फोटोग्राफ फोड़ना मुहा०-फोटो लेना = फोटोग्राफी के यंत्र द्वारा किसी का फोटो इस बात का कुछ कुछ ज्ञान लोगों को पहले से था। चमड़ा या छायाचित्र खीचना। सिझाते समय सूर्य का प्रकाश पाकर चमड़े का रंग बदलता फोटोग्राफ-संज्ञा पुं० [अ० फोटोग्राफ़ ] फोटो। छायाचित्र । हुआ बहुत से लोग देखते थे। सोलहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध दे० 'फोटो। में इटली के एक मनुष्य को, जिसका नाम पोर्टो था, वृक्ष के फोटोग्राफर-संज्ञा पुं० [अं० फोटोग्राफर ] फोटोग्राफी का काम सघन पत्तो में से होकर सूर्य की किरणों का प्रकाश छनते करनेवाला। देखकर उत्सुकता हुई। उसने अपने घर की कोठरी की दीवार फोटोग्राफी-संज्ञा स्त्री० [पं० फोटोग्राफी ] प्रकाश की किरनों द्वारा मे एक छोटा सा छेद किया। फिर बाहर की ओर दीपक रासायनिक पदार्थों में उत्पन्न कुछ परिवर्तनों के सहारे वस्तुओं जलाकर दूसरी ओर एक पदार्थ टांगकर परीक्षा करने लगा। दीपशिखा उसे पर्दे पर उलटी लटकी दिखाई पड़ी। वह इस की प्राकृति या प्रतिकृति उतारने की क्रिया। प्रकाश की प्रकार दूसरे पदार्थों की प्रतिकृतियाँ भी पर्दे पर लाने का यत्न सहायता से चित्र उतारने की कला या युक्ति । करने लगा। सुबीते के लिये उसने एक नतोदर शीशा उस विशेष-यह काम संदूक के आकार के एक यंत्र के सहारे से छेद मे लगा दिया। उसी समय फ्रास देश के एक और वैज्ञा- किया जाता है जिसे 'केमरा' कहते हैं । इसके आगे की पोर निक ने परीक्षा करके नाइट्रेट आफ सिलवर नामक रासाय- बीच में गोल लंबा चोगा सा निकला रहता है जिसमें एक निक मिश्रण बनाया जो यद्यपि सफेद होता है तथापि सूर्य की गोल उन्नतोदर शीशा लगा रहता है जिसे लेंस कहते हैं । किरन पड़ते ही धीरे धीरे काला होने लगता है । सन् १७२० दूसरी ओर एक शीशा और एक किवाड़.होता है जो खटके मे स्विट्जरलैंड के एक विद्वान् चार्ल्स ने अंधेरी कोठरी में से खुलता और बंद होता है। केमरे के बीच का भाग भाषी नाइट्रेट आफ सिलवर के सहारे से चित्र बनाने की चेष्टा की । की तरह होता है जो यथेच्छ घटाया और बढ़ाया जा सकता चित्र तो खिच गया पर स्थायी न हो सका। बहुत से वैज्ञा- है । लेस के सामने चोंगे के बंद करने का ढक्कन होता है। निक चित्र को स्थायी करने की चेष्टा करते रहे । अंत को केमरे के भीतर अंधेरा रहता है और उसमे सिवाय आगे सौ बरस पीछे, एमन्योपस नामक एक वैज्ञानिक की सहायता के लेंस की पोर से और किसी ओर से प्रकाश पाने का मार्ग से डगर साहेब ने पारे के रासायनिक मिश्रण द्वारा चित्र नहीं होता है । जिस वस्तु की प्रतिकृति लेनी होती है. वह को स्थायी करने में सफलता प्राप्त की। डगर ने चित्र को सामने ऐसे स्थान पर होती है जहाँ उसपर सूर्य का प्रकाश पहले 'पोटास ब्रोमाइड' मे बा डुबाकर देखा पर अंत पच्छे प्रकार पड़ता हो। उसके