पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/७८

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पतनीय २७५७ पतवर पतनीय'–वि० [सं०] १. जिसका गिरना अथवा अधोगत होना पतला-वि० [ स० पात्रट, प्रा० पानड, अथवा २० पत्र, हिं० पत्तर ] सभव हो। गिरने अथवा नष्ट, पतित या अघोगत होने [वि० सी० पतली] १ जिसका घेरा, लपेट अथवा चौडाई के योग्य । गिरनेवाला । पतित होनेवाला। २. पतित करने कम हो । जो मोटा न हो । जैसे, पतली छडी, पतला बल्ला, वाला या अधोगत करनेवाला [को०] । पतला खभा, पतली रस्सी, पतली धज्जी, पतली गोट, पतली पतनीय-सज्ञा पुं० वह पाप जिसके करने से जाति से च्युत होना गली, पतला नाला। पडे । पतित करनेवाला पाप । विशेष - बहुत पतली वस्तुओं को महीन, बारीक या सूक्ष्म, पतनोन्मुख-वि० [सं०] जो गिरने की भोर प्रवृत्त हो । जो गिरने भी कह सकते हैं, जैसे, पतला तार, पतला सूत, पतली सुई । के मार्ग पर लग चुका हो या वढ रहा हो। जिसका पतन, इसी प्रकार कम चौडी वडी वस्तुओं के लिये पतला के स्थान अधोगति या विनाश निकट प्राता जाता हो। पर 'सकीर्ण' या 'संकरा' भी कह सकते हैं, जैसे, संकरी पतपच्छी-सञ्ज्ञा पु० [सं० प्रतिपक्षी ] विरोधी । शत्रु । उ०-पत- गली, सँकरा नाला पादि। पच्छी जुग पारण सरोरुह पल्लवा । -बांकी०, ग्र०, भा० ३, २ जिसके शरीर के इधर उधर का विस्तार कम हो । जिसकी पृ०३७। देह का घेरा कम हो । जो स्थूल या मोटा न हो। कृश । पतपानी-मज्ञा पुं० [हिं० पत+पानी] १ प्रतिष्ठा। मान । जैसे, पतला आदमी। इज्जत । २ लाज। पावरू। यो०-दुबला पतला = जो मोटा ताजा न हो । कृश शरीर का । पतम-सज्ञा पु० [सं०] १ चद्र । २ पक्षी । ३ फनिगा। ३ (पटरी, पत्तर या तह के आकार की वस्तु ) जिसवा दल पतयानाg+-फ्रि० स० [हिं० पतियाना ] दे० 'पतियाना' या मोटा न हो । दबीज का उलटा । झीना। हलका। जैसे, 'पत्याना' । उ०-नेकि पठ गिरिधर को मैया। रही भिल- पतला कपडा या कागज । ४ गाढे का उलटा। अधिक साई पतयाइ न औरें, इनके हाथ लगी मेरी गैया ।-पोद्दार सरल । जिसमे जलाश अधिक हो, जैसे, पतला दूध या रसा । अभि० ग्र०, पृ० २३४ । मुहा०-पतली चीज या पदार्थ = कोई तरल पदार्थ । कोई पतयालु-वि० [सं०] पतनशील । गिरनेवाला। प्रवाही द्रव्य। ५ अशक्त । असमर्थ । कमजोर । निर्वल । हीन । जैसे,-भाई पतयिष्णु-वि० [ स० ] पतनशील । पतयालु [को०] । सभी मनुष्य मनुष्य ही हैं, किसी को इतना पतला क्यो पतर-वि० [स०पन्न ] १. पतला। कृश । २. पत्ता । पर्ण । समझते हो? उ०-पेट पतर जनु चदन लावा। कुकुंह केसर बरन सुहावा । —जायसी (शब्द०)। (ख) घडा ज्यो नीर का मुहा०-पतला पढ़ना = दुर्दशाग्रस्त होना दैन्यप्राप्त होना । अशक्त या निर्बल पड जाना। पतला हाल = दुख और कष्ट फूटा । पतर जैसे डार से टुटा ।-कबीर म०. पृ० १७३ । ३. की अवस्था। शोचनीय या दयनीय दशा । करुणाजनक पत्तल । पनवारा। पतरज-सच्चा पुं० [ स० पत्रज ] तेजपात । पत्रज । उ०-अजमोदा स्थिति । बुरा हाल । दुर्दशाकाल । दुदिन । चितकरना पतरज वायभिरग । सेंघा सोठ श्रीफला, नासहि पतलाई-सज्ञा स्त्री॰ [ हिं० पतला+ई (प्रत्य०) ] पतला होने मारुत अग।-इ द्रा०, पृ० १५१ । का भाव । पतलापन । पसरा-सज्ञा पुं० [ स० पत्र] १ वह पत्तल जिसे तंबोली लोग पतलापन-सज्ञा पुं० [हिं० पतला+पन (प्रत्य॰)] पतला होने पान रखने के टोकरे या डलिया मे विछाते हैं । २ सरसो का का भाव । साग । सरसो का पत्ता । पतली-सज्ञा स्त्री॰ [ लश० ] जूत्रा। द्यूत । पतरा-वि०२० 'पतला। पतलून-सशा पुं० [अं० पैंटलून ] वह पाजामा जिसमें मियाती पतराई-सज्ञा स्त्री० [हिं० पतला+ई (प्रत्य॰) ] पतलापन । नही लगाई जाती और पावचा सीधा गिरता है । अग्रेजी सूक्ष्मता । उ०-खाँड चाहि पौनि पैनाई। बार चाहि पातरि पतराई।-पदमावत, पृ० १५० । पतलूननुमा'-सशा पुं० [हिं० पतलून + फा० नुमा (= दर्शक)] वह पतरिंग, पतरिंगा-सज्ञा पुं० [ देश० ] एक पक्षी, जिसका सारा पाजामा जो पतलून से मिलता जुलता होता है। शरीर हरा और ठोर पतली तथा प्राय दो अगुल लवी पतलूननुमा-वि० पतलून की तरह का । पतनून सा। होती है। यह मकडियो को पकडकर खाता है। इसकी पतमो-सशा म्पी० [ देश०] १ मरकडे की पताई। सरपत की गणना गानेवाले पक्षियो में की जाती है। पताई। २ सरक डा । सरपत । पतरी-सा स्त्री० [म० पत्री ] दे० 'पत्तल' । उ०—विरचत पनरी पतवर-फि० वि० [सं० परिक्त = पति = हिं० पति + चार (प्रत्य॰)] अरु दोने अपने कर सु दर । -प्रेमघन०, भा० १, पृ०४६ । पंक्तिवार । पक्तिक्रम मे । बगवर वरावर । उ-'होथोरन' पतरंगा-सज्ञा पुं॰ [ देश० ] पतरिंगा पक्षी। की झाडी घाया जामु मनोहर । परी भई पीठिन की पगति पतरोला- [अ० पेष्ट्रौल ] गश्त लगानेवाला सिपाही । पतवर पतवर ।-श्रीधर (शब्द०)। पाजामा।