पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/१२१

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वटोई ३३६० बट्टाढाल बटोई-संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'बटोही'। बटोर-रांशा पु० [हिं० बटोरना ] बहुत से पादमियों का. इकटा होना । जमावड़ा। क्रि० प्र०-करना।-होना। २. वस्तुओं का ढेर जो इधर उधर से बटोरकर या इकट्ठा करके लगाया गया हो। ३. कूड़े करक्ट फा ढेर । (पालवी के कहार)। बटोरन-संज्ञा स्त्री० [हिं० बटोरना ] वस्तुभों का ढेर जो घर उधर से झाड बटोरकर लगाया गया हो। २. यूरे करकट का ढेर । ३. खेत में पड़ा हुप्रा पम्न फा दाना जो बटोरकर इकट्ठा किया जाय । बटोरना-क्रि० म० [हिं० घटुरना ] १. फैली या विखरी हुई वस्तुओं को समेटकर एफ स्थान पर करना । जैसे, गिरे हुए दाने बटोरना, कूटा बटोरना । संयो.क्रि०-देना ।—लेना। २. दूर तक गई वस्तुपों को समेटकर थोड़े स्थान में करना । समेटना। फैला न रहने देना । जैसे,—अपनी बद्दर वटोर लो। ३. इधर उधर पड़ी चीजों को बिन विनकर कट्ठा करना । चुनकर एकत्र करना। जैसे, सड़क पर दाने बटोरना । ४. इकट्ठा करना । एकत्र करना । जुटाना । जैसे, रुपया बटोरना, पंचायत के लिये आदमी बटोरना । बटोहिया:-संज्ञा पु० [हिं० यटोही = इया (प्रत्य॰)] २० 'बटोही'। उ०-बाट रे बटोहिया कि तुहु मोरा भाई, हमरो समाद नैहर लेने जाउ ।-विद्यापति, पृ० ३६४ । घटोही-सज्ञा पुं० [हिं० वाट+वाह (प्रत्य॰)] रास्ता चलनेवाला । पथिक । राही। मुसाफिर-उ० (क) ए पथ देखल कहै बूढ बटोही।--विद्यापति, पृ० ५१४ । (ख) लिए चोरि चित राम बटोही।-मानस, २।१२३ । बट्टा-मज्ञा पु० [हिं० वटा ] १. बटा । गोला । २. गेंद । उ०- प्रेम रग लट्टपट्ट पावै जाय झट्टपट्ट देव वृद देसे परे मानो नट्ट बट्ट हैं।-रघुराज (शब्द०)। ३. ऐंठन । मरोड़ । वटाई । ४. बल। शिकन । ५. बाट । बटखरा । बट्टलोहक -नंज्ञा पुं० [सं०] दमिश्क का जौहरदार फौलाद । दमिएक का सा पानीदार या जड़ाऊ फौलाद (को॰) । बट्टार--संशा पु० [सं० वर्म, प्रा० वट्ट, यह ] बाट । रास्ता। उ०--तब प्रथिराज विचार फार चष पारोह्यो पट्ट । बहुरि कोह भर भोरही घरत परे इह बट्ट |--पृ० रा०, पर बट्टा काटकर पापको दाम दे दिया जायगा। उ०-- बट्टा काटि कसूर भरग गो फेरन ने ने डारे।-सूर (पाब्द०) यो -व्याज यहा। मुहा०-बट्टा काटना = दस्तूरी प्रादि निकाल लेना। २. पूरे मूल्य में वह कमी जो किसी सिम्म मादि योगदलने या तुदाने में हो । वह घाटा जो मिको के बदले में उसी सिक्के को पात अश्या छोटा या वा गिरका लेने में गहना पटे। वह अघि द्रव्य जो मिकत नुनाने या उमी सिने की पातु लेने में देना पडे । भाग । जैसे,—(क) या तुटाने में यह! एक पैसा बट्टा लगेगा। (स ) श्राज कल चांदी लेने में दो प्राना बट्टा लगेगा। क्रि० प्र०-देना ।—लगना।-लेना। ३. खोटे गिक्के धातु मादि के बदलने या बेचने में यह कामी जो उमफे पूरे. मूल्य में हो जाती है । जैसे,-रुपया सोटा है इसमें दो पाना बट्टा लगेगा। मुहा०-बट्टा लगाना%D दाग लगाना । पलंक लगना। ऐव हो जाना । युटि या कमर हो जाना । जैसे, ज्जत या नाम में बट्टा लगना, मास में बट्टा लगना । यहा लगाना = फलंक लगाना। ऐब लगना । दूषित करना । यदनाम करना । जये, बड़ों के नाम पर बट्टा लगाना । ४. टोटा । घाटा । नुकसान । हानि । वहार-संश पुं० [सं० वटक, हिं० पटा ( = गोला ) ] [मे० अल्पा० वटी, पटिया ] १. पत्यर का गोल टुकला जो किसी वस्तु को फूटने या पीसने के काम में पाये। टूटने या पीसने फा पत्थर । लोढ़ा। यौ०-सिलवहा । २. पत्यर पादि का गोल टुकामा । ३. गोल डिव्या जिसमे पान या जवाहिरात रसते हैं। ४. कटोरा या प्याला जिसे प्रौधा रखकर वाजीगर यह दिखाते हैं कि उसमें कोई वस्तु प्रा गई या उसमे से कोई वस्तु निकल गई। यो -बहे बाज। ५. एक प्रकार की उवाली हुई सुपारी । बट्टाखाता-सशा पुं० [हिं० वटा+साता] वह वही या लेखा जिसमें नुकसान लिखा बाय । डूबी हुई रकम का लेखा या वही। -यह खाते लिखना=नुकसान के लेसे में डालना । घाटा या नुकसान मान लेना। गया हमा समझना । जैसे,- अब यह दो रुपए बट्टे खाते लिखिए । बट्टाढाल-वि० [हिं० बट्टा + ढालना ] इतना चौरस और चिकना कि उसपर कोई गोला लुढ़काया जाय तो लुढकता जाय । खूब समतल और चिकना । उ०—यह भी जानना प्रावश्यक है कि जमीन अर्थात थल सभी जगह बराबर एक सी वट्टाढाल मैदान O मुहा० बट्टन--संज्ञा पु० [हिं० घटना] बादले से भी पतला तार जो एक तोले में ८०० वा १०० गज होता है। वट्टा-पंज्ञा पु० [सं० वात, प्रा. वाट्ट (= बनियाई) ] १. कमी जो व्यवहार या लेनदेन में किसी वस्तु के मूल्य मे हो जाती है । दलाली । दस्तूरी। डिसकाउट । जैसे,—माल विक जाने