पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/२९२

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धुढ़ियावैठक हुमुझोनार चूना वुझाना, नील बुझाना । ५. चित्त का घावेग या उत्साह बुड़ना-क्रि० अ० [हिं० ] दे० 'वूडना' । आदि शात करना । जैसे, दिल की लगी बुझाना । बुड़बका-वि० [ स० वृद्ध, प्रा० बुढ्ढ + सं० वच (= बक) या संयोकि०-डालना।—देना । स० मुढवच ] मुख । वेवकूफ | अनजान । वाड़म । बुझाना-क्रि० प्र० बुझ जाना । शांत होना । दे० 'बुझना' । बुड़बकपना-सञ्चा मा० [हिं० बुड़यक+पन (प्रत्य०) ] मूर्खता । बुझाना-क्रि० स० [हिं० वूझना का प्रे० रूप ] वूझने का काम बेवकूफी । उ०-जल में रहकर मगर से बेर करना बुड़बकपन दूसरे से कराना। किसी को बूझने में प्रवृत्त करना । जैसे, है। -गोदान, पृ० ३१ । पहेली बुझाना । २. बोध कराना। समझाना। ३. संतोष बुड़बुड़ाना-क्रि० प्र० [अनु० ] मन ही मन कुढ़कर या क्रोध में देना। जी भरना । उ०—जो बहोरि कोउ पूछन भावा । पाकर अस्पष्ट रूप से कुछ बोलना । बड़बड़ करना । सर निदा करि ताहि बुझावा ।-मानस. ११३६ । बुड़भस-संज्ञा स्त्री० [हिं० वुड्भस ] वृद्ध का जवानों की तरह बझारत-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० बुझाना ( = समझाना)] १. किसी गांव रगीन बनना । बुड्ढे का युवक के समान विवेकरहित के जमीदारो के आय व्यय का वाषिक लेखा। २. समझाना प्राचरण करना । उ०-प्रजो किबला अब तो हवा ही ऐसी बुझाना । तोष देना। चली है कि जवान तो जवान बुढो तक को बुटमस लगा है।—फिसाना०, भा०, १, पृ०६ । बझावना-क्रि० स० [हिं० बुझाना ] वोष कराना । समझाना । उ०-बहु विधि वचन बुझावए नेहा ।-विद्यापति, बुड़ाना-क्रि० स० [हिं० ] दे॰ 'डुवाना' । पृ० ३२१। बुड़ाव-सञ्ज्ञा पु० [ हि• घुड़ना+श्राव (प्रत्य॰)] दे० 'डवाव' । वुझौवल -सञ्ज्ञा सी० [हिं० वूझना+ श्रोवल (प्रत्य० ) ] दे० . बुड़, आ, वुडुवा-शा पु० [हिं० चूहना ] डूबकर मरनेवाला 'पहेली'। व्यात जा प्रेत बन जाता है । यह मौका पाकर नहाननालो बुभमा-संशा खी० [सं० बुद्ध्य, प्रा० वुझ्झ, राज बूझणों, बूझना ] को डुबाकर मार डालता है। द० 'झ' । उ०-मारू पाखइ सक्षी, यह हमारा बुझ। बुड्ढा-वि० [ स० वृद्ध, प्रा, बुडु | जिनकी अवस्था अधिक हो साल्ह कुपर सुहिणा मिल्य उ, सुदरी सउ वर तुभ ।- गई हो। ५०-५० वष स आषक अवस्थावाला। वृद्ध । ढोला०, दू०२४। . उ०-जवान तो जवान बुढो तक का बुड़भस लगा है। बुट-तज्ञा ना॰ [हिं० बूटी या चूट ] दे॰ 'बूटी' । उ०—जातुधान -फिसाना०, भा० १, पृ०६। बुट पुठपाक लका जात रूप तन जतन जारि किया है मृगाक बुढ़-वि० [स० वृद्ध प्रा० बुडु, हि० बूढ़+बूदा] वृद्घ । बूढ़ा । सा।—तुलसी (शब्द०)। उ०-बसह पढ़ल बुढ़ भाव ।-विद्यापति, पृ० ३६५। वुटना- म० [सं०/ बुइ (= सवरण) ] दोड़कर चला बुढ़ना-सज्ञा पु० [ स० वर्जन ] १. छडोला । पत्थरफूल । १२. जाना या हट जाना। माना। उ०-फ) पाशा कार वृद्ध । बूढ़ा। पाया हुतो पास रावर में गाहू के पास दुख दुरि बुाटे बुाट बढ़भस-सञ्ज्ञा . [ स० वृद्ध, प्रा० बुड्ढ़, हिं• बुढ़ + म. हवस, गर-माकर (शब्द०)। (ख) राम सिया शव सिधु ५रा हिं० भस, होस | बुडभस। ल.-बुड्ढा का बुढ़ भस हास्या- अहि दवन के दुख पुज बुट ।-हनुमान (शब्द०)। स्पद वस्तु है।-दान, १०८ । बुट्ठना, बुहना पु-० अ० [५० वृष्टि या वपण] ऊपर से गिरना। बुढ़वा-वि० [हिं०] [ जा. बुढ़िया | द० 'बुढा' । ७०-६) करा कवट इ उ बुट्ट।-पदमाकर म०, विद्यापाd का नाना ना ढ़वा १ साना- विद्यापति, पृ. ३६५। पृ० ११। (ख) का ह का फिर मेघ युटुं धाराधर । -पु०रा०, ५५०६२ । बुढ़ाई-सहा ना. [ ह° चूहा + आई (प्रत्य०) 1 बुढ़ापा । वृद्धत्व । बुट्टि- -सचा . [ स० वृष्टि, प्रा० हि ] वृष्टि । वर्षा | उ० वृद्ध या बूढ़ा होने का भाव। 30-4 4 441 मरा मनो पावसी वाट्ट दादुल्ल ।।2. २०, २१४७५ । बुढ़ाई है, दानो ढलते जात उन्मन :-माराधना, पृ० २२ । चुड़ता-सशा साहि. बुड़ना] डूबने या बुड़ने की स्थिति । बुढ़ाना-० अ० [ह बूढ़ा+ना (प्रत्य०) वृद्धावस्था को प्राप्त नष्ट या समाप्त होने का स्थाd । उ०-नट कुपठित हाने हाना । बुड्ढा हाना। उ०-मब म जाना दह बुढ़ाना । स तो फिर बुड़त हा जाता है।-प्रेमघन०, भा० २, सोस पाव वर कहा न मानत तनु का दशा सि010।- पृ० ३५॥ सूर (शब्द०)। बुड़की-सचा नो० [हिं० डूबना सं०Vवुड] डुबकी । गोता। उ०- बुढ़ापा-सज्ञा पु० [ हि• बूढ़ा+पा (प्रत्य०) ] १. वृद्धावस्था । (क)श्रो हारदास के स्वामो स्यामा कुजाबहारा ल बुड़की गरे, बुड्ढे हान का अवस्था । २. बु हान का भाव । बुड्ढापन । लागि चौक परी कहाँ जाऊ ।-हारदास (शब्द॰) । (ख) बुढ़ियावेठक-सच्चा श्रा० । हि• दादया+ बैठक ( = कसरत ) । करात सनाव सब प्रेम वुडका दे।ह समुझि हाई भजि तार एक प्रकार का बैठक (सरत )। इसम दावार खंभमाद पावै ।-सूर (पन्द०)। का सहारा लेकर बार बार चठन बैठत है। उ०-