पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/२०८

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बात पात (२) तर्क करना। हुज्जत करना। (किसी की) बात पर जाना-२) वात का ख्याल करना । बात पर ध्यान देना । बात का भला बुरा मानना । जैसे,—तुम भी लड़कों की बात पर जाते हो। (२) कहने पर भरोसा करना । कथन के अनुसार चलना । जैसे,—उसकी बात पर जानोगे तो धोखा खानोगे । बात पलटना-दे० 'चात बदलना'। यात पी जाना=(१) बात सुनकर भी उसपर ध्यान न देना । सुनी अनसुनी कर देना । (२) अनुचित या कठोर वचन सुनकर भी चुप हो रहना। दर गुजर करना । जाने देना । बात पूछना=(१) खोज रखना। खबर लेना। सुख या दुःख है इसका ध्यान रखना । (२) कदर करना । पात फूटना= (१) शब्द मुंह से निकलना । (२) भेद खुलना। बात प्रकट हो जाना । उ०-और अगर बात फूटी तो बड़ी रुसवाई जगत हंसाई होगी।-सैर०, पृ० २६ । घास फेंकना-व्यंग्य छोडना । ताने मारना । बोली ठोली मारना । पात फेरना= (१) चलते हुए प्रसंग को बोच से उडाकर दूसरा विषय छेडना । बात पलटना । (२) बात बडी करना। बात का समर्थन करके उसका महत्व बढाना । बान बटना=(१) बात मे वात बनाना । बात गढना। (२) घातो को इस प्रकार परस्पर मिला देना कि असत्य होते हुए भी वे सत्य प्रतीत हों। उ०-हुजूर वह बात वटी है कि अल्ला ही अल्ला। -सैर०, पु० ४२ । बात बढ़ाना=बात का विवाद के रूप में हो जाना। झगड़ा हो जाना। तकरार होना । जैसे,—पहले तो लोग यों हो आपस में कह सुन रहे थे, धीरे धीरे बात बढ़ गई । पात वढ़ाना=विवाद करना । कहासुनी करना । झगड़ा करना । जैसे,--तुम्ही 'चुप रह जामो, बात बढ़ाने से क्या फायदा ! (किसी की) घात बढ़ाना=बात का समर्थन करना । बात की पुष्टि करके उसे महत्व देना। वात बदलना%3एक वार एक बात कहना दूसरी बार दूसरी | काटकर पलटना। मुकरना । उ०-पाप तो बात ही बदलते थे। प्रखि श्रव किसलिये बद- लते हैं । -चोखे०, पृ० ४६ । बात बनना=काम होना । काम निकलना । काम सध जाना । उ०-बात बनती नही वचन से ही। काम सघ कर सका सदा घन से ।-चोखे०, पृ. २४ । वात बनाना=मिथ्या प्रसग की उद्भावना फरना। मूड बोलना । वहाना करना । व्यर्थ वाग्विस्तार करना । उ०- तुम जो राजनीति सब जानत बहुत बनावत बात । -सूर (शब्द०) । वात वात में=(१) हर एक बात में। जो कुछ कहता है, सबमे । जैसे,—वह बात बात में कर वोलता है। (२) वार वार । हर बार। पुनः पुनः । यात वैठना= कही हुई बातो का असर पड़ना जिससे कार्य सिद्धि को ग्राशा हो। यात मारना=(१) वात दवाना घुमा फिराकर असल बात न कहना । (२) व्यंग्य बोलना । ताना मारना । वात मुँह पर लाना=वात बोलना । वाक्य का उच्चारण करना । बात में बात निकालना-चाल की खाल निकालना । किसी के बाथन में दोष निकालना। (किसी की) पात रखना=(१) कहना मानना । कथन या आदेश का पालन करना । (२) मनोरथ पूरा करना । मन रसना। अपनी पात रखना=(१) अपने कहे अनुसार करना । जैसा कहा था वैसा करना । (२) हठकरना । दुराग्रह करना । जैसे,—तुम अपनी ही बात रखोगे कि दूसरे की भी मानोगे ? बात लगाना=क्सिी के विरुद्धधर उधर बात यहना । लगाई बझाई करना । कान भरना। निंदा करना। पिशुनता करना । बात है - कथन मात्र है । सत्य नहीं है। ठीक नहीं है। जैसे,—वह निराहार रहते, यह तो बात है। वाते छाँटना = (१) बहुत बातें करना। व्यर्थ बोलना । (२) बढ़ बढ़ कर बोलना । बातें बधारना = (१) बातें बनाना । बहुत बोलना । ऐसी बातें करना जिनमे तत्व न हो । (२) बढ़ बढ़कर बोलना । डीग हाँकना । शेखी मारना । पाते बनाना = (१) व्यर्थ बोलना । ऐसी बातें याहना जिनमें तत्व न हो। झूठमूठ इधर उधर की बातें पाहना । (२) बहाना करना । खुशामद करना । चापलूसी करना । (३) डींग होकना । बढ़ चढ़कर बोलना। बातें मिलाना...हा में of मिलाना । प्रसन्न करने के लिये सुहाती बातें फहना । बातें सुनना-कठोर वचन सहना । दुर्वचन सहना । फस्वी बात बरदाश्त करना । बातें सुनाना = ऊँचा नीचा सुनाना । भला बुरा कहना । कठोर वचन कहना। यात श्राना = ६० 'बातों में माना। घाती की कमी बाँधना= बात पर बात कहते जाना। लगातार बोलते जाना। बातों का धनी- सिर्फ जयानी जमा खर्च करनेवाला । बढ़त फुछ कहनेवाला पर करनेवाला कुछ नहीं। बातें बनानेवाला । बातों पर जाना=(१) पातों पर ध्यान देना । (२) रहने के अनुसार चलना । वातों में थाना = बातों पर विश्वास करके उनको मनुकूल चलना । बातों में उदाना = (१) वि.सी विषय को हंसी मे टालना। इधर उधर की अनावश्क बातें कहकर पसल बात पर ध्यान न देना । (२) बहाली देना । टाल- मटूल करना। यातों में धर लेना=यही हुई बातो में रो किसी अंश को लेकर यह सिद्ध कर देना कि बातें यथार्थ नहीं है । युक्ति से बातो का खंडन फर देना । कायल करना । बातों में फुसलाना या यहलाना केवल वचनों से गंतुष्ट या दूसरी ओर प्रवृत्त करना । वा काहबार संतोष या समाधान करना । वातों में लगाना=बातें कहकर उसमें लीन रखना। वार्तालाप मे प्रवृत्त करना । उ०-बातन ही सुन लाय लियो। तब लौं मथि दघि जननि जसोदा माखन करि हरि हाथ दियो।-सूर (शब्द०)। २. चर्चा जिक्र । प्रसंग।