पददक्षिणा २७७६ पड़ना उर्वरा शक्ति बढ़ जाय । जैसे,—इस साल इस गांव में बहुत सी जमीन पडती छोडी गई है। पड़दक्षिणा सज्ञ ली० [सं० प्रदक्षिणा ] दे० 'प्रदक्षिणा' । उ०-दे पडदक्षिणा चढे अकाश । पारस परसु मिले प्रभ तास ।- प्राग०, पृ० १६८॥ पड़दारी-वि० [स० प्रतिहार या देश॰] सुनहली छडीवाले चोबदार । छडीदार । पासा वरदार । उ०-प्रत मिलता आदर अदब, करै कमध विण पार । सेव खडा गिण देवसम, गुरजदार पडदार ।-रा० रू०, पृ० १०६ । पड़द्दाल-सज्ञा पु० [हिं०] दे० 'परदा'। उ०—पडद्दा जरी वाफत कै बनाए। ध्वजा तोरण सर्व के गेह छाए। -ह. रासो, पृ०१६ । पड़ना-क्रि० अ० [ स० पतन, प्रा० पढन ] एक स्थान से गिरकर, उछलकर अथवा और किसी प्रकार दूसरे स्थान पर पहुंचना या स्थित होना । कही से चलकर कही, प्राय ऊंचे स्थान से नीचे आना। गिरना । पतित होना। जैसे,—जमीन पर पानी या प्रोला पड ना, सिर पर पत्थर पडना, चिराग पर हाथ पडना, सांप पर निगाह पहना, कान में आवाज पड ना, कुरते पर छोटा पडना, विसात पर पासा पडना आदि। सयोकि०-जाना। विशेष-'गिरना' और पडना के अर्थों में यह अतर है कि पहली क्रिया का विशेष लक्ष्य गति व्यापार पर और दूसरी का प्राप्ति या स्थिति पर होता है। अर्थात् पहली क्रिया वस्तु का किसी स्थान से चलना या रवाना होना और दूसरी क्रिया किसी स्थान पर पहुंचना या ठहरना सूचित करती है । जैसे- पहाड के पत्थर गिरना और सिर पर पत्थर पहना। २. ( कोई दुखद घटना ) घटित होना । अनिष्ट या अवाछ- नीय वस्तु या अवस्था प्राप्त होना। जैसे, डाका पहना, अकाल पडना, मुसीवत पडना, ईश्वरीय कोप पडना, इत्यादि। मुहा०-( किसी पर ) पढना = विपत्ति या मुसीवत आना। सकट या कठिनाई प्राप्त होना । जैसे,—(क) जैसी मुझ पर पडी ईश्वर वैसी किसी पर न डाले । (ख) जिसपर पडती है वही जानता है। ३ विछाया जाना। फैलाया जाना। रखा जाना । हाला जाना । जैसे, दीवार पर छप्पर पडना, जनवासे मे विस्तर या भोज में पत्तल पड़ना । ४ छोडा या डाला जाना। पहुंचना या पहुंचाया जाना। दाखिल होना । प्रविष्ट होना। जैसे, पेट में रोटी पडना, दाल में नमक पडना, कान में शब्द या आँख में तिनका पडना, दूध में पानी पडना, किसी के घर मे पडना ( = व्याही जाना ), फेर मे पडना, इत्यादि। सयो० क्रि०-जाना। ५ बीच में आना या जाना । हस्तक्षेप करना। दखल देना। जैसे,—तुम चाहे जो करो, हम तुम्हारे मामले मे नही पडते । ६ ठहरना । टिकना । विश्राम करने या रात विताने के लिये अवस्थान करना । डेरा डालना। पडाव करना ( वरात या सेना के लिये बोलते हैं)। जैसे,—आज बरात कहाँ पडेगी? मुहा०—पढ़ा होना = (१) एक स्थान मे कुछ समय तक स्थित रहना । एक ही जगह पर बने रहना। जैसे,—(क) वे तीन रोज तक तो वही पड़े हुए थे, प्राज गए हैं। (ख) वह दस रुपए महीने पर बरसो मे पड़ा है (२) एक ही अवस्था मे रहना । रखा रहना। घरा रहना । अव्यवहृत रहना । जैसे,- यह किताव तुम्हारे पास एक महीने से पडी है, पर शायद तुमने एक पन्ना भी न उलटा होगा। (३) बाकी रहना। शेष रहना । जैसे,—(क) सारी किताब पढने को पडी है। (ख) अभी ऐसे सैकडो लोग पडे होगे जिनके कानो मे यह शुभ सदेश नहीं पड़ा। ७ विश्राम के लिये सोना या लेटना। कल लेना। आराम करना । जैसे,—योडी देर पडे रहो तो तवीअत हलकी हो जायगी। सयो० कि०-जाना ।-रहना । महा०—पड़े रहना या पड़ा रहना = बरावर लेटे रहना। बिना कुछ काम किए लेटे रहना । लेट कर बेकारी काटना । निकम्मा रहना । जैसे,—दिन भर पडे रहते हो, क्या तुम्हारी तबीअत भी नहीं घबराती ? ८ बीमार होना। खाट पर पडना। जैसे,—(क) प्रवकी तुम किस बुरी साइत मे पडे कि अबतक न उठे। (ख) मैं तो आज चार रोज से पडा हूँ, तुमने कल बाजार मे मुझे कैसे देखा? संयो॰ क्रि०-जाना ।-रहना । ६. मिलना। प्राप्त होना । जैसे,—तुम यह किताव लोगे, तभी तुम्हे चैन पडेगा। संयो॰ क्रि०-जाना। १० पडता खाना। जैसे,—(क) चार पाने मे नही पडता, नही तो बेच न देता। (ख) हमें वह आलमारी १२) में पड़ी है । (ग) इकट्ठा सौदा सस्ता पडता है। सं०कि.-जाना। ११ प्राय, प्राप्ति आदि का औसत होना। पडता होना। जैसे, यहाँ मुझे एक रुपए रोज से अधिक नहीं पड़ता। सं०क्रि०-जाना। १२. रास्ते में मिलना । मार्ग मे मिलना । जैसे,—(क) तुम्हारे रास्ते में चार नदियों और पांच पडाव पड़ेंगे। (ख) घर से निकलते ही काना पडा, देखें कुशल से पहुंचते हैं या नहीं। १३. उत्पन्न होना। पैदा होना। जैसे,-बाल मे दाने पडना । फल मे कीडे पहना। १४ स्थित होना। जैसे- (क) बगीचे में डेरा पडा है । (ख) इस कुडली के सातवें घर में मगल पडा है। १५ सयोगवश होना। 1
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