पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/५०२

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मछलोगौता ३७४१ मजना मर जाती है। पैरों या हाथों के स्थान में इसके दोनो ओर मछोदरी - -सञ्चा स्री॰ [हिं०] दे० 'मच्छोदरी'। ७०-मछोदरी दो पर होते हैं जिनकी सहायता से यह पानी में तैर सकती जाव है जग कहई। व्यासदेव की जननी अहई।-कबोर है। कुछ विशिष्ट मछलियो के शरीर पर एक प्रकार का सा०, पृ० ३४॥ चिकना चिमड़ा छिलका होता है जो छीलने पर टुकड़े टुकड़े मजकण-सज्ञा पु॰ [स० मत्कु] खटमल । उ०-विष विलयी होकर निकलता है और जिससे सजावट के लिये अथवा आत्मा, (ताका), मजकरण खाया सोधि ।-कवीर कुछ उपयोगी सामान बनाए जाते हैं। अधिकाश मछलियों ग्रं॰, पृ० ४०। का मास खाने के काम मे पाता है । कुछ मछलियों की मजकूर--वि० [अ० मजकूर ] जिसका उल्लेख या चर्चा पहले हो चर्बी भी उपयोगी होती है । इसकी उत्पत्ति अंडो से चुकी हो। जिक्र किया हुप्रा । कथित । उक्त । उ०-हुमा होती है। यों नूर जब मशहूर पालम। घेर घर तब किए मजकूर यौ०-मछली का तेल रोग में उपयोगी मछली का तेल | पालम ।-दक्खिनी०, पृ० १६४ । मछली का दांतोडे के आकार के एक पशु का दांत जो मजकूर ए बाला-वि• [प्र. मजकूर ए बालइ ] कार कहा हुमा। प्रायः हाथीदांत के समान होता है और इसी नाम से विकता पूर्वोक्त । उपयुक्त । है। मछली का मोती = एक प्रकार का कल्पित मोती जिसके मजकूरात-सज्ञा पु॰ [अ० मजकूरात ] शामिलात देहात अराजी विषय मे लोगों की यह धारणा है कि यह मछली के पेट से का लगान जो गांव के खच म आता है। निकलता है, गुलाबी रंग और घुघची के समान होता है मजकूरी-सज्ञा पुं० [अ० मजकूरी ] १. ताल्लुकेदार । २. और बड़े भाग्य से किसी को मिलता है। मछली की स्याही= चपरासी। ३. वह मनुष्य जिसको चपरास) अग्नी ओर से एक प्रकार' का काला रोगन जो भूमध्यसागर मे पाई अपने समन वगैरह की तामोल के लिये रख लेते है । ४. जानेवाली एक प्रकार की मछली के अंदर से निकलता है बिना वेतन का चपरासी । ५. वह जमीन जिसका बंटवारा और जो नक्शे आदि खीचने के काम में आता है। न हो सके और जो सवसाधारण के लिये छोड़ दी गई २. मछली के प्राकार का बना हुमा, सोने, चाँदी प्रादि का हो। लटकन जो प्रायः कुछ गहनों में लगाया जाता है। ३. मजगूत-वि० [अ० मज़बूत ] दे० 'मजबूत'। उ०-यह समधिन मछली के आकार का कोई पदार्थ । जग ठगे मजगूत ।-कबीर० श०, भा० ३, पृ० ४४ । मछलोगोता-संज्ञा पुं० [हिं० मछली+गोता ] कुश्ती का एक पेंच । मजजूब-व० [अ० मज़जूब ] तल्लीन । परमहस । देखने में मछलोडंड-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० मछली+डंड ] एक प्रकार का डड बावला पर ब्रह्मरत । उ०-मुबारक लव का पस खोर वो जिसमें दोनों हाथ जमीन पर पास पास रखकर छाती जो खावे, ओ बी मसकुर हो मजजूब जावे ।-दक्खिनी०, और कोहनी को जमीन से ऊपर करते हुए मछली के समान पृ०१६५ । उछलते हैं। इसमें पंजो को नीचे जमीन पर पटकने से यौ०-मजजूब की यहक = प्रलाप । बहक । आवाज होती है। मछलीदार-संज्ञा पु॰ [हिं० मछली+दार (प्रत्य॰)] दरी की एक मजदा-संज्ञा पु॰ [अ० मन्द ] पुनीतता । पवित्रता । श्रेष्ठता। प्रकार की बुनावट। उ०-सब प्राशिकों में हम कू' मजदा है याबरू का।- कविता को०, भा० ४, पृ० १३ । मछलीमार-संज्ञा पुं० [हिं० मछली+मार (प्रत्य॰)] मछली मारनेवाला । मछुप्रा । धीवर । मल्लाह । मजदूर-संज्ञा पुं० [फा० मजदूर ] [स्त्री० मजदूरनी, मजदूरिन ] बोझ ढोनेवाला । मजूरा । कुली। मोटिया। २. इमारत मछवा-सज्ञा पुं० [हिं० मछली ] १. वह नाव जिसपर बैठकर मछली का शिकार करते है । (लण) । २. मल्लाह । या कल कारखानों में छोटा मोटा काम करनेवाला आदमी। जैसे, राज मजदूर, मिलों के मजदूर । मछहरी -संज्ञा स्त्री० [हिं० ] दे॰ 'मसहरी' । मजदूरी -संज्ञा स्त्री॰ [फा० मजदूरी] १. मजदूर का काम । पोक मछिंदरनाथ-संशा पु॰ [ ० मत्स्येन्द्रनाथ ] गोरखनाथ जी के ढोने का या इसी प्रकार का धौर कोई छोटा मोटा काम । गुरु । उ०-गोरख सिद्धि दीन्हि तोहि हाथू । तारे गुरु २. बोझ ढोने या और कोई छोटा मोटा काम करने का मछिदर नाथू ।-जायसी० ० (गुप्त), पृ० २२८ । पुरस्कार । ३. वह धन जो किसी को कोई नियत कार्य मछुआ, मछुवा-संज्ञा पु॰ [ हिं० मछली+मार (प्रत्य॰)] करने पर मिले । परिश्रम के बदले में मिला हुआ धन । मछली मारनेवाला । धीवर । मल्लाह । उजरत । पारिश्रमिक । ४. जाविकानिर्वाह के लिये किया मछेहा-संज्ञा पुं॰ [देश॰] शहद का छत्ता । जानेवाला कोई छोटा मोटा और परिश्रम का काम । मछोरी-संज्ञा पु॰ [सं८ मत्स्य+ हिं० श्रोत। ] मछली के प्राकार यौ-मजदूरी पेशा = मजदूरी करनेवाला मजदूर का काम फा लकड़ी का टुकड़ा जिसकी सहायता से हरिस में हल जुड़ा करनेवाला। मजना@-क्रि० म० [सं० मज्जन ] १. डुबना। निमज्जित रहता है।