सामने कुछ दूर पर केमरे का में उसे 'हाइपो सल्फाइट सोडा' द्वारा पूरी सफलता हुई । मुंह उसकी ओर करके रखते हैं। फिर लेंस का ढक्कन इसी समय एक अग्रेज ने गैलिक एसिड और नाइट्रेट आफ खोलकर चित्र लेनेवाला दूमरी मोर के द्वार को खोलकर सिलवर की सहायता से कागज पर चित्र छापने की विधि सिर पर काला कपड़ा (जिसमें कही से प्रकाश न पावे) हाल निकाली। धीरे धीरे यह विद्या उन्नति करती गई और सन् कर देखता है कि उस वस्तु की प्रतिकृति ठीक दिखाई देती १८५० में प्लेट पर चित्र लिए जाने लगे। १८७२ में डा० है कि नहीं। इसे फोकस लेना कहते हैं। इसके बाद लेंस के मैडाक्ष ने जेलेटीन की सहायता से प्लेट बनाने की प्रथा सामने के ढक्कन को फिर बंद कर देते हैं और दूसरी ओर जारी की जो उत्तरोत्तर उन्नत होकर अबतक प्रचलित है। लकड़ी के बंद चौकठे में रखे प्लेट को, जिसमें रासायनिक अब पार्द्र प्लेट का बहुत कम व्यवहार होता है, प्रायः सब पदार्थ लगे रहते हैं, बड़ी सावधानी से, जिसमें प्रकाश उसे जगह शुष्क प्लेट काम में लाया जाता है । स्पर्श न करने पाए लगा देते हैं, फिर लेस के मुह को थोड़ी देर के लिये खोल देते हैं जिसमे प्लेट पर उस पदार्थ की फोड़ना-क्रि० स० [सं० स्फोटन, प्रा० फोडन ] १. खोया करारी वस्तुप्रो को दबाव या प्राघात द्वारा तोड़ना। खरी छाया मंकित हो जाय । ढक्कन फिर बद कर दिया जाता वस्तुओं को खंड खंड करना। दरकाना। भग्न करना । है मौर अकित प्लेट बड़ी सावधानी से बद चौखटे मे बद विदीर्ण करना । जैसे, (क) घड़ा फोड़ना, चने फोड़ना, बरतन करके रख दिया जाता है। उस प्लेट को अधेरी कोठरी मे फोड़ना, चिमनी फोड़ना, पत्थर फोड़ना। (ख) अकेला चना ले जाकर लाल लालटेन के प्रकाश में रासायनिक मिश्रणों मे भाड नही फोड़ सकता । कई बार डुबाते हैं और अंत में फिटकरी के पानी मे डालकर संयो.क्रि-डालना ।—देना । ठंढे पानी की धार उसपर गिराते हैं। इस क्रिया से प्लेट यौ०-तोड़ना फोड़ना। काले रंग का हो जाता है और उसपर पदार्थ प्रांकित दिखाई पड़ने लगता है, इसे निगेटिव कहते हैं। इसी निगेटिव पर मुहा०-उँगलियाँ फोड़ना = उँगलियों को खींच या मोड़कर रासायनिक पदार्थ लगे हुए कागज के टुकड़ों को अंधेरी उनके जोड़ों को खटखट बुलाना । उँगलियां चटकाना। कोठरी के भीतर सटाकर प्रकाश दिखाते और रासायनिक विशेप- इस क्रिया का प्रयोग खरी या करारी वस्तुपों के लिये मिश्रणों में धोते हैं । इस प्रकार कागज पर प्रतिकृति कित होता है, चमड़े, लकड़ी आदि चीमड़ वस्तुषों के लिये नही। हो जाती है। इसी को फोटो कहते है। २. ऐसी वस्तुओं को आघात या दवाव से विदीर्ण करना जिनके प्रकाश के प्रभाव से वस्तुओं के रंगों में परिवर्तन होता है। भीतर या तो पोला हो अथवा मुलायम या पतली चीज भरी
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