पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५०८

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प्राकृतज्वर प्राक्चरण का भी जो पुराना रूप मिलता है उसे प्रापं प्राकृत कहते हैं। प्राकृतारि-यशा पुं० [म०] १ स्वाभाविक शत्रु । स्वभावसिद्ध दुश्मन । कुछ बौद्ध तथा जैन विद्वानो का मत है कि पाणिनि ने इस २. वह राजा जिसका राज्य किसी अन्य राज्य से लगा हो। पापं प्राकृत का भी एक व्याकरण बनाया था। पर प्राकृताभास-वि० स्त्री॰ [ म० प्राकृत + आभास ] जिसमे वर्ण और कुछ लोगो को यह संदेह है कि कदाचित् पाणिनि के समय वाक्य का विन्यास प्राकृत की झलक लिए हो। जिसकी प्राकृत भाषा का जन्म ही नहीं हुआ था । वनावट प्राकृत भाषा के आधार पर हो। उ०-इस प्रकार मार्कंडेय ने प्राकृत के इस प्रकार भेद किए हैं-(१) भाषा अपभ्र श या प्राकृताभास हिंदी में रचना होने का पता हमें (महाराष्ट्रा, शौरसेनी, प्राच्या, प्रावती, मागधी, श्रद्धमागधी), विक्रम की सातवी शताब्दी में मिलता है।-इतिहास, पृ०६। (२) विभाषा (शाकारी, चाडाली, शावरी, आभीरी, टाकी, प्राकृतिक'-वि० [स०] १. जो प्रकृति से उत्पन्न हुआ हो । २. प्रकृति औद्रो, द्राविही), (३) अपभ्रश, और (४) पेशाची। चूलिका के विकार । ३ प्रकृति सवधी । प्रकृति का । ४ स्वाभाविक । पैशाची प्रादि कुछ निम्न श्रेणी की प्राकृतें भी हैं । सबसे सहज । उ०-इसी प्रकार शिशिर मे दुशाला प्रोढे 'गुलगुली प्राचीन काल में मागधी की भाषा पाली के नाम से साहित्य गिलमें, गलीचा' बिछाकर बैठे हुए स्वांग से धूप मे खपरैल पर की ओर अग्रसर हुई। बौद्ध ग्रथ पहले इसी भाषा मे लिखे बैठी वदन चाटती हुई विल्ली में अधिक प्राकृतिक भाव है।- गए । यह मागधी व्याकरणो को मागधी से पृथक् और रस०, पृ० १४३ । ५ साधारण । मामूली। ६ भौतिक । प्राचीन भाषा है। पीछे जैनो के द्वारा अद्धमागधी पोर ७ सासारिक । लौकिक । ८ नीच । महाराष्ट्री का प्रादर हुमा। महाराष्ट्री साहित्य की प्राकृत प्राकृतिक-सञ्ज्ञा पुं० दे० 'प्राकृतप्रलय'। हुई जिसके एक कृत्रिम रूप का व्यवहार सस्कृत के नाटको प्राकृतिक चिकित्सा-सच्चा स्त्री० [सं० प्राकृतिक चिकित्सा ] वह में हुआ । इन प्राकृतो से मागे चलकर और घिसकर जो रूप चिकित्सा पद्धति जिसमे प्रकृतिजन्य साधनो (जैसे मिट्टी, पानी हुमा वह अपभ्रश कहलाया। इसी प्रपन्न श के नाना रूपो आदि) से चिकित्सा की जाती है। से प्राजकल की प्रार्य शाखा की देशभाषाएँ निकली हैं। इसके प्राकृतिक भूगोल-मशा पुं० [स०] भूगोल विद्या का वह अग जिसमें अतिरिक्त ललितविस्तर मे एक प्रकार की और प्राकृत मिलती भौगोलिक तत्वो का तुलनात्मक दृष्टि से विचार होता है। है जो सस्कृत से बहुत कुछ मिलती जुलती है । प्राकृत भाषा विशेप-भूगर्भ शास्त्र से इसमे यह अंतर है कि भूगर्भ शास्त्र तो में द्विवचन नहीं है और उसकी वर्णमाला में ऋ ऋ लु ल पृथ्वी