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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४९७

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मखहा मगधेश मखहा-संज्ञा पु० [ मं० मवन् ] १. इंद्र । २. शिव [को०] । तंग करना । मगज चलना = (१) वहुत अभिमान होना मखाना-सज्ञा पुं॰ [ स० मखान ] दे० 'तालमखाना' । (२) पागल होना । मगज पचाना=(१) बहुत अधिक मखाना-क्रि० स० [सं० नक्षण ] चिकनाना । लेपना । दिमाग लड़ाना । सिर खपाना । (२) समझाने के लिये बहुत लगाना । उ०-हाथ में जरा सी चिफनई (तेल) मखाकर वकना । मगज पिलपिल करना= बकवाद से या मार से सिर वह आपके पैरों से शुरू करेगा।-रति०, पृ० १४३ । का कचूमर करना। मखाग्नि-सज्ञा स्त्री० [म० ] यज्ञकुंड की अग्नि । यज्ञ द्वारा संस्कृत २. गिरी । मीगी । गूदा । कद्दू, खरबूजा श्रादि के बीज का गूदा । अग्नि [को०)। मगजचर-संज्ञा पुं० [हिं० मगग+चाटना ] वह जो बहुत बकता मखान्न-सज्ञा पु० [ स०] तालमखाना । हो । बकवादी। मखालय-संज्ञा पुं० [ स०] यज्ञशाला। मगजचट्टी-संशा सी० [हिं० मगज+चाटना ] यकवाद । बकवक । मखीg'----संज्ञा पु० [सं०? ] दे० 'मक्खी' । मगजदार-संश पु० [अ० मगज + फा० दार ] बुद्धिमान । उ०-- मखा--संज्ञा पु० [स० बृक्षण, प्रा० मक्ख ] अजन ।-अनेकार्थ०, मगजदार महबूब करंदा खुब मले दे यारी है।-घनानंद, पृ०८०॥ पृ० १५०। मखीरीज्ञा पु० [हिं० मवखी+र ( प्रत्य० ) ] शहद । मधु । मगजपच्ची-सरा सी० [हिं० मगज+पचाना ] किसी फाम के मखेश-सज्ञा पु० [सं० मख+ईश ] राजसूय यज्ञ । लिये बहुत दिमाग लगाना । सिर खपाना । मगजी-सञ्चा सी० [ देश० ] कपड़े के किनारे पर लगी हुई पतली मखोना-सज्ञा पु[ देश० ] एक प्रकार का कपड़ा। उ०-चकवा गोट । 30 --- मगजी ज्या मो मन सियो तुव दामन सो चीर मखोना लोने । मोति लाग शो छापे सोने । लाल ।-स० सप्तक, पृ०१६२। जायसी (शब्द०)। मखौल-सञ्ज्ञा पु० [ देश० ) हंसी ठट्ठा । मजाक । परिहास । मगण-सज्ञा पु० [ स०] कविता के आठ गणो में से एफ जिसमें ३ गुरु वर्ण होते हैं। लिखने में इसका स्वरूप यह है--555 । मुहा०-मखौल उड़ाना = किसी की हंसी उड़ाना । परिहास जैसे, प्रामोदी, काकोली, दीवाना | इसका छंद के पादि मे करना। उ०-इनकी वृद्धावस्था और विवाह की लालसा भाना शुभ माना जाता है। कहते हैं, इसका देवता पृथ्वी को देखकर कौन नही मखौल उड़ाएगा ।-वी० श० महा०, है और यह लक्ष्मीदाता है। पृ० २२८ । मगत-वि० [हिं०] मांगनेवाला। प्रार्थना करनेवाला । प्रार्थी । मखौलिया-सञ्चा पु० [हिं० मखौल+इया (प्रत्य॰)] वह जो उ०-फड़ि कचोटा हर इसर वोलाए । मगत जना सव कोटि सदा मखौल करता हो। हंसी ठट्ठा करनेवाला । मसखरा । कोटि पाए।-विद्यापति, पृ०५१५ । दिल्लगीवाज। मगद-संवा [ स० मुद्ग] एक प्रकार की मिठाई जो मुंग के मगद-सज्ञा पु० [ स. मगान्द ] सूदखोर [को० । पाटे और धो से बनती है। मग-संचा पु० [स मार्ग, प्रा० मग्ग] १. रास्ता । राह । मगदरी-संशा पु० [हिं० मगद+र ] दे० 'मगदल' । मुहा०—के लिये दे० 'बाट' और 'रास्ता'। मगदल-सा पुं० [सं० मुद्ग] एक प्रकार का लड्डू जो मूग वा मग-संज्ञा पु. [ म०] १. एक प्रकार के शाकद्वीपी ब्राह्मण जो उड़द के सत्तू मे चीनी मिलाकर घी में फेटकर बनाया सूर्योपासक थे। २. मगह देश । मगध । उ०-कासी मग जाता है। सुरसार कवि नासा । मन मारव महिदेव गवासा । -तुलसी। मगदा-वि॰ [ स० मग+दा (प्रत्य॰)] मार्गप्रदर्शक । रास्ता (शब्द॰) । ३. मगध का निवासी । ४. पिप्पलीमून । दिखलानेवाला । उ०-वे मगदा पग अंधन को तुम चालियो मगज-सज्ञा पुं० [अ० मगज ] १. दिमाग । मस्तिष्क । पाछेनहूँ को निवारेउ ।-विश्राम (शब्द०)। यौ०-मगजपच्ची। मगदूर-संज्ञा पुं॰ [ घ० मक़दूर ] ३० 'मकदूर' । मुहा०-मगज के कीड़े उड़ाना = बकवाद से सिर चाटना । मगद्विज-सज्ञा पु० [सं०] शाकद्वीपी जाह्मण (को०] । मगज खोलना = (१) कार्य की अधिकता के कारण दिमाग मगध-सञ्ज्ञा पु० [स०] १. दक्षिण बिहार का प्राचीन नाम । का कुछ काम न करना । (२) क्रोध के मारे दिमाग खराव वैदिक काल में इस देश का नाम कीकट था। २. इस देश के होना । (३) दिमाग मे गरमी पा जाना । पागल हो जाना। निवासी। ३. राजाओ की कोति का वर्णन करनेवाले, मगज खाना = बककर तंग करना । मगज उड़ाना या बंदीजन । मागध। भिन्नाना = दुगंध वा शोर के कारण दिमाग खराब होना । मगधा-सशा सी० [सं०] पिप्पली [को०] । मगज उड़ाना= बहुत बक बककर दिक करना । मगज खाली मगधीय-वि० [सं०] मगध देश का । मगध संबंधो [को०] । करना= दे० “मगज पचाना। मगज चाटना-बक बककर मगधेश-संशा पु० [ स० मगध देण फा राजा, जरासंध ।