पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/९९

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पद्मालय २०० पधरना 1 नाम । पद्मालय-सञ्ज्ञा पु० [म०] ब्रह्मा। पद्मम ऊपर पद्मिनि मानहु । रूपर ऊपर दीपति जानहु ।- पद्मालया-सशा स्त्री० [म०] १ लक्ष्मी । २. लौंग । केशव (शब्द॰) । ७ कमल का पौधा (को०)। ८ कमलों का पद्मावती-पज्ञा स्त्री० [सं०] १ पटना नगर का प्राचीन नाम। २ समूह (को०) । ६ कमल की नाल (को॰) । पन्ना नगर का प्राचीन नाम । ३ उज्जयिनी का एक प्राचीन पद्मिनीकटक-सज्ञा पुं० [सं० पदिमनीकण्टक] एक प्रकार का क्षुद्र नाम । ४ एक मात्रिक छद का नाम जिसके प्रत्येक चरण मे रोग जो कुष्ठ के अतर्गत माना जाता है। इसमें दानेदार १०, ८, और १४ के विराम से ३० मात्राएँ होती है और प्रत चकत्ते पड जाते हैं। मे दो गुरु होते हैं । जैसे,—यद्यपि जगकर्ता पालक हर्ता परि- पद्मो-सञ्ज्ञा पुं॰ [ मं० पग्मिन् ] १ पद्मयुक्त देश । २ पद्मघारी पूरण वेदन गाए । अति तदपि कृपा करि मानुष वपु धरि थल विष्णु । ३ पद्मसमूह । ४ वौद्धो के अनुसार एक लोक का पूछन हम सो पाए। —केशव (शब्द०)। ५ गेंदे का वृक्ष । नाम । ५ उक्त लोक मे रहनेवाले एक युद्ध का नाम जिनका ६ लक्ष्मी (जरत्कारु ऋषि की स्त्री का नाम) । ७ मनसा अवतार अभी इस ससार में होने को है। देवी का एक नाम । ८ पुराणानुसार स्वर्ग की एक अप्सरा पद्मेशय-ज्ञा पुं० [ मे० ] पद्म पर सोनेवाले, विष्णु । का नाम । ६ पुराणानुसार राजा शृगाल की स्त्री का पद्मोत्तर-मशा पु० [सं०] १ कुसुम । २ एक बुद्ध का नाम । १० युधिष्ठिर की एक रानी का नाम । ११ प्राचीन काल की एक नदी का नाम। १२ लोक- पद्मोद्भव-सशा पुं० [०] ब्रह्मा । प्रचलित कथा के अनुसार सिंहल की एक राजकुमारी पद्मोद्भवा-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] मनसा देवी का एक नाम । जिसे चित्तौर के राजा रत्नसेन ब्याहे थे। चित्तौर की रानी पद्य–वि० [सं०] १ पद या पैर सबधी। जिसका सबध पैरो से हो पद्मिनी का सिंहल से कोई सवध नही था, और न उसके पति २ जिसमें कविता के पद या चरण हो । का नाम रत्नसेन था, जैसा जायसी ने लिखा है। पद्य–सशा पुं० [सं०] १ पिंगल के नियमो के अनसार नियमित पद्मासन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ योगसाधन का एक प्रासन जिसमे मात्रा वा वर्ण का चार चरणोवाला छद । कविता । गद्य का पालथी मारकर सीधे बैठते हैं। २ वह जो इस आसन मे उलटा । २ शूद्र, जिनकी उत्पत्ति ब्रह्मा के चरणो से मानी बैठा हो। ३ स्त्री के साथ प्रसग करने का एक प्रासन । ४ जाती है। ३ शठता। ४ नातिशुष्क कर्दम । कीचड जो ब्रह्मा । उ०—स्वास उदर उलसति यो मानो दुग्ध सिंधु छवि एकदम सूखा न हो (को०)। पावै । नाभि सरोज प्रकट पदमासन उतरि नाल पछितावै। पद्यकार-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० ] पद्य रचनेवाला। तुकवदी करनेवाला । ( शब्द०)। ५ शिव । ६ सूर्य । तुक्कड । उ०-मोज ऐसे राजामो के सामने बात बनानेवाले पद्मासनदड-सज्ञा पुं॰ [ स० पद्मासन+दण्ड ] एक प्रकार का डड पद्यकार वातों की फुलझडी छोडकर लाखो रुपए पाने लगे।- चिंतामणि, भा० २, पृ०६१ । ( कसरत ) जो पालथी मारकर और घुटने जमीन पर टेक कर किया जाता है। इससे दम सघता है और घुटने मजबूत पद्या-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ शक्कर । २ पगडडी । पटरी। ३ लोगों होते हैं। के चलने से बनी हुई राह । दुरी को०] । पद्मासना-सज्ञा स्त्री॰ [म.] लक्ष्मी। उ०-शोभा है जलराशि में पद्मात्मक-वि० [म०] जो पद्यमय हो । जो छदोवद्ध हो । विलसती उत्फुल्ल यभोज की। होती है प्रिय सद्म पद्मचय मे पद्र-सज्ञा पु० [ स०] । गाँव । २ ग्रामपथ । पद्मासना की प्रभा ।-पारिजात, पृ० ११० । पद्रक-सज्ञा पु० [सं०] वह भूमि जो सारे समाज या समुदाय की हो पचायती जमीन। पद्माहा-संशा सी० [सं०] १ गेंदा । २ लवग (को०)। पद्मिनि-सञ्ज्ञा पा [सं० पद्मिनी] कमलिनी। उ०-चद जगा- विशेष-महानदी के किनारे राजीय नगर के राजा तिवरदेव वतु कुमुदनी पद्मिनी ही दिननाथ । -शकुतला, पृ० ६७ । के ताम्रपट मे यह शब्द भाया है। कोशों मे 'पद्र' का अर्थ ग्राम मिलता है। डा० वूलर ने इस शब्द से 'चरागाह' का पद्मिनी-सशासी० [म०] १. कमलिनी । छोटा कमल । अर्थ लिया है। विल्सन ने अपने कोश में इसका अर्थ समाज यौ०-पद्मिनीखड, पद्मिनी पढ = (१) कमलसमूह । (५) जहाँ या समुदाय दिया है। कमल अधिक हो। पद्मिनीवल्लभ = सूर्य । पद्ध-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ राजमार्य । सडक । २ स्यदन । रथ । ३ विशेप-'पद्मिनी' शब्द में पतिवाची शब्द लगाने से उसका अर्थ मर्त्यलोक (को०] । 'सूर्य' होता है। पद्वा-नशा पुं० [सं० पद्वन् ] राह । रास्ता [को॰] । ५ तानाव या जलाशय जिसमे कमल हो। ३ कोकशास्त्र के पति-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० पद्धति ] दे० 'पद्धति'। उ०—तितनेई गुरु- अनुसार स्त्रियो की चार जातियो मे से सर्वोत्तम जाति । देव पति भई न्यारी ।-भक्तमाल (श्री०), पृ० ८१ । कहते हैं, इस जाति की स्त्री अत्यत कोमलांगी, सुशीला, पधरना-क्रि० अ० [हिं० पधारना ] किसी बडे प्रतिष्ठित या रूपवती और पतिव्रता होती है। ४.मादा हाथी। हथिनी। पूज्य का आगमन । आना। उ०-लाखभिलाषन साथ लिए ५.चित्तौर की इतिहासप्रसिद्ध रानी। ६. लक्ष्मी। उ०- जसवत तहाँ पधरे गिरधारी।-जसवत ( शब्द०)। 1