पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/१५१

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घरकती ६३६० धरखास्त विशेष-इस शब्द का प्रयोग साधारणतः यह दिखलाने के लिये होता है कि वस्तु आवश्यकतानुसार पूरी है और उसमें सहसा कमी नही हो सकती । जैसे,—(क) इकट्ठो खरीदी हुई चीज में बड़ी बरकत होती है । (ख) जिस चीज में तुम हाप लगा दोगे, उसकी वरकत जाती रहेगी। मुहा०-बरकत उठना = (१) बरकत न रह जाना। पूरा न पड़ना । (२) वैभव पादि की समाप्ति या अंत पाने लगना । ह्रास का प्रारंभ होना। जैसे, अब तो उनके घर से बरकत उठ चली। बरकत होना = (१) अधिकता होना। वृद्धि होना । (२) उन्नति होना । २. लाभ । फायदा । जैसे,—(क) जैसी नीयत वैसी वरकत । (ख) इस रोजगार में बरकत नहीं है। ३. वह बचा हुमा पदार्थ या धन प्रादि जो इस विचार से पीछे छोड़ दिया जाता है कि इसमें और वृद्धि हो । जैसे,—(क) थैली बिल्कुल खाली मत कर दो, बरकत का एक रुपया तो छोड़ दो। (ख) पब इस घड़े मे है ही क्या, खाली, बरकत बरकत है । ४. समाप्ति । अंत । (साधारणतः गृहस्थी में लोग यह कहना कुछ प्रशुभ समझते हैं कि अमुक वस्तु समाप्त हो गई; और उसके स्थाव पर इस शब्द का प्रयोग करते हैं। जैसे,—प्राजकल घर में मनाज की बरकत है। ) ५. एक की संख्या । (साधारणतः लोग गिनती के प्रारंभ में एक के स्थान में शुभ या वृद्धि की कामना से इस शब्द का प्रयोग करते हैं)। जैसे, बरफत, दो, तीन, चार, पांच आदि । ६. धनदौलत । (क्व०)। ७. प्रसाद । कृपा । जैसे,—यह सब आपके कदमों की बरकत है कि आपके पाते ही रोगी अच्छा हो गया। ( कभी कभी यह शब्द व्यंग्य रूप से भी बोला जाता है)। जैसे,—यह आपके कदमों की ही बरकत है कि आपके आते ही सब लोग उठ खड़े हुए)। बरकती-वि० [अ० बरकत+ई (प्रत्य॰)] १. बरफतवाला । जिसमें बरकत हो । जैसे,—जरा अपना बरकती हाथ उधर ही रखना। (व्यंग्य)। २. वरकत संबंधी । वरकत का। जैसे, बरकती रुपया। बरकदम-संज्ञास्त्री॰ [फा० परकदम ] एक प्रकार की चटनी। विशेष-इसके बनाने की विधि इस प्रकार है-पहले कच्चे प्राम को भूनकर उसका पना निकाल लेते हैं और तब उसमें चीनी, मिचं, शीतल चीनी, केसर, इलायची मादि डाल जिसकी स्थिति हो। २. उपस्थित मौजूद । ३. जीवित । जिंदा (को०)। क्रि० प्र०—रहना। बरकस-क्रि• वि० [फा० बर + अ० अकस, अक्स ] विपरीत । उलटा। उ.-बहुत मिल के विद्या शिकना । मावबंद में बरकस रहे ना ।—दक्खिनी०, पृ०६५। बरकाज-संज्ञा पुं० [सं० वर + कार्य ] विवाह । व्याह । शादी। उ०-प्रबल प्रचंड वीरवंड वर बेष वपु बरिवे के वोले बैदेही वरकाज के ।—तुलसी (शब्द०)। बरकाना-क्रि० स० [स० वारण वारफ ] १. कोई बुरी बात न होने देना। निवारण करना । बचाना । जैसे, झगड़ा बरकाना। २. पीछा छुड़ाना । बहलाना । फुसलाना । उ०-खेलत खुशी भए रघुवशिन । कोशलपति सुख छाय दे नवीन भूषन पट सुदर जस तस के बरकाय ।-रघुराज (शब्द॰) । बरकावना-क्रि० म० [हिं० बरकाना] किसी के द्वारा वरकाना । बरक्कता-सज्ञा स्त्री० [अ० वरकृत] वृद्धि । समृद्धि । मलाई । उ०- भीड़ भाड़ से डरे भीड़ में नही बरक्कत । पलह०, पृ० ५५ । बरख-संज्ञा पुं० [सं० वपं] बरस । साल । उ०—(क) बरख बधै बिय बाल पिथ्थ बद्ध इक मासह ।-पृ०, रा०, ११७१७ । (ख) अगले बरख तो लड़कों का जनेउपा करोगे । -नई०, पृ०७८ । बरखना-क्रि० प्र० [सं० वर्षण] पानी बरसना । वर्षा होना । उ०- (क) कोटिन्ह दीन्हेउ दान मेघ जनु वरखइ हो। तुलसी मं०, पृ० ६ । (ख) वरखै प्रलय को पानी, न जात काहू पै वखानी । प्रज हूँ ते भारी टुटत हैं तर तर ।-नंद० ग्रं॰, पृ० ३६२ । बरखनि-सहा स्त्री० [सं० वर्पण ] बरसने की स्थिति। वर्षा । उ०-तैसियै सिर ते कुसुम सु बरखनि ।-नंद० म० पृ० २४८ । बरखा-संञ्चा स्त्री० [सं० वर्षा] १. मेह गिरना। जल का बरसना । वृष्टि । उ०—का वरखा जब कृषी सुखाने । —तुलसी (शब्द०)। २. वर्षा ऋतु । बरसात का मौसिम । उ०-बरखा विगत सरद ऋतु भाई ।-मानस, ४११६ । बरखाना-क्रि० स० [सं० वर्षा] १. बरसाना । २. ऊपर से इस प्रकार छितराफर गिराना कि बरसता हुआ मालुम ३. बहुत अधिकता से देना। बरखास-वि० [फा० बरखास्त ] दे० 'बरखास्त' । उ०- करि भूपति दूतन विदा कियो सभा बरखास । भरत शत्रुहन संग ले गए पापु रनिवास । -रघुराज (शब्द०)। बरखास्त-वि० [फा० बरखास्त ] १. (सभा प्रादि ) जिसका विसर्जन कर दिया गया हो। जिसको बैठक समाप्त कर दी गई हो । जैसे, दरवार, कचहरी, स्कूल प्रादि बरखास्त होना। जो बंद कर दिया गया हो। उ०-मुनिकै सभासद अभि- खषित निज निज अयन गमनत भए । भूपति सभा बरखास्त करि किय ण्यन अति आनंदमए । -रघुराज (शब्द०)। २. जो नौकरी से हटा या छुड़ा दिया गया हो । मौकूफ । देते हैं। बरकना-क्रि० प्र० [हिं० बरकाना ] १. कोई बुरी बात न होने पाना। न घटित होना । निवारण होना। बचना । जैसे, झगड़ा वरकना। २. अलग रहना । हटना। दूर रहना। बरकनारे-क्रि० प्र० [सं० वल्गन (= बहुत बोलना ), हिं. बलकना, गुज० बरकुएं ] मावेश में उत्साहित होकर बोलना या चिल्लाना । बलकना । उ०-वरकि कन्ह चहुआन करि, तिल तिल सम वन तुड। -पृ० रा०, ५८६ । परकरार-वि० [फा० पर+अ. फरार ] १. कायम । स्थिर ।