पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१६४

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अ० 20 1 मिनमिनाहट मियाना मिनमिनाहट-सज्ञा स्त्री॰ [ अनु० ] मिमिन् की ध्वनि या आवाज । मिमियाना-क्रि० अ० [ मिन् मिन् से अनु० ] वकरी या भेंड का मिनवाल-सज्ञा पु० [अ० ] करधे में का वह वेलन जिसपर बुना 'मि मि' शब्द करना । भेंड या बकरी का बोलना। हुआ कपडा लपेटा जाता है और जो बुननेवाजे के ठीक आगे मियाँ-सञ्ज्ञा पु० [फा०] १ स्वामी । मालिक । २ पति । खसम । रहता है। जैसे,—मियां के मियां गए, वुरे बुरे सपने पाए। मिनहा-वि० [ ] जो काट या घटा लिया गया हो । मुजरा किया यौ०-मियाँ बीवी। हुआ। जैसे, अभी इसमे दो तीन रकमे मिनहा होने को हैं। ३ बडो के लिये एक प्रकार का सबोधन । महाशय । ( मुसल०)। मिनहाई-मज्ञा सी० [अ० मिनहा ] कटौती। ४. बच्चो के लिये एक प्रकार का मवोधन । ५. शिक्षक । मिनाक- सज्ञा पुं० [ स० मैनाक ] दे० 'मैनाक' । उ०-पूजा पाइ उस्ताद । मिनाक पहि, सुरसा कपि मवादु । मारग अगम सहाय सुभ, यौ०-मियॉगरी, मियाँगीरी = शिक्षक का कार्य । अध्यापन । होइहि राम प्रसादु । —तुलसी ग्र०, पृ० ८६ । मियाँ जी = शिक्षक। मिनारा-सञ्ज्ञा पु० [अ० मनार ] दे० 'मीनार' । ६ पहाडी राजपूतो की एक उपाधि | जैने, मिया रामसिह । ७ मिनिट-मज्ञा पुं० [अ० ] दे० 'मिनट' । मुसलमान । जैसे,-वे सव मियाँ ठहरे, एक ही मे खा पका लेंगे । ८ चर । कासिद । दूत (को०)। ६ कुटना। चुगलखोर मिनिटबुक-सज्ञा स्त्री॰ [अ॰] वह वही या किताव जिसमे किसी सभा, समिति के अधिवेशनो मे मपन्न हुए कार्यों का विस्तृत (को०) । ११०. गायक । पक्की चोजें गानेवाला । उस्ताद । विवरण लिखा जाता है। मियाँ ठाकुरी-सज्ञा पु० [फा० मियाँ + हिं० ठाकुर ] एक जाति जो अपने को न हिंदू मानती है और न मुसलमान, वरन् उभय मिनिस्टर-सज्ञा पु० [ ] १ मत्री । सचिव । दीवान । वजीर । मानती है । उ०—ये 'मिया ठाकुर' कहलाना पसंद करते है। ये २ राजदूत । एलची। ३ धर्मोपदेष्टा। धर्माचार्य । पादरी। मानते हैं कि ये न तो हिंदू है और न मुसलमान, बल्कि उभय ( ईमाई )। है।-पत० दरिया पृ० ११ । मिनिस्ट्री-सज्ञा स्त्री० [अ०] १. मत्रिमंडल । शासन । हुकूमत । मियाँ मिट्ठ-मझा पु० [हिं० मियाँ मिळू ] १ मीठी बोली बोलने- ३. मत्रित्व । मत्रिपद । उ०-आज काउमिल की मिनिस्ट्री वाला । मधुरभाषी। पाकर भी शायद उतना आनद न होता ।-मान०, भा० मुहा०-अपने मुंह मिया मिठू बनना = अपने मुंह से अपनी ५, पृ० ११०। प्रशसा करना । बिना कुछ समझाए याद कराना । मिन्-प्रत्य० [अ०] से । २ तोता। मिन्जानिव--क्रि० वि० [अ० ] अोर से । तरफ से । (कचहरी०)। मुहा०-मिया मिठू बनाना = तोते की तरह रटाना। बिना मिन्जुमला-क्रि० वि० [अ० ] सब मे से। कुल मे से। समझाए पढ़ाना। मिन्नत-सदा स्त्री॰ [अ०, मि० स० विनति, हिं० मिनती] १. प्रार्थना । ३ मूर्ख । वेवकूफ । निवेदन । २. दीनता । दैन्य । मुहा०—मियों को जूती मियाँ का सिर = जिसकी चीज हो, उसका यौ०-मिन्नत खुशामद = दीनतापूर्वक की हुई प्रार्थना। मिन्नत उसी के विरुद्ध व्यवहार करना । वेवकूफ बनाना। समाजत = विनय । प्रार्थना । उ०-यो तो मैं विनय की मिन्नत मियान-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [फा० म्यान ] दे० 'म्यान' । समाजत करूं, तो वह रियासत से चले जाने पर राजी हो मियान'–सन्चा पु० [फा०] मध्य भाग । वीच का हिस्सा । जायगे। रगभूमि, भा॰ २, पृ० ४७८ । यौ०-दरमियान = मध्य मे । बीच मे। ३ एहसान । कृतज्ञता । (क्व० )। मियानतह-सञ्ज्ञा स्त्री० [फा० मियान (= मध्य) + हिं० तह ] वह क्रि० प्र०-उठाना ।—करना । साधारण कपडा जो किमी अच्छे कपडे के नीचे उसकी रक्षा मिन्मिन, मिनिमल-वि० [ स० ] नाक के स्वर में बोलनेवाला । आदि के लिये दिया जाता है । जैसे, रजाई की मियानतह । नकियाकर बोलनेवाला। मियानतही- सज्ञा स्त्री० [फा० मियातिही ] १ वह विस्तर जिसके मिन्मिन, मिन्मिल-सञ्ज्ञा पु० नकियाकर वोलना जो एक रोग दोनो पल्लो के बीच रुई न हो । २ दे० 'मियानतह' । है (को॰] । मियानवाला-वि॰ [फा०] मामान्य कद का । साधारण आकार मिमत-सन्ना पु० [ ] एक प्राचीन ऋषि का नाम । न ठिगना, न लवा [को॰] । मिमासा-सञ्ज्ञा स्त्री० [स० मीमासा ] दे० 'मीमासा' । उ०- मियाना-वि॰ [फा० मियानह. ] न बहुत वडा और न बहुत छोटा । करम ईसर मिमासा मे वरन ब्राह्मन सुनाते हैं ।-तुरसी० मध्यम आकार का। श०, पृ०३४। मियाना-सञ्ज्ञा पु० १ वे खेत जो किसी गांव के बीच मे हो। २. मिमियाई-मज्ञा स्त्री० [हिं० मिमियाना + ई (प्रत्य॰)] वकरी । एक प्रकार की पालकी। ३. गाडी मे आगे की ओर बीच मे का। स०