पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

11 २. जिसमें म'बगूढ़ २७२१ मनगूहा पु० [ स० मन्त्रगूळ ] गुनचर । मकवान-mist - [.. Atif it मगृह- पुं० [म. मन्त्रगृह ] वह स्थान जहाँ मंत्र या मताह गधीज-in aaiii। की जाती हो । परामश करन के लिये नियत स्थान । मनभंद -1 मी गुम का नार: कामर मजल-संसा यु० [स० मन्त्रजन] मत्र से प्रभावित या पवित्र किया जाना किया हुया जल । मनोदक-IYA नागनायो मजिह्व-सा पुं० [ स. मन जिह] अग्नि । प्रकाशित करने वाला। मंत्रज्ञ-वि० [सं० मन्त्रज्ञ ] १. मत्र जाननेवाला । विशेष बद्रगुम समय समपरा में प्रापिण भी परामर्श देने की योग्यता हो । जो अच्छा परामर्श देना जानता जीभ उसाद लेना पाया। हो। ३. भेद जाननेवाला। मत्रमुग्ध - [म गन्नमुग्ध ] मा द्वारा विमोदि से मंत्र-संशा पु० १. गुप्तचर । २. चर । दुत । किया था। पवना ... । मंत्रण-संज्ञा पुं० [ • मन्त्रण] परामर्श । मत्रणा । गलाह । राय। मत्रमूर्ति- Y० [ ५० मन्त्रमूर्ति ] fat in एक नाग मशवरा। मनमूना { { मन्नमत ] १. राम । २.किस। मत्रणका पुं० [सं० मन्त्रणक ] माहान । अावाहन । अभ्यर्थना ३. जादु निमंत्रण [को०। मयंत्र- पु[म मन्नयन मधात्मक यातायो । मंत्रणा-संशा सी० [सं० मन्त्रणा] १. परामर्श । सलाह । मशवरा । मंत्रियान - पु. [in पोर को पानिका प्रभार क्रि० प्र०-करना ।-देना |--लेना। तियत, नेपाल, भुटान प्राति है। २. काई आदमियो की सलाह में स्थिर किया हुप्रा मत । गंतव्य । विशेष-म संप्रदाय के ग्रंथो में प्रोकतं यानि मनद-वि० [ स० मन्नद ] परामर्श देनेवाता । अनुसार aiमिक उपासना होती है। इस मत प्रधान मजद-संग पुं० मंत्र देनेवाला, गुरु । प्राचार्य सिद्ध नागार्जुन माने जाते हैं। ये पायान गो मदर्शी-वि० [सं० मन्त्रदर्शिन् ] वेदवित् । वेदश । कहते हैं। मंत्रदाता-वि०, संग पुं० [सं० मन्त्रदात ] दे० 'मंगद' । मनयुद्ध- पुं० [सं नवयुर] केरल पानीत पा वाम मदीधिति-संज्ञा पुं० [स० मन्त्रदीधिति ] अग्नि । द्वारा शत्रु को वश में करने का प्रपल । मत्रदेवता-संगा पुं० [सं० मन्त्र देवता मंत्रों द्वारा भावाहित विशेष-कोटिल्य ने अर्थशास्त्र में इस विषय का एपमा देवता [को०] । प्रकरण (१६३ 4) ही दिया है। मनद्रष्टा-वि० [स० मन्त्रदुष्ट ] वेदज्ञ । वेद मत्रों का साक्षात्कार मंत्रयोग-मं० [सं० मन्नयोग ] IT का प्रयोग । मंत्र पड़ना। करनेवाला [को०] । मनवादी-१०, . [मन्त्रमादिन ] १. 11. | २. को मबद्र म-संज्ञा पुं० [सं० मन्त्रदुम ] पाशुप मन्वंतर के इंद्र ममोच्चारण करे । ३. तंग एक र प्राधिकार ७०-विधी सपं विपंग मंत्र सादी गिति नहा-पु. मधर-संसा पुं० [सं० मन्त्रधर ] मंगी। रा, ६।१०५। मंत्रधारी- पु० [ स० मन्त्रधारिन् J३० मयघर' (फो०] । मंत्रविद्-० [माद१. गंगा। २. ये । ३. यो मत्रपति- पुं० [सं० मन्मपति ] मंत्र का देवता। मंत्र का अघि राज्य के रहस्यो को जानना दो ष्ठाता देवता। मवविद्या-० [० मविपा] मरिया। भोरपिता। गंगवालाना म पाठ-सा पु० [स० मन्त्रपाठ] मंत्रों का पाठ या प्राति ।। मंत्रवीज-ily [H. मनवीन माधर मंत्रपूत-० [सं० मन्त्रपूत ] जो मंत्र द्वारा पवित्र किया गया हो। उ०-वे गाए याद दिव्य शर अगणित मत्रपूर्व ।-अपरा, या शब मनशक्ति [., मात्रशस्ति ] १. परापा पृ०४०1 की। २.नाना। ३.1-24 यौ----मंत्रपूतात्मा = ग१५ का एक नाम | मंत्रप्रयोग-संक्षा पु० [स.. मन्त्रप्रयोग ] मंत्र सारा काम सेना !jl गंधति: [AT]irg मा पुन पराम जिसे पन्य ने मुनारिया मयप्रयुक्ति-AARI [१० मन्त्रप्रयुक्ति प्रयोग' [३०] । मनसंहार----... R ..मार। मफल-inj० [सं० सं० मन्त्रफल ] १. मंत्रणा या परामचं का यी-ना-its। परिणाम । २. मंत्रविद्या का प्रभाव या ल । ७.५६ का नाम। ।