पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४०३

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भानार प्रादि । ३१४२ भानुमती मालूम होना । उ०-मैं घर को ठाढी हो तिहारो को मौ सर विशेप-तुलसीकृत रामायण में इसकी कथा इस प्रकार दी है- कटै प्रान। मोई लेहों जे मों मन भावे नंद महर की प्रान । अपने पिता द्वारा राज प्राप्त करने के बाद एक दिन प्रताप- -सूर (शब्द०)। २. अच्छा लगना । रुचना। पसंद पाना । भानु शिकार खेलने गया। इसे जंगल में एक सुअर देख उ०-क) महमद बाजी प्रेम की ज्यो भाव त्यों खेल | पड़ा, इसने घोड़े को उसके पीछे डाल दिया। घने जंगल में तेलहि फूलहि संग ज्यो होय फुलायल तेल ।—जायसी जाकर सुपर कही छिप गया और राजा जंगल मे भटक (शब्द०)। (ख) गुन अवगुन जानत सब कोई। जो गया। उस जगल में उसे एक तपस्वी का माश्रम मिला। जेहि भाव नीक तेहि सोई —तुलसी (शब्द०)। (ग) वह तपस्वी राजा का एक शत्रु था जिसका राज्य इसने भावै सो करहु तो उदास भाव प्राणनाथ साथ लै चलह कैसे जीत लिया था। राजा प्यासा था और उसने तपस्वी को लोक लाज वहनो। -केशव (शब्द०)। ३. शोभा देना । पहचाना न था। उससे उसने पानी मांगा। तपस्वी ने सोहना । फबना। उ०-तुम राजा चाही सुख पावा । एक तालाब बतला दिया। राजा ने वहां जाकर जल पीकर जोगिहि भोग करत नहिं भावा ।-जायसी (शब्द०)। अपना श्रम मिटाया। रात हो रही थी, इससे तपस्वी राजा संयो॰ क्रि०-जाना। को अपने प्राश्रम मे ले गया। रात के समय दोनों में बातचीत भाना-क्रि० स० [सं० भा ( = प्रकाश)] चमकाना | उ० हुई । तपस्वी ने कपट से गजा को अपनी मीठी मीठी बातों से कनकदंड दुई भुजा कलाई । जानहुँ फेरि कुदेरे भाई । वशीभून कर लिया। भानुप्रताप उसकी बातें सुनकर उसपर जायसी ( पाब्द०)। विश्वास करके रात को वहीं आश्रम में सो रहा । तपस्वी ने भानु-सज्ञा पुं॰ [स०] १ सूर्य । अपने मित्र कालवे तु राक्षस को बुलाया। इसी ने सूकर बन- यौ०-भानुजा। भानुतनया । भानुदिन । भानुभू । भानवार । कर राजा को भुलाया था। वह राजा को क्षण भर में उठाकर उसकी राजधानी में पहुंचा पाया और उसके घोड़े को घडशाला मे बांध पाया। साथ ही उस राजा के पुरोहित २. विष्णु । ३. किरण । ४. मंदार । पकं । ५. एक देवगंधर्व को भी उठाकर एक पर्वत की गुफा में बंद कर पाया मोर का नाम । ६, कृष्ण के एक पुत्र का नाम । ७. जैन ग्रंथों के अनुसार वर्तमान अवसर्पिणी के पंद्रहवें अहंत के पिता का पुरोहित का रूप धरकर उसके स्थान पर लेट रहा । सबेरे जब राजा जागा तो उसे मुनि पर विशेष श्रद्घा हुई । नाम । ८. राजा। ६. उत्तम मन्वंतर के एक देवता का नाम । १० प्रभा । प्रकाश (को०) । ११. शिव (को॰) । पुरोहित को बुलाकर राजा ने तीसरे दिन भोजन बनाने की प्राज्ञा दी और ब्राह्मणों को भोजन का निमंत्रण दिया । भानु-सज्ञा स्त्री॰ [ स०] १. दक्ष की एक कन्या का नाम । पुराणा- कपटी पुरोहित ने अनेक मांसो के साथ मनुष्य ( ब्राह्मण ) का नुसार यह धर्म वा मनु से व्याही थी और इससे भानु वा मांस भी पकाया। जब ब्राह्मण लोग भोजन करने उठे राजा आदित्य का जन्म हुप्रा था। २. कृष्ण को एक कन्या का नाम । ३. सुदर ली। परोसने लगा तब इसी बीच में आकाशवाणी हुई कि तुम लोग यह अन्न मत खायो, इसमें मनुष्य का मास है। ब्राह्मण भानुकंप-संज्ञा पुं॰ [ स० भानुकम्प ] प्रहणादि के समय सूर्य के विव का कांपना। फलित ज्योतिष मे यह प्रमंगलसूचक माना लोग प्राकाशवाणी सुनकर उठ गए और राजा को शाप गया है। दिया कि तुम परिवार सहित राक्षस हो। कहते हैं, वही राजा भानुप्रताप मरने पर रावण हुप्रा । ( देखिए तुलसीकृत भानुकेशर, भानुकेसर-सज्ञा पु० [सं०] सूर्य । रामायण, बालाड, दोहा १५३ से १७६)। भानुज-संज्ञा पुं० [सं०] [स्त्री० भानुजा] १. सूर्यपुत्र यम । २. भानुफला-पंज्ञा श्री० [सं०] केला।-30-रंभा मोचा गजबसा शनैश्चर । ३. कणं। भान फना सुकुमार ।-प्रनेकार्थ०, पृ० ३७ । भानुजा-संज्ञा स्त्री॰ [ स०] यमुना । भानुभू -संज्ञा स्त्री० [सं०] सूर्य की पुत्री । यमुना । भानुतनया-संज्ञा स्त्री॰ [सं० ] यमुना । भानुमत्-वि० [ मं०] १. दीप्तियुक्त । प्रकाशमान् । २. सुदर । भानुतनूजा- T--संज्ञा सी० [स०] यमुना। भानुमत्-संश पु० १. सूर्य । २. कलिंग के एक राजा का नाम । भानुदिन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] रविवार । ३. कृष्ण के एक पुत्र का नाम । ४. पुराणानुपार केशिध्वज भानुदेव-संज्ञा पु० [ सं०] १ सूर्य । २. चाल देश के एक राज के एक पुत्र का नाम । ५. भगं का एक नाम । कुमार का नाम जो महाभारत में पांडवों की मोर से लड़कर भानुमती-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. विक्रमादित्य की रानी का नाम । करणं के हाथ मारा गया था । यह राजा भोज की कन्या थी। यह अत्यंत रूपवती पौर भानुपाक-संक्षा पु० [सं०] पौषध आदि को सूर्य को गर्मी या धूप इंद्रजाल विद्या की जानकार थी। २. अंगिरस की पहली की सहायता से पकाने की क्रिया। कन्या का नाम । ३. दुर्योधन की स्त्री का नाम । ४. सगर भानुप्रताप-पंचा पु० [सं०] रामायण के अनुसार एक राजा का की एक स्त्री का नाम । ५. कृतवीयं की कन्या का नाम जो नाम | यह कैकय देश के राजा सत्यकेतु का पुत्र था । महंयाति से व्याही थी । ६. गंगा । ७. जादुगरनी।