पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/१२४

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धड़ोदाख मधिक हो। दीर्घ । विशाल । वृहत् । महान् । जैसे, बड़ा छोटाई बड़ाई का ध्यान रखकर बातचीत करना चाहिए । मकान, बड़ा खेत, बड़ा पहाड़, बड़ी नदी, बड़ा घोड़ा, वड़ा (ख) अपनी बडाई अपने हाथ है । ३. परिमाण या विस्तार । डील, बदा गोला। घेरा, फैलाव, डील डोल आदि । जैसे, जितना बड़ा कमरा मुहा०--दीया बड़ा करना = दीया बुझाना । ( बुझना शब्द हो उतनी बड़ी चटाई बनायो। ४. महिमा । प्रशंसा । अमंगलसूचक है इससे उसके स्थान पर बड़ा करना या तारीफ। बढ़ाना बोलते हैं)। बड़ा घर कैद खाना । कारागार । क्रि० प्र०—करना ।—होना । व्यग)। मुहा०-बड़ाई देना = प्रादर करना । प्रतिष्ठा प्रदान करना । २. अवस्था में अधिक । जिसकी उम्र ज्यादा हो। अधिक वयस् इज्जत बख्शना । उ०-यहि बिधि प्रभु मोहिं दीन का । जैसे,-दोनों भाइयों मे कौन बड़ा है ? बड़ा बेटा । ३. वड़ाई । —तुलसी (शब्द०)। बड़ाई मारना= शेखी हाकना । परिमाण, विस्तार या अवस्था का। मान, माप या वयस् झूठी तारीफ करना। का । जैसे,--(क) वह घर कितना बड़ा है ? (ख) वह बड़ाकुँवार-संज्ञा पुं० [हिं० बाँस+कुवार ] केवड़े के प्राकार का लड़का कितना बड़ा होगा? ४. पद, शक्ति, अधिकार, एक पेड़ जिसके पत्ते किरिच की तरह बहुत लंबे लंबे निकले मान मर्यादा, विद्या, बुद्धि प्रादि में अधिक । गुरु । श्रेष्ठ । होते हैं। बुजुर्ग । जैसे,—(क) बडे लोगों के सामने नम्र रहना बडाकुलंजन-संज्ञा पुं० [हिं० बढ़ा+कुलंजन ] मोथा कुलंजन । चाहिए । (ख) बड़े अफसरों के सामने वह कुछ नहीं बोल वृहत्कुलंज । सकता । (ग) बड़ी अदालत । बड़ादिन-संज्ञा पुं० [हिं० बढ़ा+दिन ] १. वह दिन जिसका मान मुहा०-वड़ा घर = प्रतिष्ठित और धनी घराना । वड़ा हो। २. पचीस दिसंबर का दिन जो ईमाइयों के ५. गुण, प्रभाव प्रादि में अधिक या उत्तम । जिसका असर या त्योहार का दिन है। इस दिन ईसा के जन्म का उत्सव नतीजा ज्यादा हो । महत्व का । भारी । जैसे,—(क) अपनी मनाया जाता है। जिंदगी मे उन्होने बड़े बड़े काम किए हैं । (ख) यह बड़ी भारी बड़ापीलू- ज्ञा पु० [हिं० बड़ा+पीलू ] एक प्रकार के रेशम का बात हुई । (ग) साहित्य में उनका बड़ा नाम है । (घ) कोड़ा। यह तुमने बड़ा अपराष किया। घड़ाबोल-संज्ञा पुं० [हिं० वड़ा + बोल ] अहंकार का शब्द । मुहा०-बड़ा भादमी = (१) धनो मनुष्य । (२) ऊँचे पद या घमंड की बात। अधिकार का प्रादमी। प्रसिद्ध मनुष्य । बड़ारू-वि० [हिं० ] अवस्था आदि में अधिक । वड़ा। दे० ६. किसी बात में अधिक । बढ़कर । ज्यादा । जैसे, बड़ा कार 'बड़ेरा'। खाना, वड़ा बेवकूफ । बड़ाल-वि[फा० बड्डाल ] बड़ा । श्रेष्ठ । उ०-बीर बड़ाला मुहा०-बड़ी बड़ी बातें करना = डीग हांकना । शेखी बघारना । बरुण रचै वरमाला रभा।-रघु०००, पृ०४७ । विशेष-इस शब्द का प्रयोग विवाद या झगड़े में लोग व्यंग बड़ासबरा-संञ्चा पुं० [हिं० बड़ा + सवरी] वह औजार जिससे से भी बहुत करते हैं। जैसे,-(क) बड़े बोलनेवाले बने कसेरे टाँका लगाते हैं । बरतन में जोड़ लगाने का प्रौजार । हो। (ख) बड़े धन्नासेठ प्राए हैं । मात्रा या संख्या मे अधिक बडिस-सज्ञा पुं० [सं० वडिश, प्रा० बडिस ] बंसी। कटिया । के लिये भी इस शब्द का प्रयोग 'बहुत' के स्थान पर कर अनेकार्थ०, पृ०६२। देते हैं । जैसे,-वहाँ वडी भेटें इकट्ठी हैं । (ख) उसके पास वडिश-संज्ञा पुं० [सं०] [ सी० बडिशा, बढिशी] १. मछली बड़ा रुपया है। पकड़ने की कटिया । बंसी। २. शल्य चिकित्सा का एक बड़ा-संज्ञा पुं० [१० वटक, प्रा० वडग, वय, हिं० बटा] [जी अल्पा० औजार (को०)। बड़ी ] १. एक पकवान जो मसाला मिली हुई उर्द की पीठी बड़ी-वि० स्त्री हिं०] दे० 'बड़ा'। की गोल चक्राकार टिकियों को घी या तेल में तलकर बनता बडी-सज्ञा स्त्री० [सं० वटी, हिं० बड़ा] १. पाल्, पेठा आदि मिली है। २. एक बरसाती घास जो उत्तरीय भारत के पटपरो में हुई पीठी की छोटी छोटी सुखाई हुई टिकिया जिसे तलकर सर्वत्र होती है। इसे सुखाकर घोड़ों और चौपायों को खाते हैं । बरी । कुम्हड़ौरी । २. मांस की वोटी । (डि०)। खिलाते हैं। बडीइलायची-संञ्चा स्त्री० [हिं० ] दे० 'इलायची' । यहाई-संज्ञा स्त्री० [हिं० वदा+ई (प्रत्य॰)] १. बड़े होने का भाव । परिमाण या विस्तार का प्राधिक्य । धेरे, डील डील, बड़ीकटाई -संज्ञा स्त्री० [हिं० वड़ी+कटाई ] बड़ी जाति की भटकटैया। वनभंटा। बड़ी कंटकारी। फैलाव, वगैरह की ज्यादती। २. पद, मान मर्यादा, वयस्, विद्या, बुद्धि प्रादि का प्राधिक्य | इज्जत, दरजा, उम्र वगैरह बड़ीगोटी-संज्ञा स्त्री॰ [ देश ? ] चौपायों की एक बीमारी। की ज्यादती । बड़प्पन । श्रेष्ठता। बुजुर्गी । जैसे,—(क) वडीदाख-संज्ञा स्त्री० [हिं० बढ़ी + दाख ] बड़ी जाति का मंगूर