पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/८५

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पंचा २७६४ पत्तिगणक सबध रखनेवाले । परस्पर रोटी बेटी का व्यवहार करनेवाले । के दिनो में झड जाते हैं। इस समय वे प्राय वर्णहीन होते अत्यत सवर्गीय या सजातीय। किसी की पत्तल में खाना = हैं। इन दो अवस्थाओ के अतिरिक्त अन्य सब समय पत्ता किसी के साथ खानपान आदि का सबध करना या रखना। हरा ही होता है। पत्ता वृक्ष या पौधे के लिये वडे काम का जैसे,-बला से वह बुरा है, पर किसी के पत्तल मे खाने तो अग है। वायु से उसे जो आहार मिलता है । वह इसी के द्वारा नहीं जाता। जिस पत्तल में खाना उसी में छेद करना = मिलता है। निरिद्रिय आहार को सेंद्रिय द्रव्य में परिवर्तित उपकारक का अपकार करना। जिससे लाभ उठाना उसी कर देना पत्ते ही का काम हैं। कुछ वृक्षो के पत्ते हाथ का की हानि करना । कृतघ्नता करना । जैसे,-दुष्टों का यह भी काम देते हैं । इनके द्वारा पौधे वायु में उडनेवाले कीडों स्वभाव ही है कि जिस पत्तल में खायें उसी मे छेद करें। को पकडकर उनका रक्त चूमते हैं। पत्तल पढ़ना = भोजन के लिये पत्तल विछना। भोज के महा०-पत्ता खड़कना = किसी के पास आने की आहट मिलना। समय लोगो के सामने पत्तलो का रखा जाना । पत्तल पर- कुछ खटका या पाश का होना । प्राशका की कोई वात होना । सना = (१) भोजन के सहित पत्तल सामने रखना । (२) जैसे,-पत्ता खडका, बदा भडका ।--(कहावत )। पचा पत्तल मे भोजन की वस्तुएँ रखना । पत्तल में खाना परसना । तोढ़कर भागना = वडे वेग से दौडते हुए भागना । सिर पर पत्तल लगाना = दे० 'पत्तल परसना'। पैर रखकर भागना। पत्ता न हिलना = हवा मे गति न २ पत्तल में परसी हुई भोजन सामग्री । जैसे,—(क) उसने होना । हवा का विलकुल बद होना। हन्स होना। जैसे, - ऐसी बात कही कि सबके सव पत्तल छोडकर उठ गए । आज सारे दिन पत्ता न हिला। पत्ता लगना = पत्ते में सटे (ख) पहित जी तो पाए नहीं, उनके घर पत्तल भेज दो। रहने के कारण फल मे दाग पड जाना वा उमका कुछ मश महा-पत्तल खोलना = वह कार्य कर डालना जिसके करने सड जाना। पत्ता हो जाना = इतनी तेजी से दौडकर जाना 'के पहले भोजन न करने की शपथ हो। बंधी पत्तल खोलना। कि लोग बाग देख न सकें। क्षणमात्र में अदृश्य हो जाना । पत्तल बाँधना = कोई पहेली कहकर उसके बूझने के पहले उडन छू हो जाना । काफूर हो जाना । उड जाना। भोजन न करने की शपथ देना। 10-बांधी पत्तल जो २ कान में पहनने का एक गहना जो वालियो मे लटकाया जाता कोई खावे । मूरख पचन माह कहावे । (कहावत) । है । ३ मोटे कागज का गोल या चौकोर खड। जैसे, ताश विशेष-कही कही विवाह मे वरातियो के सामने पत्तल परस का पत्ता, गजीफे का पत्ता, तागे का पत्ता। ४ धातु की जाने के पीछे कन्या पक्ष की कोई स्त्री एक पहेली कहती या चादर । पत्तर । ५. नाव के डाँडे का वह अगला भाग जिसमे प्रश्न करती है और जबतक वरातियो मे से कोई एक उसको तख्ती जडी रहती है और जिसकी सहायता से पानी काटा वूझ न ले अथवा उसका उत्तर न दे दे तबतक उनको भोजन जाता है । फन । ( लश० )। न करने की कसम देती है। इसी को पत्तल वांधना कहते हैं । पत्ता-वि० बहुत हलका । यौ०-जूठी पत्तल = उच्छिष्ट । जूठा । पत्ति'-सज्ञा पुं॰ [ म०] १ पैदल सिाही । प्यादा । २ पैदल ३ एक आदमी के खाने भर भोजन सामग्री जी किसी को दी चलनेवाला। पत्तिक । पदातिक । २ शूरवीर पुरुष । जाय या कही भेजी जाय । पत्तल भर दाल, चावल या पूरी, लड्डू प्रादि । परोसा । जैसे,—अमुक मदिर से उसे पत्ति -सञ्चा स्त्री॰ [ स०] १. प्राचीन काल में सेना का सबसे छोटा प्रतिदिन चार पत्तलें मिलती हैं। विभाग जिसमें एक रथ, एक हाथी, तीन घोडे और पांच पैदल पत्ता-सज्ञा पु० [सं० पत्र, पत्रक ] [ सी० पत्ती ] १ पेड या पौधे के होते थे। किसी किसी के मत से पैदलो की सख्या ५५ होती शरीर का वह हरे रंग का फैला हुमा अवयव जो काड या थी। २ गति (को०)। टहनी से निकलता है और थोडे दिनो के पीछे वदल जाता पत्तिक' -सज्ञा पुं० [ म०] १. प्राचीन काल मे सेना का एक विशेष है। पलास । पत्रक । पर्ण । छदन । छादन । वह । वर्हन । विभाग जिसमें १० घोडे, १० हाथी, १० रथ और १० प्यादे विशेष-पत्ते के बीच की जो मोटी नस होती है वह पीछे होते थे। २ उपर्युक्त विभाग का अफसर । की ओर टहनी से जुडी होती है। वह नस आगे की ओर उत्तरोत्तर पतली होती जाती है। इस नस के दोनो भोर विशेष-प्राचीन काल में दस पत्तिक को सज्ञा 'मेना' थी जिसका अनेक पतली नसें निकलती हैं। ये खडी और पाडी नसें नायक सेनापति कहाता था। ऐसी १० सेनामो का नाम ही पत्ते का ढांचा होती हैं । नसो का यह जाल हरे आच्छादन 'बल' था। इसके अधिकारी को 'बलाध्यक्ष' कहते थे। से ढका होता है। बहुत से वृक्षो और पौधों के पत्तो का पत्तिकर-वि० पैदल चलनेवाला। अतिम भाग नोकदार अथवा कुछ कुछ गावदुम होता है, पर पत्तिकाय-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] पैदल सेना । कुछ के पत्ते विलकुल गोल भी होते हैं। नया निकला हुमा पत्तिगणक-सञ्चा पुं० [सं०] प्राचीन सेना में एक विशेष अधिकारी पत्ता हरापन लिए हुए लाल होता है। इस अवस्था मे जिसका कर्तव्य पैदल सैनिको की गणना करना तथा उन्हें उसे 'कोपल' कहते हैं। कुछ पेडो के पत्ते प्रतिवर्ष पतझड़ एकत्र करना होता था। योद्धा । वहादुर।