैसे, यह सम्मेलन का नहीं बल्कि प्रकाश्य-सजा पुं० [सं०] १ प्रकीति । यश । २. प्रकाण का भाव । मेरा प्राइवेट काम है। २ जो सार्वजनिक न हो, बल्कि निज ३ प्रसिद्ध या ख्यात होना । ४ चमक । ज्योति । के सबध का हो। जैसे, प्राइवेट जीवन, प्राइवेट सभा । ३. प्राकृत-वि० [सं०] १ प्रकृति से उत्पन्न या प्रकृति संबंधी । २ जो सर्वसाधारण से छिपाकर रखा जाय । गुप्त । जैसे,-मैं स्वाभाविक । नैसगिक । ३ भौतिक । ४ स्वाभाविक । सहज । आज आपसे एक बहुत प्राइवेट बात करना चाहता हूँ। ५ साधारण । मामूली। ६. ससारी । लौकिक । ७ नोच । प्राइवेट-सचा पुं० [म. ] पलटन का सिपाही। सैनिक । जैसे, पसस्कृत । मनपढ । ग्रामीण । फूहड । प्राइवेट जेम्स । प्राकृत-ममा सी० १ बोलचाल की भाषा जिसका प्रचार किसी प्राइवेट सेक्रेटरी-सज्ञा पुं० [अ०] वह कर्मचारी या लेखक जो समय किसी प्रात में हो अथवा रहा हो। उ०-जे प्राकृत किसी की निज की चिट्ठी पत्री पादि लिखने के लिये नियुक्त कवि परम सयाने । भापा जिन हरिकथा बखाने । -तुलसी हो । किसी बड़े अदमी का निज का मनो या सहायक । खास (शब्द०)।२ एफ प्राचीन भाषा जिसका प्रचार प्राचीन नवीस । खास कलम। फाल में भारत मे था और जो प्राचीन संस्कृत नाटकों पादि प्राक-वि० [सं०] १ पहले का । अगला । २ पूर्व का । में लियो, सेवको और साधारण व्यक्तियो फी चोलचाल मे प्राक-सञ्चा पुं० पूर्व । पूरब । तथा अलग प्रथो में पाई जाती है। भारत की बोलचाल की प्राक्-प्रव्य०, पहले । पूर्व में । भाषाएं वोलचाल की प्राकृतों से बनी हैं । विशेष-व्याकरण के अनुसार 'प्राच्' शब्द का 'च' समस्त पदो विशेष-हेमचंद्र ने सस्त को प्राकृत की प्रकृति कहकर सूचित मे 'क्' ग्' 'इ' प्रादि रूपो में हो जाता सै, जैसे, प्राक्कम, किया है कि प्राकृत सस्कृत से निकली है, पर प्रकृति का यह प्रारभाव, प्राङ्मुख प्रादि । मर्थ नहीं है। केवल सस्कृत का प्राधार रखकर प्राकृत प्राकट्य-सञ्चा पुं० [सं०] प्रकट वा व्यक्त होने का भाव (फो०] । व्याकरण की रचना हुई है। पर अनुमान है कि ईसवी सन् प्राकरणिक-वि० [सं०] [ वि० स्त्री० प्राकरणिको ] १ प्रकरण या से प्राय ३०० वर्ष पहले यह भाषा प्राकृत रूप मे मा सुकी विषय से सबधित । प्रकरणप्राप्त । २ उपमेय को०] । थी। उस समय इसके पश्चिमी मोर पूर्वी दो भेद थे। यह पूर्वी प्राकृत ही पाली भाषा के नाम से प्रसिद्ध हुई (३० प्राकषे-सशा पुं॰ [स०] एक प्रकार का साम । 'पाली') । बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ इस मागधी या पाली प्राकर्षिक'-वि० [सं०] जिसको प्राथमिकता दी जाय । तरजीह भाषा की बहुत अधिक उन्नति हुई, क्योकि पहले उस धर्म देने लायक । के सभी नथ इसी भाषा में लिखे गए । धीरे धीरे प्राचीन प्राकर्षिकर-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ स्त्रियों के बीच में नाचनेवाला प्राकृतों के विकास से पाज से प्राय १००० वर्ष पहले देश- पुरुष । २ वह पुरुष जिसकी जीविका दूसरो को स्त्रियों से भाषामो का जन्म हुमा था। जिस प्रकार सस्कृत भाषा का चलती हो । परदारोपजीवी।। सबसे पुराना रूप वैदिक भाषा है, उसी प्रकार माकृत भाषा