पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/२९५

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धुंध समझदार। पृ०१॥ बुद्धि कामा बुद्धिकामा-सञ्ज्ञा स्त्री० [ सं०] कातिकेय की एक मातृका का नाम । बुद्धियोग-संज्ञा पुं० [सं०] शान योग [को०] । बुद्धिकृत-वि० [सं०] बुद्धिपूर्वक किया हुप्रा [को॰] । बद्धिनाघव-सज्ञा पु० [सं०] शीघ्र ठीक निर्णय करना । किसी बुद्धिकुशल-वि० [सं०] [ सञ्ज्ञा बुद्धिकौशल ] चतुर । विषय पर ठीक निर्णय लेने में क्षिप्रता की स्थिति [को०] । बुद्धिगम्य-वि० [सं०] समझ मे प्राने योग्य। उ०—प्रात्यंतिक बुद्धिवंत-वि० [सं० बुद्धि+वंत (प्रत्य॰)] बुद्धिमान् । अक्लमंद । सुख इंद्रिय सुखो के परे फलत. बुद्धिगम्य है।-सा० समीक्षा, बुद्धिवाद-सज्ञा पुं० [सं० बुदिध + वाद ] १. वह वाद या विचार- बुद्धिचक्षु-संज्ञा पुं॰ [सं०] प्रज्ञाचक्षु । घृतराष्ट्र । उ०-करण धारा जिसमें बुद्धि का प्राधान्य हो । २. धर्म मे भी बुद्धि को ही प्रमाण माननेवाला मत । दुशासन नृप मन माना। बुद्धिचक्षु पहं कीन्ह पयाना ।- शब्द०)। बुद्धिवादी-वि० [सं० बुद्धिवादिन् ] वुद्धिवाद संबंधी विचारधारा बुद्धिचिंतक-वि० [सं० बुद्धिचिन्तक ] बुद्धिपूर्वक चिंतन करने- का माननेवाला। वाला [को०] । बुद्धिावलास-संज्ञा पु० [सं०] बुद्धि की क्रीड़ा या खेल । कल्पना [को०] । बुद्धिजीवी-सञ्ज्ञा पु० [सं० बुद्धिजीविन् ] वह जो बुद्धि के द्वारा अपनी जीविका का निर्वाह करता हो । बुद्धिवैभव- -सञ्ज्ञा पुं० [सं०] बुद्धि की प्रखरता। वौद्धिक सपात [को॰] । बुद्धितत्व-रज्ञा पु० [ स० बुद्धितत्व ] दे० 'बुद्धि'। बुद्धिदोष-सज्ञा पुं० [सं०] अज्ञान । नासमझी । बुद्धिशक्ति-सशा खो॰ [सं०] बुद्धिबल [को०] । बुद्धिशास्त्र -वि० [स०] ज्ञान वा बुद्धि रूपी शास्त्र से युक्त को०] । बुद्धिांत-सज्ञा पु० [ सं०] शत रज का खेल [को॰] । बुद्धिपर-वि० [स० ] जो बुद्धि से परे हो । जिस तक बुद्धि न बुद्धिशाली- वि० [ स० बुद्धिथालिन् ] बुद्धिमान् । समझदार । अक्लमद। पहुंच सके । उ०—राम सख्म तुम्हार वचन अगोचर बुद्धिः बुद्धिशील-वि० [सं०] बुद्धिमान् । बुद्धिशाली । अक्लमंद । पर । अविगत अकथ अपार, नेति नेति नित निगम कह ।- तुलसी (शब्द०)। बुद्धिशुद्ध-वि० [सं०] सच्चे विचार या भाव से युक्त । सच्ची बुद्धिपूर्व, बुद्धिपूर्वक -वि० [सं० ] सोच समझकर । जान बूझकर । नायतवाला [को०] । बुद्धिपुरस्सर-iक्र० वि० [सं० ] दे॰ 'बुद्धिपूर्व' । बुद्धिश्रीगर्भ-सञ्चा पुं० [सं०] एक बोधिसत्व का नाम । बुद्धिबल-संज्ञा पु० [स०] १. एक प्रकार का खेल । २. वृद्धि बुद्धिसको सञ्चा स० [सं० वृद्धिसङ्कीर्ण ] एक प्रकार का शक्ति । ज्ञान की शक्ति (को॰) । कक्ष [को०] । बुद्धिभेद-संज्ञा पुं० [ स० ] निश्चयात्मक ज्ञान न होना । समझ बुद्धिसंपन्न-वि० [स० बुद्धिसम्पन्न ] दे० 'मुद्धिशील' । का गड़बड़ी । संशय । सदेह । बुधिसख-सञ्ज्ञा पु० [सं०] द. 'बुद्धिसहाय' । बुद्धिभ्रंश-सज्ञा [ स० ] जिसमे अनीति नीति प्रतीत हो ऐसा बुधिसहाय-ज्ञा पु० [स०] | मत्रा । सचिव । वजीर । बुद्धि संवधी रोग या दोष । वुद्धिनाश दोष जिसमें बुद्धि ठीक बुाद्धहत-वि० [स०] जिसमे बाद्ध न हो। बुद्धिहीन । वे अकल । काम न करे । उ०-बुद्धिभ्रश ते लहत विनासहि । ताहि बुद्धिहा-सा झा० [ स०] बुद्धि का नष्ट करनेवालो मदिरा । मनीति नीति मासहि । -श्रीनिवास न०, पृ० २८४ । बुद्धिभ्रम-संज्ञा पु० [सं०] दे० 'बुद्धिभेद' । उ॰—किंतु हाय, वह बुद्धिहीन-वि० [ स० ] जिसे वृद्धि न हो। मुखं । वेवकूफ । हुई लीन जब, क्षीण बुद्धिभ्रम में काया ।-अनामिका, बुद्धोंद्रय - ज्ञा सो. [ स० बुद्धीन्द्रिय ] दे॰ 'ज्ञानेद्रिय' । पृ० ३१ । बुद्धा-सचा ना. [ स० बुद्धि । द. 'बुद्धि' । बुद्धिमंत-वि० [ स० वुद्धिमान् ] दे० 'वु दिवंत'। उ०-वाहू को बुध-सज्ञा पु० [सं०] १. सौर जगत का एक ग्रह जो सूर्य के सबसे व्याकरण, न्याय, वेदातादि पठित करि के जे बुद्धिमत है तेई अधिक समीप रहता है। ग्रहन करि सके । पोद्दार अभि० प्र०, पृ० ५२० । विशष-यह प्राय. सूर्य से ३६०००००० मील की दूरी पर बुद्धिमत्ता-शा स्त्री॰ [स०] बुद्धिमान् होने का भाव । समझदारी । अट्ठासी दिन में उसकी परिक्रमा करता है। इसका व्यास प्रक्लमंदी। प्राय: ३१०० मील के लगभग है और यह २४ घटे ५ मिनट बुद्धिमानी-संज्ञा स्त्री॰ [ स० बुद्धिमान + हिं० ई (प्रत्य॰)] मे अपनी धुरी पर घूमता है। इसकी कक्षा का व्यास दे० 'बुद्धिमचा'। ७२०००००० मोल है। मोर इसकी गति प्रति घटे प्रायः एक बुद्धिमोह-सचा पु० [स०] दिमाग का काम न करना था लाख मील है। सूय के बहुत समीप होन क कारण यह घबड़ाना [फो। दूरबीन की सहायता के बिना बहुत कम देखने में पाता है। मद्य। शराव।