की बनावट के प्राचीन इतिहास से सबध रखता है, पर ऐ भौर पौ स्वर तथा श प और विसर्ग नही हैं। इस शास्त्र में उसकी वर्तमान स्थिति तथा भिन्न भिन्न प्राकृतिक ३. पराशर मुनि के मत से बुध ग्रह की सात प्रकार की गतियो प्रवस्थानो का वर्णन होता है। इस विद्या में यह बतलाया में पहली और उस समय की गति जब वह स्वाती, भरणी जाता है कि पर्वत, समुद्र, नदियाँ, द्वीप और महाद्वीप आदि और कृत्तिका मे रहता है। यह चालीस दिन की होती है किस प्रकार बनते हैं, पहाडों की ऊँचाई और समुद्रो को पौर इसमें प्रारोग्य, वृष्टि, धान्य की वृद्धि और मंगल गहराई कितनी है, समुद्र में ज्वार भाटा किम प्रकार प्राता है, पृथ्वी के भिन्न भिन्न भागों में प्राणियो और वनस्पतियो प्राकृतज्वर-सज्ञा पुं० [सं०] वैद्यक के अनुसार वह ज्वर जो वर्षा, मादि का किस प्रकार विभाग हुअा है, वातावरण का तापमान पारद या हेमत ऋतु मे, ऋतु के प्रभाव से होता है । कहाँ किस प्रकार मौर कितना घटता बढता है, और किस विशष-कहते हैं, वर्षा, शरद और हेमत ऋतुमो में क्रमश प्रकार ऋतुपरिवर्तन होता है, पौर नदियो तथा झीलोपादि वात, पित्त और कफ की प्रधानता होती है और उसी समय की सृष्टि किस प्रकार होती है, आदि प्रादि । मनुष्य पर वातादि की प्रधानता से ऐसा ज्वर प्राक्रमण प्रापथन-सा पुं० [सं०] (क्सिी पुस्तक की) भूमिका या प्रस्तावना । करता है। प्राफर्म-सज्ञा पुं० [सं० प्राक्कर्मन् ] १ पूर्वकर्म । २, प्रष्ट | भाग्य । प्राकृतत्व-सञ्ज्ञा पुं० [स० ] प्राकृत होने का भाव या धर्म । प्राकल्प-सज्ञा पु० [सं०] पुराकल्प । पूर्वकल्प । प्राकृतदोप-सक्षा पुं० [सं०] वात, पित्त और कफ नामक प्राफाल-सचा पु० [स०] गत समय । प्राचीन काल [को०] । प्रकृतियो के प्रकोप से उत्पन्न दोष जो वर्षा, शरद और हेमत प्राकालिक, प्राक्कालीन-वि० [सं०] पुराकालीन । पहले का । प्राचीन अतुप्रो में यथाक्रम उत्पन्न होता है। काल से सबंधित । प्राचीन काल का [को०] । प्राकृतप्रलय-सज्ञा पुं० [सं० ] पुराणानुसार एक प्रकार का प्रलय प्राक्कूल-सज्ञा पुं० [स०] वह कुश जिसका अगला भाग पूर्व की पोर जिसका प्रभाव प्रकृति तक पर पड़ता है, अर्थात् जिसमें प्रकृति किया गया हो। भी ग्रह्म या परमात्मा में लीन हो जाती है। प्राक्कृत'-मज्ञा पुं० [स०] पूर्व में किया हुअा कर्म। फर्म जो पूर्व प्राकृतमानुष-सज्ञा पुं॰ [स०] साधारण व्यक्ति [को॰] । जन्म में कृत हो। प्राकृतमित्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ स्वभावसिद्ध मित्र । २. वह राजा प्राक्कृत-वि० पूर्व काल या जन्म में कृत । जिसका राज्य प्राकृत शत्रु के वाद हो । प्राक्केवल-वि० [स०] जो पहले से ही भिन्न रूप में प्रकट रहा हो । प्राश्वशत्रु-तचा पु० [सं०] दे० 'प्राकृतारि'। प्राक्चरण-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० प्राचरणा] भग । योनि । होना है।