पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१५६

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मिना ३६३३ मिजाज शरीफ ? स० १. मिचना-क्रि० अ० [हिं० मीचना का अक० रूप ] ( अाँखो का ) वात बात पर विगड जाते हैं। ३. गरीर या मन की दशा । बद होना । जैसे,—मारे नीद के प्रान् मिची जाती हैं। तबीयत | दिल | मिचराना'-क्रि० अ० [मिचर, चाबने के शब्द से अनु० ] बिना यौ०- 0-मिजाज भाली। मिजाज शरीर । मिजाज पुरसी। भूख के खाना । इच्छा न होने पर भी भोजन करना । मुहा०-'मजाज खराब होना = (१) मन मे किसी प्रकार को विशेष-बहुत धीरे धीरे खाने पर विशेपत बालको के मबध मे अप्रसन्नता आदि उत्पन्न होना । ग्लानि प्राटि होना । (२) बोलते हैं। अस्वस्थता होना । मिजाज बिगड़ना = दे० 'मिजाज खराव मिचराना-क्रि० अ० [हिं० मिचलाना, दे० 'मिचलाना'। उ०-- होना' । मिजाज बिगाड़ना = किमी के मन में क्रोध, अभिमान जाइ मो मैं डारत ही मो चिपचिपावे लगो और जी मिचराइ श्रादि मनोविकार उत्पन्न करना। मिजाज पाना = (१) किसी कै उल्टी प्राइ गई।-श्रीनिवास ग्र०, पृ० ४२ । के स्वभाव से परिचित होना । (२) किमी को अनुकूल या प्रसन्न देखना । मिजाज पूछना = (१) तवीयत का हान पूछना। यह मिचलाना-क्रि० प्र० [हिं० मथना, मतलाना ] के आने को होना । उबकाई पाना । मतली पाना । पूछना कि आपका शरीर तो अच्छा है। (२) गच्छी तरह खबर लेना । दड देना । मिजाज में श्राना = व्यान मे याना। मिचली-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० मिचलाना ] जी मिचलाने की क्रिया या समझ मे पाना । जैसे,—अगर आपके मिजाज मे प्राव तो भाव । के होने की इच्छा । आप भी वहाँ चलिए। मिजाज सीधा होना = अनुकूल या मिचवाना-क्रि० स० [हिं० मीचना का प्रे०रूप ] मीचने का काम प्रसन्न होना । तबीयत ठिकाने होना। दूसरे से कराना। दूसरे को मीचने मे प्रवृत्त करना। दूसरे मे ४. अभिमान । घमड । शेखी। आँखे वद कराना। मुहा०—मिजाज पाना = अभिमान करना । घमद होना। मिचिता-सज्ञा स्त्री॰ [ ] एक प्राचीन नदी का नाम । मिजाज में थाना = अभिमान करना । घमड काना । जैसे,- मिचु- -मञ्ज्ञा स्त्री॰ [ मृत्यु, प्रा० मिच्चु ] मृत्यु । मौत । इस वक्त कुछ न पूछो, पाप मिजाज मे या गए हैं। मिजाज मिचौनी-सज्ञा स्त्री० [हिं० मीचना ] १ ( आँख ) १. मीचने की मिलना - घमंड दूर होना । वशवर्ती होना। उ०-चगुल तर क्रिया । २ दे० 'आँख मिचौली' । उ०-हुई वहुत दिन खेल चिचिय हो हो, तब मिलिहैं मिजाज |-पलटू०, भा० ३, मिचौनी ।-निशा०, पृ० ६६ । पृ० १६ । मिजाज न मिलना = अभिमान के कारण किमी का मिचौलना--क्रि० स० [हिं० ] दे॰ 'मीचना' । अलग रहना । घमड के कारण बात न करना। जैसे,- मिचौली- सज्ञा स्त्री० [हिं० मींचना ] दे० 'आंखमिचौली' । आजकल तो पापके मिजाज नहीं मिलते । (विशेष—इस अर्थ मे इस शब्द का प्रयोग बहुधा बहुवचन मे होता है ।) मिजाज मिचौहाँल -वि० [हिं० मीचना ] श्राधा मुंदा हुा । अधमुंदा । सातवें प्रासमान पर होना = घमड का बहुत अधिक बढ उ०-झपकोहे पल देखियतु कहत हंसाहै बैन । अतमोह मी जाना । मिजाज होना = धमड मे होना । घमड मे पाना । गात कत करत मिचौहैं नैन ।-स० सप्तक, पृ० ३८७ । यौ०-मिजाजदों। मिजाजदार । मिजाजवाला = मिजाजदार । मिच्छक-सशा पुं० [ ] एक बौद्ध स्थविर का नाम । मिजाजशनास = मिजाजदां । मिजाजशनासी = स्वभाव जानना। मिछ-सञ्ज्ञा पु० [ म० म्लेच्छ ] दे० 'म्लेच्छ' । उ०-कहै दूत प्रथिराज सम मिछ सेना वरजोर । महर निकसि बाहर भए वब मिजाज आली?- [अ० मिज़ाज पाली ] एक वाक्याश जिसका बज्जि घनघोर ।-पृ० रा०, १३।२६ । व्यवहार किसी का शारीरिक कुशल मगल पूछने के समय होता है । आप अच्छे तो हैं ? मिछा- वि० [सं० मृपा ] दे० 'मिथ्या' । मिजाजदा-वि० [अ० मिजाज + फ़ा० दा (प्रत्य० ) ] मिजाज मिजमानी-सञ्ज्ञा स्त्री० [फा० मेजवान ] महमानदारी । मेजबानी। पहचाननेवाला । स्वभाव से परिचित [को०] । उ०-रानिय आई मल्हन दे, बहु मिजमानिय कीन ।-१० रासो, पृ०६८। मिजाजदार-वि० [अ० मिज़ाज+पा० दार (प्रत्य॰)] जिगे बहुत मिजराव-सज्ञा स्त्री० [अ० मिज़राब ] तार का बना हुआ एक प्रकार अभिमान हो । घमडी। फा छल्ला जिसमे मुडे तार की एक नोक आगे निकली रहती है मिजाजपोटा-वि० [अ० मिज़ाज + हिं० पीटना] [वि० सी० और जिससे सितार यादि के तार पर आघात करके बजाते है। मिजाजपीटी] जिसे बहुत अधिक घमड हो। अभिमानो। डका । कोण । नाखुना। घमडी । (जो०)। मिजवानी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० मेजवानी ] दे० 'मेजवानी' । मिजाजपुरसी-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० मिज़ाज + फ़ा. पुरमी ] किमी से मिजाज-सज्ञा पुं० [अ० मिज़ाज ] १. किसी पदार्थ का वह मूल यह पूछना कि आपका मिजाज तो अच्छा है । तबीयत का हाल गुण जो सदा बना रहे । तासीर । २ प्राणी की प्रधान प्रवृत्ति । पूछना । शारीरिक कुशल मगल पूछना । स्वभाव । प्रकृति । जैसे,—उनका मिजाज बहुत सख्त है, वे मिजाज शरीफ?-[अ० मिज़ाज शरीफ ] एक वाक्याश जिसका 10